IPS कुंवर विजय प्रताप के इस्तीफे पर राजी हुए पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह, जानें क्या है मामला

पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह आइपीएस कुंवर विजय प्रताप सिंह के इस्तीफा देने के फैसले पर सहमत हो गए हैं। कुंवर विजय प्रताप ने सीएम को इस्तीफा दिया था लेकिन पहले कैप्टन कैप्टन उनके इस्तीफे को स्वीकर करने के लिए राजी नहीं थे।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 04:19 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 04:19 PM (IST)
IPS कुंवर विजय प्रताप के इस्तीफे पर राजी हुए पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह, जानें क्या है मामला
आइपीएस अफसर कुंवर विजय प्रताप सिंह की फाइल फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। कोटकपूरा गोलीकांड की जांच कर रहे स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) के प्रमुख आइजी कुंवर विजय प्रताप सिंह ने अंततः मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने इस्तीफे पर रजामंद कर लिया है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा SIT की जांच रिपोर्ट को खारिज करने व नई SIT में कुंवर विजय प्रताप को शामिल न करने का फैसला दिया था। इसके बाद कुंवर ने 12 अप्रैल को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस्तीफा दिया था। मुख्यमंत्री ने भले ही दबंग पुलिस अधिकारी का इस्तीफा अस्वीकार कर दिया, लेकिन कुंवर ने अंततः अपने इस्तीफे को स्वीकार करने के लिए उन्हें मना ही लिया। इस बात की पुष्टि खुद कुंवर विजय प्रताप ने की है।

इस बीच, कुंवर विजय प्रताप ने शुक्रवार को राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर से भी मुलाकात की। हालांकि उन्होंने इस मुलाकात को एक सामान्य प्रक्रिया बताया। कुंवर का कहना है कि वह हरेक महीने एक अधिकारी होने के नाते राज्यपाल से मिलते हैं। आज भी वह उसी रुटीन प्रोसेस के तहत राज्यपाल से मिलने के लिए आए हुए हैं। वहीं, हालांकि चर्चा यह है कि आज की मुलाकात सामान्य नहीं थी। कुंवर अपने इस्तीफे को लेकर चर्चा करने के लिए ही राज्यपाल के पास पहुंचे हुए थे।

1988 बैच के पुलिस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप की एक दबंग अफसर की छवि है। बतौर एसएसपी कुंवर विजय प्रताप ने अमृतसर में 2002 में बहुचर्चित किडनी कांड का पर्दाफाश किया था। अक्टूबर 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद फरीदकोट के कोटकपूरा में पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मृत्यु के मामले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने SIT का गठन किया था। कुंवर को इस SIT का प्रमुख बनाया गया था। SIT प्रमुख बनाए जाने के बाद ही अकाली दल ने कुंवर का खासा विरोध किया था। अकाली दल के दबाव में 2019 चुनाव आयोग ने कुंवर को SIT से बाहर कर दिया था।

हाई कोर्ट द्वारा SIT की रिपोर्ट को खारिज करने के बाद कुंवर ने इस्तीफा दे दिया था। आरोप लग रहे थे कि पंजाब सरकार के लीगल सेल ने सही ढंग से हाई कोर्ट में केस को नहीं रखा। हालांकि इसे लेकर एडवोकेट जनरल अतुल नंदा भी विरोधियों के निशाने पर थे। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बाद में स्पष्ट किया था कि कोटकपूरा और बहिबल कलां गोलीकांड के मामलों के लिए एडवोकेट जनरल बचाव पक्ष में शामिल भी नहीं थे।

इस मामले में सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा, सीनियर एडवोकेट हरीन रावल और दिल्ली से अन्य वकीलों के नेतृत्व वाली विशेष कानूनी टीम पैरवी कर रही थी। कैप्टन ने स्पष्ट किया था कि गोली कांड के मामलों की जांच के लिए लीगल टीम पर कुंवर विजय प्रताप सिंह के नेतृत्व वाली SIT को भी पूरा भरोसा है।

वहीं, कुंवर ने कहा कि पिछले तीन दिनों में उनकी तीन-चार बार मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई। मुख्यमंत्री ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन वह मुख्यमंत्री को बनाने में कामयाब रहे। कुंवर के इस कथन से यह तय हो गया है कि कुंवर विजय प्रताप की पंजाब पुलिस से रवानगी पक्की हो गई है। वह अब पंजाब पुलिस को अपनी सेवाएं नहीं देंगे। 

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