चंडीगढ़ में मिल्खा सिंह के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे राजनितिक पार्टियों के नेता, दोस्त और फैंस
Milkha singh passed away उड़नसिख पद्मश्री मिल्खा सिंह (Flying Sikh Milkha Singh) को श्रद्धांजलि देने के लिए सेक्टर-8 स्थित उनके घर के बाहर उनके चाहने वालों का तांता लगने लगा है। सुबह से ही उनके घर के बाहर उनके चाहने वाले पहुंचने लगे हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। Milkha singh passed away: उड़नसिख पद्मश्री मिल्खा सिंह (Flying Sikh Milkha Singh) को श्रद्धांजलि देने के लिए सेक्टर-8 स्थित उनके घर के बाहर उनके चाहने वालों का तांता लगने लगा है। सुबह से ही उनके घर के बाहर उनके चाहने वाले पहुंचने लगे हैं। ऐसे में पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल (Punjab Finance Minister Manpreet Singh Badal) भी मिल्खा सिंह के घर दोपहर करीब 12 बजे उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
वहीं, शिरोमणि अकाली दल के नेता और पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया और पूर्व मंत्री डॉ डीएस चीमा भी मिल्खा सिंह के अंतिम दर्शनों के लिए उनके घर करीब दोपहर 2 बजे पहुंचे।
मिल्खा सिंह के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे शिरोमणि अकाली दल के नेता और पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया और पूर्व मंत्री डॉ. डीएस चीमा।
मनप्रीत बादल ने कहा की मिल्खा सिंह का जाना देश के लिए बड़ी क्षति है। उन जैसे व्यक्तित्व बहुत कम मिलते हैं। उन्होंने कहा कि वैसे तो हर रोज लाखों लोग दुनिया को छोड़ कर चले जाते हैं लेकिन मिल्खा सिंह जैसे लोग अपने व्यक्तित्व की बदौलत हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं। ऐसे लोगों को दुनिया कभी भूल नहीं पाती। उन्होंने मिल्खा सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
मिल्खा सिंह के दोस्त प्रो. केदारनाथ शर्मा भी मिल्खा सिंह के घर पहुंचे।
मिल्खा सिंह के दोस्त प्रो. केदारनाथ शर्मा उनके अंतिम दर्शनों के लिए उनके घर पहुंचे। केदारनाथ शर्मा ने कहा कि वह मिल्खा सिंह को साल 1948 से जानते थे बंटवारे के बाद जब उनका परिवार भारत आया था तो मिल्खा सिंह उन्हें एक बार सोलन में मिले थे। उस वक्त नौजवान थे पतले से और लंबे से थे। मैं मिल्खा सिंह को देख रहा था कि यह लंबा सा लड़का किसे ढूंढ रहा है बाद में मैंने मिल्खा सिंह से बात की और तब से हमारी दोस्ती शुरू हो गई।
मिल्खा सिंह के प्रशसंक ऑटो ड्राइवर अनिल कुमार ।
1947 में बंटवारे के वक्त मिल्खा सिंह के परिवार के कई सदस्य मारे गए थे। जिसमें उनके माता-पिता भी शामिल थे। मिल्खा सिंह ने कहा था कि जब वह दौड़ते हैं तो उन्हें कुछ भी नहीं दिखता। उन्हें ऐसी आवाजें आती हैं जैसे उनकी मां बंटवारे के वक्त चिल्ला रही थी कि भाग मिल्खा भाग मुझे दौड़ते वक्त आज भी वही आवाजें सुनाई देती हैं और मैं दौड़ने में पूरी जान लगा देता हूं।
केदारनाथ शर्मा ने कहा कि मिल्खा सिंह देश के सबसे बड़े धावक हैं उन्होंने बहुत से अंतरराष्ट्रीय इनाम जीते। लेकिन वह जमीन से जुड़े इंसान थे उन्हें देखकर कभी ऐसा लगता ही नहीं था कि वे इतने बड़े व्यक्ति हैं।