पंजाब सरकार को पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले की सीबीआइ जांच से आपत्ति नहीं, करेगी सहयोग
Punjab Scholarship Scam पंजाब के पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले की सीबीआइ जांच से राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है। ये मामला केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे फंड से जुड़ा है। इस कारण पंजाब सरकार सीबीआइ जांच पर आपत्ति नहीं जताएगी और इसमें सहयोग करेगी।
चंडीगढ़ , राज्य ब्यूरो। पंजाब सरकार दलित विद्यार्थियों के लिए जारी पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले की जांच कर रही सेंट्रल इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो (सीबीआइ) को पूरी तरह से सहयोग करेगी। चूंकि स्कालरशिप का फंड केंद्र सरकार से ही आता है, इसलिए इसकी जांच सीबीआइ को दिए जाने को लेकर पंजाब सरकार कोई आपत्ति भी दर्ज नहीं करवाएगी।
सीबीआइ ने मांगे 63.91 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़े दस्तावेज, सरकार ने जताई सहमति
बता दें कि अगस्त 2020 में पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप के फंड में हुए 63.91 करोड़ रुपये के घोटाले मामले में केंद्रीय सामाजिक अधिकारिता व न्याय मंत्रालय ने जांच सीबीआइ को सौंप दी है। सीबीआइ ने पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप से जुड़े दस्तावेज पंजाब सरकार से मांग लिए हैं। सरकार भी इससे जुड़े दस्तावेज भी सीबीआइ को मुहैया कराएगी।
मुख्यमंत्री ने भी कराई थी जांच, रिपोर्ट नहीं की सार्वजनिक
पंजाब सरकार ने विधानसभा में भी बिल पास किया है कि सीबीआइ बगैर राज्य सरकार के सहमति के पंजाब में जांच नहीं कर सकती है। इसलिए माना जा रहा था कि सरकार सीबीआइ जांच का विरोध कर सकती है। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक उच्चाधिकारी ने बताया कि पंजाब सरकार ने जो बिल पास किया है वह पंजाब के मामलों को लेकर है, अगर पंजाब में कोई घटना या दुर्घटना होती है तो ऐसे मामले में सीबीआइ तब तक जांच नहीं कर सकती है, जब तक राज्य सरकार अपनी सहमति न दे दे। चूंकि स्कालरशिप का पैसा केंद्र सरकार से आता है, इसलिए सरकार इसका किसी भी प्रकार का विरोध नहीं करेगी।
बता दें कि पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाला अगस्त 2020 में तब सामने आया था जब विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी कृपा शंकर सरोज ने अपनी एक रिपोर्ट चीफ सेक्रेटरी को सौंपी थी। 'दैनिक जागरण' ने इस घोटाले से पर्दा हटाया था। एसीएस ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए 303 करोड़ रुपये के फंड में 63.91 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। इसमें कैबिनेट मंत्री साधू सिंह धर्मसोत पर भी आरोप लगे थे।
विभाग ने जिन शिक्षण संस्थाओं से आर करोड़ रुपये की रिकवरी करनी थी, उन्हीं संस्थाओं को रिकवरी किए बगैर 16.91 करोड़ रुपये का फंड जारी कर दिया गया था। वहीं, 39 करोड़ रुपये का भुगतान वह था, जिसका सरकार के पास रिकार्ड नहीं था। 63.91 करोड़ रुपये के इस घोटाले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चीफ सेक्रेटरी विनी महाजन को इसकी जांच सौंपी थी।
चीफ सेक्रेटरी ने तीन वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों की टीम गठित कर इसकी जांच करवाई थी। हालांकि इस रिपोर्ट को उजागर नहीं किया गया लेकिन मुख्यमंत्री साधू ¨सह धर्मसोत को क्लीन चिट दे दी थी। अब इस मामले की जांच सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय ने सीबीआइ को सौंप दी है।
सुखबीर ने कैप्टन पर साधा निशाना, कहा- धर्मसोत को गिरफ्तार करें
बठिंडा। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले को लेकर कैप्टन सरकार पर निशान साधा है। सुखबीर ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह लगातार भ्रष्ट नेताओं का बचाव कर रहे हैं। वह उन लाखों दलित छात्रों को इंसाफ नही देना चाहते, जिनका भविष्य कैबिनेट मंत्री साधू ¨सह धर्मसोत ने तबाह कर दिया है।
शिअद अध्यक्ष ने कहा कि घोटाले में संलिप्त साधू सिंह धर्मसोत को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए था। यही नहीं धर्मसोत को गिरफ्तार उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करना चाहिए, लेकिन कैप्टन सरकार उनका बचाव कर रही है।