मनीषी संत के श्रम को याद रखेंगी पीढि़यां : पुरोहित

मनीषी संत मुनि विनय कुमार आलोक उम्र के इस पड़ाव पर भी इतने श्रमशील हैं यह देखकर मैं दंग हूं। मनीषी संत का यह श्रम अतुलनीय है। वह किसी कार्य को पूरा करके ही दम लेते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 08:58 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 09:00 PM (IST)
मनीषी संत के श्रम को  याद रखेंगी पीढि़यां : पुरोहित
मनीषी संत के श्रम को याद रखेंगी पीढि़यां : पुरोहित

जासं, चंडीगढ़ : मनीषी संत मुनि विनय कुमार आलोक उम्र के इस पड़ाव पर भी इतने श्रमशील हैं यह देखकर मैं दंग हूं। मनीषी संत का यह श्रम अतुलनीय है। वह किसी कार्य को पूरा करके ही दम लेते हैं। उन्होंने जिस उद्देश्य से यह श्रम किया है, उसे आने वाली पीढि़यां भी याद रखेंगी। यह शब्द पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के हैं। वह सोमवार को पंजाब राजभवन मे महाप्रज्ञ ग्रंथावली समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में 121 पुस्तकों की महाप्रज्ञ ग्रंथावली पंजाब राजभवन पुस्तकालय को भेंट की गई।

बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि पुस्तकालय में महाप्रज्ञ ग्रंथावली के आने से बहुत लाभ होगा। इस पुस्तकालय मे राजभवन के ही लोग नहीं बाहर से आने वाले मेहमान भी पढ़ते हैं। 121 पुस्तकों की महाप्रज्ञ ग्रंथावली अब तक पंजाब विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी, विधानसभा पुस्तकालय, हरियाणा व पंजाब राजभवन पुस्तकालय आदि को भेंट की जा चुकी है। यह पंजाब राजभवन मे यह 18वां ग्रंथावली भेंट है। कार्यक्रम का संयोजन मनोज जैन ने किया। कार्यक्रम में मुनि अभय कुमार, पुनीत बंसल, अशोक जैन, शत्रुधन जैन उपस्थित थे। क्षमा दान वीरों का आभूषण : मुनि विनय कुमार आलोक

मनीषी संत मुनि विनय कुमार आलोक ने कहा कि इंसानियत का सबसे बड़ा गुण क्षमादान है। क्षमा मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता। क्षमा दान को वीरों का आभूषण कहा गया है। क्षमा याचना से मनुष्य का अहंकार समाप्त हो जाता है। इसलिए जाने-अनजाने में अपशब्द बोलने के बाद यदि मनुष्य अपने किए पर शर्मिंदा है तो उसके पास क्षमा याचना के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ये शब्द मनीषी संत मुनि विनय कुमार आलोक ने सेक्टर 24सी अणुव्रत भवन तुलसी सभागार में सभा को संबोधित करते हुए कहा।

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