अंतिम क्षणों में रुका डीएस पटवालिया के पंजाब एजी बनने का निर्णय, अब नए नाम पर विचार
पंजाब सरकार ने अतुल नंदा की जगह पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के अधिवक्ता डीएस पटवालिया को राज्य का महाधिवक्ता (Advocate General) नियुक्त करने का फैसला अंतिम समय में रुक गया। अब नए एजी के नाम पर विचार किया जा रहा है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने वीरवार को राज्य के सबसे बड़े कानून अधिकारी एडवोकेट जनरल के पद पर हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील दीपइंद्र सिंह पटवालिया को नियुक्ति का मामला अंतिम समय में लटक गया। डीएस पटवालिया को राज्य के 31वें एडवोकेट जनरल बनाने का फैसला अंतिम समय में बदल दिया गया। पंजाब के एडवोकेट जनरल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है और उनको केबिनेट मंत्री के बराबर सुविधा मिलती है।
पटवालिया अगर एजी बनते तो संभवतः राज्य के सबसे सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल होते। कैप्टन के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद एडवोकेट जनरल अतुल नंदा के इस्तीफा देने के बाद से इस पद को लेकर कई नाम सामने आ रहे थे। जिनमे डीएस पटवालिया सहित सीनियर एडवोकेट अनमोल रतन सिंह सिद्धू, अनुपम गुप्ता, आरएस चीमा के नाम भी शामिल था।
डीएस पटवालिया सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कुलदीप सिंह के बेटे हैं। इनकी माता मोहाली राजकीय महिला कालेज की प्रिंसिपल रह चुकी है। डीएस पटवालिया ने पंजाब यूनिवर्सिटी से 1998 में एलएलबी की थी। वे सिविल, क्रिमिनल,एजुकेशन व सर्विस ला के विशेषज्ञ है व उनकी गिनती तेजतर्रार वकीलों में की जाती है।
पटवालिया ने जागरण से बातचीत करते हुए कहा यहां तक कह दिया था कि उनकी प्राथमिकता सबसे पहले एजी कार्यालय में व्यवस्था सुधारने व विचाराधीन केस का निपटाने की रहेगी। डीजीपी पद पर दिनकर गुप्ता के खिलाफ याचिका में मोहम्मद मुस्तफा के वकील के तौर पर पैरवी की थी। वह आयकर विभाग समेत पंजाब व केंद्र के कई विभागों के साथ कई बड़े संस्थानों के लिए भी मामलाें की पैरवी कर चुके हैं।
पंजाब के नए एडवोकेट जनरल के लिए हाई कोर्ट में चल रहे पंजाब के हजारों करोड़ के ड्रग रैकेट सहित बेअदबी मामले, पूर्व डीजीपी सैनी समेत कई मामलों में पंजाब सरकार का बचाव करना एक बड़ी चुनौती रहेगी । पंजाब सरकार इन मामलों को लेकर पहले कड़ी कार्रवाई के आदेश दे चुकी है और यह सभी मामले हाई कोर्ट में विचाराधीन हैं। ऐसे में नए नियुक्त होने वाले एजी पर ही इन मामलों में पंजाब सरकार का मजबूती से पक्ष रखना और सरकार की उम्मीदों के अनुसार परिणाम लाना चुनौती होगी।