FREE Electricity in Punjab Case: 200 यूनिट फ्री बिजली देने पर दुविधा में पंजाब सरकार, तेवर बदले

FREE Electricity in Punjab Case पंजाब में फ्री बिजली चुनावी मुद्दा बन गया है। इसके बावजूद पंजाब सरकार और बिजली सब्सिडी देने के मूड में नहीं है। इसके साथ ही हर घर को 200 यूनिट बिजली देने को लेकर वह असमंजस में है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 08 Jul 2021 11:49 PM (IST) Updated:Fri, 09 Jul 2021 02:22 PM (IST)
FREE Electricity in Punjab Case:  200 यूनिट फ्री बिजली देने पर दुविधा में पंजाब सरकार,  तेवर बदले
पंजाब की कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार राज्‍य में और बिजली सब्सिडी देने के मूड में नहीं है। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़ , [इन्‍द्रप्रीत सिंह]। FREE Electricity in Punjab Case: पंजाब में फ्री बिजली इस समय चुनावी मुद्दा बन चुकी है। विपक्ष और अपनी पार्टी के कई नेताओं के हमले के कारण कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार दबाव में है। कांग्रेस आलाकमान द्वारा कैप्‍टन अमरिंदर सिंह को राज्‍य में हर घर को 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने की राह निकालने को कहा गया है, ले‍किन पावरकॉम की रिपोर्ट मिलने के बाद पंजाब सरकार इसको लेकर असमंजस में है। दूसरी ओर बिजली के मुद्दे पर विरो‍धियों खासकर आम आदमी पार्टी के प्रति रक्षात्‍मक रही कैप्‍टन सरकार अब आक्रामक तेवर में आएगी।

दरअसल, आम आदमी पार्टी बिजली को लेकर दिल्ली माडल का प्रचार कर रही है। इस पर अब तक कैप्टन सरकार रक्षात्मक रवैया अपना रही थी,लेकिन सूत्रों का कहना है कि सरकार जल्द ही इस मामले को लेकर आक्रामक रुख अपना सकती है।

कैप्‍टन सरकार ने अभी 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने या न देने को लेकर किसी निर्णय पर नहीं पहुंची है। दस दिन पहले जब पंजाब के हर घर को दो सौ यूनिट निशुल्क देने के कांग्रेस हाई कमान के फैसले को लागू करने की संभावना को जांचने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पावरकाम के अधिकारियों से डाटा मांगा था। इसमें यह बात सामने आई कि पंजाब सरकार की ओर से दी जा रही मुफ्त बिजली व सब्सिडी दिल्ली से कहीं बेहतर और सस्ती है।

पावरकाम के अनुसार, राज्य में अभी 40 लाख उपभोक्ताओं को यह सुविधा मिल रही है। सूत्रों के अनुसार सरकार में यह चर्चा भी हो रही है कि अब और ज्यादा सब्सिडी देने की जरूरत नहीं है। यही कारण है कि हर घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने की बात आगे नहीं बढ़ पा रही है। बिजली विभाग ने तीन से चार हजार करोड़ रुपये का और भार पड़ने की बात भी कही है। यह खर्च सरकार की मौजूदा वित्तीय स्थिति को देखते हुए संभव नहीं है, क्योंकि राज्य सरकार पहले ही 10434 करोड़ रुपये बिजली सब्सिडी पर खर्च कर रही है।

पावरकाम के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह को दिल्ली और पंजाब की तुलनात्मक रिपोर्ट बनाकर भेजी है। जिसमें दावा किया है कि पंजाब का माडल दिल्ली के माडल से ज्यादा बेहतर है। दिल्ली में कामर्शियल बिजली पंजाब की तुलना में साढ़े तीन रुपये प्रति यूनिट महंगी होने की बात कही गई है। पंजाब में इसका रेट 7.97 रुपये प्रति यूनिट है तो दिल्ली में यह 11.34 रुपये प्रति यूनिट है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब में प्रति यूनिट 18 फीसद इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी और दो फीसद इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड लगाया गया है। पावरकाम ने जो तुलना की है उसमें कहा गया है कि पंजाब में सालाना 46713 मिलियन यूनिट बिजली बेचकर 29903 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है। इसके मुकाबले दिल्ली में 27436 मिलियन यूनिट बेचकर 20556 करोड़ रुपये राजस्व मिलता है। यानी पंजाब को प्रति यूनिट औसत 6.40 रुपये जबकि दिल्ली को प्रति यूनिट 7.49 रुपये मिलते हैं।

पावरकाम के अनुसार पंजाब सरकार बिजली पर 10458 करोड़ रुपये तो दिल्ली सरकार 2820 करोड़ रुपये की सब्सिडी देती है। यानी पंजाब सरकार सब्सिडी पर 2.24 रुपये जबकि दिल्ली सरकार 1.03 रुपये प्रति यूनिट खर्च कर रही है। सब्सिडी निकालकर पंजाब को 19445 करोड़ रुपये तो दिल्ली को 17336 करोड़ रुपये राजस्व मिलता है। अब इन्हीं आंकड़ों के अनुसार राज्य में हर घर को 200 यूनिट निशुल्क बिजली देने पर फैसला लिया जाना है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर जल्द ही कैबिनेट की बैठक बुला सकते हैं।

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