पंजाब कैबिनेट ने कृषि कानून वापस लेने का प्रस्‍ताव पास किया, कहा- केंद्र ऐसे कानून नहीं बना सकता

पंजाब कैबिनेट की बैठक में केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की गई। इस संबंध में एक प्रस्‍ताव पारित किया गया। पंजाब कैबिनेट ने क‍हा कि इस तरह के कानून बनाने का केंद्र सरकार को अधिकार नहीं था।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 06:04 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 08:39 AM (IST)
पंजाब कैबिनेट ने कृषि कानून वापस लेने का प्रस्‍ताव पास किया, कहा- केंद्र ऐसे कानून नहीं बना सकता
पंजाब कैबिनेट की चंडीगढ़ में बैठक हुई। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। Punjab Cabinet meeting: पंजाब कैबिनेट ने केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए प्रस्ताव पास किया। वीरवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह प्रस्‍ताव पास किया गया। पंजाब कैबिनेट ने कहा कि इस तरह के कानून बनाने का केंद्र सरकार को अधिकार ही नहीं था।

कैबिनेट की बैठक में किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गई। इसी के साथ कैबिनेट ने प्रस्ताव पारित किया कि जो कानून केंद्र सरकार को बनाने के अधिकार नहीं था, उसे वापस लेना चाहिए। कैबिनेट का कहना है कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र को ये कानून वापस ले लेने चाहिए। कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ भी इस बैठक में विशेष रूप से शामिल हुए।

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कैबिनेट की बैठक तकरीबन 2.30 घंटे तक चली। बैठक में किसान आंदोलन को लेकर विस्‍तार से चर्चा की गई। मंत्रियों ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों की मांग को स्‍वीकार कर तीननों कृषि सुधार कानून वापस ले लेने चाहिए। ये कानून किसानों के हित में नहीं हैं।

मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार पूरी तरह से किसानों के साथ है। पंजाब के किसानों को केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों से सबसे ज्‍यादा नुकसान होगा। यही कारण है कि वे इन कानूनों के खिलफ मुखर हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को किसानों की भावनाओं का आदर करते हुए इनको वापस ले ले।

बता दें कि बैठक में किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमेटी बनाने पर भी चर्चा की गई। पंजाब विधानसभा में पहले भी कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ प्रस्‍ताव पारित किए जा चुके हैं ओर इनको वापस लेने की मांग की जा चुकी है। भाजपा के नेता आरोप लगाते रहे हैंं कि कांग्रेस और पंजाब सरकार का किसानों के आंदोलन में हाथ है।

एमएसपी बने कानूनी अधिकार

कैबिनेट बैठक में कहा गया कि केंद्र सरकार के बनाए गए कृषि सुधार कानून देश विरोधी और खाद्य सुरक्षा विरोधी हैं, इन कानूनों को रद करने के सिवा कुछ भी मंजूर नहीं है। कैबिनेट बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए मंत्रिमंडल ने कहा कि केंद्र सरकार जमीनी हकीकत से कोसों दूर है। कानून रद होने पर ही वर्तमान समस्या का निपटारा संभव है। मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार से मांग की कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को किसानों के लिए कानूनी अधिकार बनाया जाए।

मंत्रिमंडल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी संघर्षशील किसानों की चिंताओं को माना है और उनके दर्द को प्रमाणित किया है। केंद्र सरकार को इस मसले को प्रतिष्ठा और अभिमान का सवाल नहीं बनाना चाहिए क्योंकि अगर यह मुद्दा न सुलझा तो कई दशकों तक देश को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अगर केंद्र सरकार कानूनों में बदलाव कर सकती है तो उन्हें वापस क्यों नहीं ले सकती।

मंत्रिमंडल ने कहा कि क्योंकि भारत के संविधान के अंतर्गत कृषि, प्रांतीय विषय है इसलिए यह कानून तुरंत रद किए जाएं। एक प्रस्ताव पारित कर कहा गया कि कृषि सुधार कानूनों को लेकर सभी संबंधित पक्षों के साथ विस्तृत संवाद करने और विचार-चर्चा किए जाने की जरूरत है। क्योंकि, इन कानूनों के साथ देश के लाखों किसानों के भविष्य पर प्रभाव पड़ा है। किसानों की सभी जायज मांगें मानी जानी चाहिएं। इससे पहले बैठक की शुरुआत में किसान आंदोलन में मारे गए किसानों को दो मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि दी गई। अब तक 78 किसानों की मौत हो चुकी है।

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