मोंटेक सिंह कमेटी की सिफारिश, फसल खरीद के काम से अलग हो पंजाब सरकार, यह एफसीआइ का काम
पंजाब सरकार द्वारा गठित मोंटेक सिंह आहलुवालिया कमेटी ने अपनी सिफारिश में किसानों की फसल खरीद को लेकर बड़ी सिफारिश की है। कमेटी ने कहा है कि पंजाब सरकार इस कार्य से अलग हो जाए। यह काम एफसीआइ का है।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब की वित्तीय स्थिति से जुड़े फैसलों के लिए बनाई गई मोंटेक सिंह आहलूवालिया कमेटी ने किसानों की फसल खरीद को लेकर बड़ी सिफारिश की है। कमेटी ने राज्य की आर्थिक हालत पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। आहलुवालिया कमेटी ने राज्य सरकार को सिफारिश की है कि वह खाद्यान्न खरीद से बाहर आए। यह सारा काम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) का है। यह उसे ही करने दिया जाए। कमेटी ने अपनी फाइनल रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपते हुए यह सिफारिश की है।
धान और गेहूं की खरीद से पंजाब सरकार को हर साल होता है 1500 करोड़ रुपये का घाटा
काबिले गौर है कि धान और गेहूं की खरीद करने पर हर साल राज्य सरकार को 1500 करोड़ रुपये का घाटा होता है। राज्य सरकार केंद्र से कैश क्रेडिट लिमिट लेकर खाद्यान्न खरीदती है। केंद्र सरकार की ओर से समय पर खाद्यान्न न उठाने के कारण सीसीएल का ब्याज राज्य पर पड़ता है, इसलिए धीरे-धीरे सरकार को इस काम से बाहर आना चाहिए और इसे एफसीआइ के हवाले कर देना चाहिए।
कमेटी ने स्टेट पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइसिस को बंद करके इसे प्राइवेट सेक्टर के हवाले करने की सिफारिश की है। कमेटी ने कहा कि राज्य सरकार चीफ सेक्रेटरी की अगुवाई में एक कमेटी का गठन करे, जो ऐसे बोर्ड और कारपोरेशन की पहचान करे, जिसे प्राइवेट सेक्टर को सौंपा जा सकता है। ऐसी कारपोरेशन के पास कीमती जमीन है, जिसे बेचा जा सकता है।
मोंटेक आहलुवालिया कमेटी ने कहा- पंजाब रोडवेज को बंद कर इसका पीआरटीसी में विलय करो
कमेटी ने पंजाब रोडवेज और पेप्सू रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (पीआरटीसी) को अलग-अलग चलाने पर भी आपत्ति जाहिर की है। रिपोर्ट में उन्होंने सिफारिश की है कि पंजाब रोडवेज को कारपोरेशन में मर्ज कर देना चाहिए या फिर अलग से कारपोरेशन बनानी चाहिए। राज्य सरकार ने इस पर सहमति जताई है।
कमेटी ने विभिन्न समितियों पर भी जताई आपत्ति
विभिन्न विभागों के अधीन बनाई गई सोसायटीज जैसे पंजाब लैंड रेवेन्यू सोसायटी, एक्साइज टैक्सेशन सोसायटी, ट्रांसपोर्ट सोसायटी आदि के गठन पर भी कमेटी ने आपत्ति जताई है। कमेटी ने कहा है कि इनकी ओर से ली जाने वाली फीस बजट से बाहर रखी जाती है। न ही इसका कोई ऑडिट होता है। इस पैसे को खजाने में लाया जाना चाहिए, ताकि इसकी सही तरीके से ऑडिट किया जा सके। पता चला है कि सरकार कमेटी की इस सिफारिश से सहमत नहीं है।
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें