चंडीगढ़ में मई से लेकर अब तक खूब बरसे बदरा, अकेले जून में हुई 95.2 एमएम बारिश

न महीने में तपतपाती गर्मी से बचाने के लिए चंडीगढ़वासियों के लिए राहत की बारिश हो रही है। प्री मॉनसून से पहले ही राहत की बरसात लगातार हो रही हैं। नियमित हो रही बरसात अब सुखद साबित हो रही है।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 04:45 PM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 04:45 PM (IST)
चंडीगढ़ में मई से लेकर अब तक खूब बरसे बदरा, अकेले जून में हुई 95.2 एमएम बारिश
चंडीगढ़ में बारिश के दौरान गुजरता रेहड़ी सवार। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। जून महीने में तपतपाती गर्मी से बचाने के लिए चंडीगढ़वासियों के लिए राहत की बारिश हो रही है। प्री मॉनसून से पहले ही राहत की बरसात लगातार हो रही हैं। नियमित हो रही बरसात अब सुखद साबित हो रही है। इससे शहरवासियों को चिलचिलाती गर्मी से राहत मिल गई है। साथ ही लाइफलाइन सुखना लेक के तो दिन ही फिर गए हैं।

अभी तक चंडीगढ़ में 100 मिलीमीटर से अधिक बरसात हो चुकी है। अभी मॉनसून ने चंडीगढ़ में दस्तक नहीं दी है। इसके बाद तो बरसात का सिलसलि करीब डेढ़ माह तक चलेगा। जून के आखिर तक मॉनसून के चंडीगढ़ पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।

जून में कितनी हुई बरसात, एमएम में

04 जून    11.4

10 जून    6.1

11 जून    47.2

13 जून    20.6    

लेक का जलस्तर बढ़ा

सुखना लेक का जलस्तर 1156.6 फीट तक पहुंच गया है। बरसात का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा तो लेक एक बार फिर जलमग्न हो जाएगी, जबकि 30 मई को हुई बरसात से पहले तक लेक लगातार सूख रही थी। लेक का जलस्तर कम होकर 1154 फीट तक आ गया था। हालात ऐसे हो गए थे कि रेगुलेटरी एंड की तरफ नीचे की परत तक दिखने लगी थी। लेकिन अब हो रही बरसात सुखना के लिए संजीवनी बन रही हैं। लेक का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। 30 मई से अब तक चंडीगढ़ में करीब 100 एमएम बरसात हो चुकी है। यह तब है जब अभी मॉनसून चंडीगढ़ पहुंचा नहीं है। मॉनसून पहुंचने के बाद लगातार बरसात का सिलसिला शुरू होगा। जुलाई के आखिर तक पिछले दो वर्षों की तरह लेक के फ्लड गेट खोलने की नौबत भी आ सकती है।

जल्दी सूख और भर रही लेक

सुखना लेक जितनी जल्दी सूख रही है उतनी ही तेजी से भर भी रही है। इसका कारण लेक में जमा गाद है। जिसे वर्षों से कभी निकाला ही नहीं गया है। बरसात के पानी के साथ बहकर आने वाली मिट्टी लेक की तलहटी में जमा हो जाती है। यह लेक की जल भंडारण क्षमता को कम कर देती है। इस गाद पर पर्यावरण विशेषज्ञ लगातार सवाल उठाते रहे हैं। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने भी गाद निकालने के आदेश प्रशासन को दिए थे।

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