केंद्र सरकार की ऑक्सीजन आवंटन नीति पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उठाए सवाल, केंद्र को फटकारा

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की ऑक्सीजन आवंटन नीति पर सवाल उठाए। कहा कि केंद्र सरकार पंजाब हरियाणा और चंडीगढ़ के साथ सौतेला व्यवहार न करे। सरकार तत्काल अपनी ऑक्सीजन आवंटन नीति पर पुनर्विचार करे।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 09:09 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 12:29 PM (IST)
केंद्र सरकार की ऑक्सीजन आवंटन नीति पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उठाए सवाल, केंद्र को फटकारा
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की ऑक्सीजन आवंटन नीति पर सवाल उठाते हुए फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने कहा कि हालत बेहद खराब हो रहे हैं और ऐसे हालात में केंद्र सरकार पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के साथ सौतेला व्यवहार न करे और तत्काल अपनी ऑक्सीजन आवंटन नीति पर पुनर्विचार करे।

जस्टिस राजन गुप्ता एवं जस्टिस करमजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश कोरोना के मौजूदा हालात पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दिए हैं। शुक्रवार को सुनवाई शुरू होते ही पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ तीनों ने ही अपने राज्यों में कोरोना मरीजों के इलाज में ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा उठाया और बताया की उन्हें दूर-दराज से ऑक्सीजन मंगवाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इसमे समय लगता और जबकि मरीजों के पास समय नहीं है।

इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्र इस पर गौर करे क्योंकि यह तो तय है कि दूरदराज से ऑक्सीजन हवाई जहाज के जरिये नहीं लाई जा सकती है। ऑक्सीजन ज्वलनशील पदार्थ है जिसे सिर्फ रेल और सड़क मार्ग से लाया जा सकता है। केंद्र को इस पर तत्काल गौर करना चाहिए।

पंजाब ने कहा, ऑक्सीजन, दवाओं और वैक्सीन की कमी

पंजाब की ओर से एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने हाई कोर्ट को बताया कि कोरोना की मौजूदा स्थिति में उन्हें 300 टन ऑक्सीजन की जरूरत है लेकिन केंद्र ने उन्हें सिर्फ 227 टन ही आवंटित की है जो काफी कम है। उन्हें ऑक्सीजन भी दूरदराज से मंगवानी पड़ रही है। इसके लिए उनके पास पर्याप्त क्रायोजेनिक टैंकर्स भी नहीं हैं, मौजूदा हालातों मैं उन्हें 50 टैंकर की जरूरत है, जिसमे से उन्हें सिर्फ दो ही केंद्र सरकार की ओर से मिले हैं। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि उन्हें वैक्सीन भी पूरी सप्लाई नहीं हुई है उन्हें 32 लाख डोज की तत्काल जरुरत है। वह वैक्सीन के लिए सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक से इस बारे मैं आग्रह भी कर चुके हैं।

हरियाणा ने कहा हमारे पानीपत प्लांट की क्षमता 260 टन, हमें ही नहीं दी जा रही पूरी ऑक्सीजन

हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि राज्य के अस्पताल इस समय ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं जबकि उनके पानीपत प्लांट की ऑक्सीजन की क्षमता ही 260 मीट्रिक टन है, लेकिन उनके ही राज्य के इस प्लांट से उन्हें ही पूरी ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। यहां से दिल्ली,पंजाब, और अन्य पडो़सी राज्यों को ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही है। इस प्लांट से राज्य का कोटा भी कम कर 20 मीट्रिक टन कर दिया गया है।हरियाणा ने यह भी कहा कि उसका जो कोटा है, वह भी उसे पूरा नहीं मिल रहा।

ऑक्सीजन की घर में सप्लाई सुरक्षित नहीं

हाई कोर्ट को बताया गया कि ऑक्सीजन की घरों में सप्लाई सही नहीं है, क्योंकि ऑक्सीजन बेहद ही ज्वलनशील पदार्थ है और इसका इस्तेमाल विशेषज्ञ की निगरानी में ही किया जाना चाहिए। इसे घरों में बिना विशेषज्ञों की निगरानी में इस्तेमाल करना घातक हो सकता है। ऐसे में हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर घर में जो मरीज ऑक्सीजन की सपोर्ट पर हैं उन्हें घर में ऑक्सीजन की सप्लाई के जो आदेश दिए हैं उन आदेश में संशोधन किए जाने की हाई कोर्ट से मांग की गई है।

रक्षक की जगह भक्षक बने लोगों पर हो कार्रवाई

हाई कोर्ट ने कहा कि कोरोना की इस घातक महामारी में कई लोग ऐसे हैं जो अपना जीवन दांव पर लगा पीडि़तों की सेवा में जुटे हैं और दूसरों की मदद के लिए हर संभव प्रयास भी कर रहे हैं। ऐसे लोगों की सराहना की जानी बेहद जरुरी है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस घातक महामारी में परभक्षी बन दूसरों को नोचने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहते हैं। हाईकोर्ट पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और केंद्र सरकार को खुली छूट देता है है कि वह ऐसे भक्षक लोगों से सख्ती से निपटें।

वायरस को कम न समझें

कोविड -19 के कारण चिंताजनक स्थिति को लेकर ,हाई कोर्ट विषाणु के विषैलेपन को कम आंकने की गलती नहीं की जानी चाहिए। हाई कोर्ट ने ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक रणनीति तैयार करने पर जोर देते हुए,कहा कि सरकारों को चिकित्सा देखभाल और सहायता के लिए संवेदनशील होने की जरूरत है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस वायरस के विषैलेपन को कम आंकने के लिए एक गलती होगी क्योंकि विज्ञानी इसके अप्रत्याशित व्यवहार पर हैरान हैं। यह धीरे-धीरे मानव शरीर में प्रवेश करता है और नुकसान का कारण बनता है, जिस कारण फेफड़े सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। ऐसी स्थिति में, ऑक्सीजन की उपलब्धता के संबंध में विशेष नीति तैयार करने की आवश्यकता है।

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