केंद्र सरकार के सवालों को लेकर फिर शक के घेरे में आरडीएफ, पंजाब के लिए पैदा हुई परेशानी

केंद्र सकरार द्वारा ग्रामीण विकास निधि को लेकर सवालों से पंजाब के लिए परेशानी खड़ी हो गई है। इसके साथ ही केंद्र सरकार के सवालों के कारण ग्रामीण विकास निधि सवालों के घेर में आ गई है। इससे पहले भी इस पर सवाल उठते रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 07:47 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 07:47 PM (IST)
केंद्र सरकार के सवालों को लेकर फिर शक के घेरे में आरडीएफ, पंजाब के लिए पैदा हुई परेशानी
पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [इन्‍द्रप्रीत सिंह]। धान और गेहूं की खरीद पर लगने वाला तीन फीसदी ग्रामीण विकास निधि (Rural development fund) देने से केंद्र सरकार के पीछे हटने से पंजाब के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। केंद्रीय कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे पंजाब से केंद्र सरकार ने पूछ रही है कि आखिर इस फंड को विकास के लिए कहां कहां खर्च किया जाता है। ऐसा पहली बार नहीं है कि आरडीएफ पर सवाल उठ रहे हों, इससे पहले अकाली भाजपा के समय के दौरान तब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस पैसे का इस्तेमाल अपनी मर्जी से संगत दर्शन में खर्चने को लेकर महालेखाकार ने सवाल उठा दिए थे। पूरे प्रकरण में मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है।

यह राशि कंसोलिडेशन फंड का हिस्सा नहीं है इसलिए बजट में नहीं दिखाई जाती और न ही इसका बजट पेश करने के लिए विधानसभा से अनुमति लेने की जरूरत है। इसको लेकर महालेखाकार को ऐतराज भी था। दो दशक पहले इस राशि से खर्च किए गए 407 करोड़ रुपए पर कैग ने सवाल उठाए थे। अब कैग की बजाए इसे खर्च करने को लेकर केंद्र सरकार ने सवाल उठा दिए हैं। दरअसल इस राशि को बैंकों के पास गिरवी करके राज्य सरकार ने कर्ज लिया हुआ है और उसे किसानों का दो-दो लाख रुपये का कर्ज माफ करने पर लगा दिया।

चुनाव से पहले किसानों का कर्ज माफ करने का कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ऐलान किया था। अपनी सबसे महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने राशि का प्रबंध कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खाद्यान्न पर लगने वाली दो फीसदी मार्केट फीस और  दो फीसदी ग्रामीण विकास निधि (Rural development fund) में एक-एक फीसदी की वृद्धि करके किया। राज्य सरकार ने एक-एक फीसदी से बढ़ी हुई राशि से 2017 में सालाना 900 करोड़ जुटाने का प्रावधान करके बैंकों से 6000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था।

इसके साथ ही कानून में संशोधन भी किया ताकि इस इस राशि को किसानों के कल्याण पर भी खर्च किया जा सकता है। 29 नवंबर 2017 को किए गए प्रावधानों को लेकर उस समय शिरोमणि अकाली दल (SAD) विधायक एनके शर्मा, आम आदमी पार्टी के सुखपाल खैहरा, प्रो बलजिंदर कौर आदि ने विरोध भी किया। लेकिन, वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने उनके उठाए एतराजों का जवाब देते हुए कहा कि यह केवल धान और गेहूं की फसल पर ही बढ़ाया गया है क्योंकि इसकी खरीद केंद्र सरकार करती है। इसका किसानों की अन्य फसलों पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

अब जब केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय ने ग्रामीण विकास निधि (Rural development fund) को अब न देने के लिए जो कवायद शुरू की है उससे किसानों के कर्ज माफ करने के लिए गए कर्ज को लेकर संकट मंडराने लगा है। इस कर्ज की अदायगी अब कैसे की जाएगी, यह बड़ा सवाल है। कृषि विभाग ने कानूनों में मार्केट फीस और आरडीएफ वसूलने का प्रावधान किया हुआ है। अब उसने खाद्य एवं आपूर्ति विभागको कहा है कि वह यह मामला एफसीआइ के पास उठाए, अन्यथा जब धान की खरीद का फाइनल बिल बनेगा तो यह राशि विवाद में पड़ जाएगी। पंजाब पहले भी इसी तरह के विवादों का 31 हजार करोड़ रुपए का कर्ज अपने ऊपर चढ़ा चुका है।

chat bot
आपका साथी