पंजाब में रैली युद्ध का दौर, मुद्दों से भटकी कैप्‍टन अमरिंदर सरकार

पंजाब में सत्‍ताधारी दल कांग्रेस अौर शिरोमणि अकाली दल के बीच रैली युद्ध छिड़ गया है। इससे कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार मूल मुद्दों से भटकती दिख रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Tue, 18 Sep 2018 08:50 AM (IST) Updated:Tue, 18 Sep 2018 08:50 AM (IST)
पंजाब में रैली युद्ध का दौर, मुद्दों से भटकी कैप्‍टन अमरिंदर सरकार
पंजाब में रैली युद्ध का दौर, मुद्दों से भटकी कैप्‍टन अमरिंदर सरकार

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब में बड़े स्तर पर रैली युद्ध शुरू हो गया है। इस कारण मूल मुद्दे गाैण हो रहे हैं और कैप्‍टन अमरिंदर सिंह इनसे भटकती दिख रही है। दस साल तक लगातार राज करके डेढ़ साल पहले मात्र 15 सीटों तक सिमटने वाला शिरोमणि अकाली दल अपने आप को फिर से उभारने के लिए लगातार रैलियां करके सत्तारूढ़ दल को चुनौती दे रहा है। इसका जवाब देने के लिए रविवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के हलके लंबी में बड़ी रैली करने की चुनौती दे दी है।

कांग्रेस के लंबी में रैली के एलान के बाद शिअद ने पटियाला में रैली करने की घोषणा की

कैप्टन की इस चुनौती को शिरोमणि अकाली दल ने स्वीकार करते हुए एेलान किया है कि जिस दिन कैप्टन लंबी में रैली करेंगे, पार्टी कैप्टन के शहर पटियाला में उन्हें चुनौती देगी। प्रमुख विपक्षी पार्टी आप भी कम नहीं है, उनके दोनों ग्रुप भी एक दूसरे पर भारी पडऩे को लेकर लगातार रैलियां कर रहे हैं।

फरीदकोट रैली को लेकर हाईकोर्ट में चली कानूनी लड़ाई के बाद तकरार बढ़ी

गौरतलब है कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर जस्टिस रणजीत सिंह जांच आयोग की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस अकाली दल को हाशिए पर धकेलने का लगातार प्रयास कर रही है। पार्टी प्रधान सुनील जाखड़ ने अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को सीधा निशाने पर लिया हुआ है। अकाली दल ने पहले सुनील जाखड़ के पैतृक गांव पंजकोसी में रैली करके उनको जवाब दिया और बाद में बरगाड़ी व कोटकपूरा कांड, जिसको लेकर कांग्रेस ने मुहिम छेड़ रखी है, उसी हलके के जिला फरीदकोट में बड़ी रैली कर दी। यहां रैली करने के दो मकसद थे। पहला कांग्रेस को जवाब देना, दूसरा पंथक नेताओं को जिन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के लिए अकाली दल को घेर रखा है।

हालांकि यह रैली करने को लेकर पार्टी को हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़नी पड़ी। फरीदकोट रैली को देखते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस की रैली लंबी में करने का एेलान किया है, जो सितंबर के अंत में की जाएगी। इसके जवाब में उसी दिन अकाली दल भी पटियाला में रैली करेगा।

रैलियों से क्या साबित करना चाहती हैं पार्टियां

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अब सवाल यह उठता है कि आखिर राजनीतिक पार्टियां इस तरह की रैलियां करके साबित क्या करना चाहते हैं? सरकार तो रोजगार, ड्रग्स, डेवलपमेंट आदि मुद्दों से ध्यान बंटाने के लिए ऐसा कर रही लगती है, जबकि विपक्षी पार्टियों ने भी सरकार की ही लाइन पकड़ी हुई है। पंजाब में खेती का बुरा हाल है। एग्रीकल्चर पॉलिसी बने हुए दो महीने से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन इस पर चर्चा करने के लिए सरकार के पास कोई समय नहीं है। पंजाब में भूजल चिंतनीय स्तर तक गिर चुका है। बचा-खुचा प्रदूषित हो चुका है।

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विश्‍लेषकों का कहना है कि भूजल के लिए अथॉरिटी बनाने का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री के दफ्तर की धूल फांक रहा है, उस पर चर्चा करने के लिए भी सरकार के पास समय नहीं है। रेत, शराब आदि का काम सरकार अपने हाथों में लेकर कारपोरेशन बनाना चाहती थीं, ताकि सरकार का रेवेन्यू बढ़ सके, लेकिन इस पर भी कोई चर्चा नहीं हो रही है। आर्थिक  स्थिति की हालत यह हो चुकी है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को पांच लाख रुपये तक का बीमा देने या न देने संबंधी सरकार अभी तक फैसला नहीं कर पाई है।

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