पंजाब के छह जिलों से मोहाली पहुंचे किसान, चंडीगढ़ में सीएम आवास घेरने निकले किसानों को पुलिस ने रोका

पंजाब के सीमावर्ती जिलों के सैकड़ों किसान बुधवार को अपनी मांगों को लेकर मोहाली पहुंच गए। यह सभी किसान चंडीगढ़ स्थित पंजाब मुख्यमंत्री आवास को घेराव करने जा रहे थे लेकिन चंडीगढ़ बार्डर पर गीता भवन मंदिर के पास पुलिस ने किसानों को रोक लिया।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 04:34 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 04:34 PM (IST)
पंजाब के छह जिलों से मोहाली पहुंचे किसान, चंडीगढ़ में सीएम आवास घेरने निकले किसानों को पुलिस ने रोका
मोहाली पहुंचे किसानों ने सड़क के बीचों बीच बैठकर नारेबाजी की।

रोहित कुमार, मोहाली। पंजाब के सीमावर्ती जिलों के सैकड़ों किसान बुधवार को अपनी मांगों को लेकर मोहाली पहुंच गए। यह सभी किसान चंडीगढ़ स्थित पंजाब मुख्यमंत्री आवास को घेराव करने जा रहे थे लेकिन चंडीगढ़ बार्डर पर गीता भवन मंदिर के पास पुलिस ने किसानों को रोक लिया। हाथ में झंडे लिए किसान वहीं मौके पर ही धरना देने बीच सड़क पर बैठ गए और पंजाब सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी करने लगे।

किसानों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह झूठे वायदे करते हैं। पंजाब बार्डर एरिया किसान वेलफेयर सोसायटी अमृतसर के अध्यक्ष रघुबीर सिंह बघाला ने बताया कि पठानकोट, बटाला, फाजिल्का, गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन के किसान पंजाब की कैप्टन सरकार के झूठे वायदों से परेशान हैं। उक्त जिलों के किसानों की सीमापार जमीन है जिस पर वे खेती करने के लिए जाते हैं, लेकिन जंगली जानवर खेती को खराब कर देते हैं। किसानों के लिए दस हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा तय कर रखा है। जिनमें से पांच हजार केंद्र और पांच राज्य सरकार देती है, लेकिन 2017 से किसानों को किसी तरह का मुआवजा नहीं दिया गया। जबकि केंद्र की ओर से अपने हिस्से का पैसा राज्य को भेजा जा चुका है।

किसान नवरीत सिंह, लखविंदर सिंह ने आरोप लगाया कि केंद्र की ओर से भेजे गए पैसे को दूसरे कामों में लगा दिया। किसानों ने बताया कि 21000 किले से ज्यादा जमीन सीमा पार है जिस पर किसान खेती करने जाते हैं। खेती करने वाले किसानों की मुश्किलें बेहद ज्यादा हैं। पूरा समय काम नहीं करने दिया जाता। सख्ती बरती जाती है। किसानों ने मांग की कि पिछले चार साल की बकाया राशि जल्द से जल्द जारी की जाए। किसानों ने कहा कि वे एक हैं और अपनी मांगों को लेकर संघर्ष करते रहेंगे।

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