पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय कमेटी के सामने भी रखी थी विधायकों के बेटों की नौकरियों की फाइल
Punjab Government Job to MLA Son Case update पंजाब में विधायकों के बेटों को नौकरी देने का मामला राजनीतिक रूप से गरमाया हुआ है। कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपनी ही पार्टी में भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। पंजाब में कांग्रेस के कलह को दूर करने के लिए गठित केंद्रीय कमेटी के समक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह जो फाइलों का पुलिंदा लेकर गए थे, उनमें विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा और राकेश पांडे के बेटों को नौकरी देने की फाइलें भी थीं।
यह माना जा रहा है कि यह नौकरियां देकर वे पार्टी हाईकमान के सामने विधायकों की पोल खोलने की रणनीति के तहत कैप्टन आगे बढ़े थे, ताकि यह बता सकें कि उन पर किस प्रकार के अनधिकृत कामों का दबाव बनाया जाता है। इसी दरम्यान कैप्टन ने इन दोनों को नौकरी की फाइलों को क्लीयर भी कर दिया। इसके बाद 18 जून को कैबिनेट बैठक में पांच मंत्रियों के विरोध के बाजवूद विधायकों के बेटों को नौकरी का प्रस्ताव पारित हुआ।
पार्टी के उच्चस्तरीय सूत्र बताते हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस फैसले से पार्टी हाईकमान भी नाखुश है। कैप्टन भले ही अपने फैसले को लेकर बचाव कर रहे हैं और अब कई मंत्री व सांसदों ने भी सरकार के इस कदम को सही ठहराया है, लेकिन कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ से लेकर कई विधायकों ने खुलकर सरकार के इस फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है। फैसले का विरोध पहली बार चुनाव जीते विधायक भी कर रहे हैं। जितना विरोध विपक्षी पार्टियां कर रही हैं, उससे ज्यादा विरोध कांग्रेस में शुरू हो गया है।
बता दें, विधायकों के बेटों को नौकरी देने के मामले में पंजाब में राजनीति गरमाई हुई है। न सिर्फ विपक्षी दल बल्कि कांग्रेस के अंदर भी इसको लेकर घमासान मचा हुआ है। पार्टी के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ तक इस पर आपत्ति जता चुके हैं। गत दिवस पार्टी विधायक परगट सिंह ने भी इन नौकरियों को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधा था। नवजोत सिंह सिद्धू भी कह रहे हैं कि यह गलत है।