एवरेस्ट फतह करने से भी कठिन है रेस एक्रॉस अमेरिका, रोजाना 21 से 22 घंटे चलानी होती है साइकिल

इंडिया के मात्र तीन ऐसे साइकिलिस्ट हैं। इनमें पहला नाम लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ. श्रीनिवास गोकुलनाथ का है जिन्होंने अपने दूसरे प्रयास में रेस एक्रॉस अमेरिका को पूरा किया था

By Edited By: Publish:Fri, 18 Oct 2019 07:47 PM (IST) Updated:Sat, 19 Oct 2019 04:13 PM (IST)
एवरेस्ट फतह करने से भी कठिन है रेस एक्रॉस अमेरिका, रोजाना 21 से 22 घंटे चलानी होती है साइकिल
एवरेस्ट फतह करने से भी कठिन है रेस एक्रॉस अमेरिका, रोजाना 21 से 22 घंटे चलानी होती है साइकिल

चंडीगढ़, जेएनएन। रेस एक्रॉस अमेरिका (आरएएएम) को पूरा करना एवरेस्ट फतह करने से भी ज्यादा कठिन माना जाता है। रेस एक्रॉस अमेरिका के 36 साल के इतिहास में अभी तक 300 साइकिलिस्ट ही हैं जो इसको समय पर पूरा कर पाए हैं। इंडिया के मात्र तीन ऐसे साइकिलिस्ट हैं। इनमें पहला नाम लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ. श्रीनिवास गोकुलनाथ का है जिन्होंने अपने दूसरे प्रयास में रेस एक्रॉस अमेरिका को पूरा किया था। इसके अलावा डॉ. अमित सामर्थ और कबीर रणछोर ने इस रेस को समय पर क्लीयर किया है।

दुनिया की सबसे कठिन है रैम

रेस एक्रॉस अमेरिका के सीईओ फ्रेड बोथेलिंग ने बताया कि रेस एक्रॉस अमेरिका (रैम) अब 16 जून 2020 को होगी। इसके लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है। इसमें सोलो रेस, रॉ सोलो एंड टीम रेस की प्रतियोगिता का आयोजन होगा। रेस एक्रॉस अमेरिका दुनिया की सबसे कठिन अल्ट्रा साइकिल रेस है। इसमें 5070 किलोमीटर साइकिल चलानी होती है। यह साइकिलिंग की सोलो रेस होती है। इसमें प्रतिभागी साइकिलिस्ट को रोजाना 450 से 500 किलोमीटर साइकिल चलानी होती है। साइकिलिस्ट रोजाना 21 से 22 घंटे साइकिल चलाते हैं। यह रेस अमेरिका के पश्चिमी किनारे कैलिफोर्निया से शुरू होती है और पूर्वी किनारे पर मैरीलैंड के एन्नापोलिस पर खत्म होती है।

जानकारी देते रेस एक्रॉस अमेरिका के सीईओ फ्रेड बोथेलिंग।

इस दौरान चार बार टाइम जोन बदलता है, हर बार टाइम जोन बदलने पर आपकी घड़ी एक घंटा आगे हो जाती है। इस रेस को 12 दिन में पूरा करना होता है। यह रेस अमेरिका के 12 राज्यों से होकर गुजरती है। इस दौरान रास्ते में रेगिस्तान और ऊंची पहाड़ियों को भी पार करना पड़ता है। दिन में 50 डिग्री सेल्सियस तापमान होता है और रात को पांच डिग्री सेल्सियस। ऐसे में साइकिलिस्ट पर निर्भर करता है कि वह 200 स्टाप लेकर अपनी रेस पूरी करता है या फिर दो स्टाप लेकर रेस को पूरी करता है।

साइकिलिंग के प्रति लोगों को जागरूक करना है मकसद

बोथेलिंग ने बताया कि हम किसी तरह की प्राइज मनी विजेताओं को नहीं देते हैं लेकिन फिर भी दुनियाभर के साइकिलिस्ट रेस एक्रॉस अमेरिका में हिस्सा लेने के सपने देखते हैं। आज 18 देशों में 45 से 50 क्वालीफाइंग रेस का आयोजन किया जाता है। इनमें हजारों साइकिलिस्ट हिस्सा लेते हैं। फ‌र्स्ट शिवालिक सिग्नेचर रेस में 57 साइकिलिस्ट ने हिस्सा लिया था जोकि बड़ी बात है। दुनियाभर में साइकि¨लग का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है, भारत भी इससे अछूता नहीं है।

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