किसानों से ठगी मामले पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की टिप्पणी, फसल का पैसा हड़पने वाले राहत के हकदार नहीं

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने किसानों से ठगी करने के आरोपित आढ़ती व उसकी पत्नी की अग्रिम जमानत याचिका पर कहा कि किसानों का पैसा हड़पने वालों को अग्रिम जमानत का लाभ देना किसानों के साथ अन्याय होगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 01:07 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 01:07 PM (IST)
किसानों से ठगी मामले पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की टिप्पणी, फसल का पैसा हड़पने वाले राहत के हकदार नहीं
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने किसानों से ठगी करने वाले एक आढ़ती दंपती को अग्रिम जमानत देने से इन्कार करते हुए साफ कर दिया है कि जो किसान की फसल की कीमत हड़पता है उसे अग्रिम जमानत का लाभ देना किसानों के साथ बहुत अन्याय होगा। हाई कोर्ट के जस्टिस एचएस मदान ने यह टिप्पणी संगरूर के अहमदगढ़ निवासी विजय कुमार व उसकी पत्नी दर्शना रानी की गिरफ्तारी पर रोक की मांग को खारिज करते हुए की।

आरोपित विजय कुमार और उसकी पत्नी दर्शना रानी के खिलाफ पुलिस स्टेशन अहमदगढ़, संगरूर में किसानों की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि विजय कुमार और उसकी पत्नी दर्शनी रानी सहित पूरा परिवार गांव लसोई में कमीशन एजेंट के रूप में काम कर रहा था। आरोपितों ने धान की फसल खरीदी थी, लेकिन जे फार्म के अनुसार संबंधित किसानों को भुगतान नहीं किया। हालांकि आढ़ती ने सरकार से किसानों द्वारा बेची गई फसल का पैसा ले लिया गया, लेकिन किसानों को यह राशि नहीं दी। विजय कुमार पर आरोप लगाया गया है कि उसने 70 लाख रुपये की कुल राशि में से 28 लाख रुपये का भुगतान किया था। इतना ही नही पहले की फसल के बकाया के साथ किसानों के साथ लगभग 87 लाख की धोखाधड़ी की गई।

शिकायतकर्ताओं द्वारा यह भी आरोप लगाया गया कि आरोपितों के पास काफी संपत्ति है जो उन्होंने किसानों के साथ ठगी करके हासिल की है। इस मामले में 29 दिसंबर, 2020 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, संगरूर द्वारा आरोपितों की गिरफ्तारी से पहले जमानत याचिका खारिज कर दी गई, जिसके बाद वे गिरफ्तारी से बचने के लिए हाई कोर्ट आए हैंं।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि गांवों में सामान्य व्यवहार के अनुसार, किसानों को समय-समय पर कमीशन एजेंट से पैसा मिलता है जो कि आखिरकार किसानों द्वारा बेची जाने वाली फसलों की कीमत के रूप में एजेंसी द्वारा किसानों को बेची जाने वाली धनराशि से समायोजित किया जाता है। याचिकाकर्ता की तरफ कोई बकाया नहीं है। याची दंपती वृद्ध और बीमार है तथा वो जांच में शामिल होने केे लिए तैयार है।

जस्टिस मदान ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप हैंं। उनकी वृद्धावस्था या बीमारी की दलील गिरफ्तारी और हिरासत से बचने में उनकी मदद नहीं कर सकती। किसानों की कड़ी मेहनत का पैसा गलत तरीके से हड़प कर बड़ी संपत्ति बनाने को अनदेखा नहीं किया जा सकता। कड़ी मेहनत से फसल उगाकर अगर किसान को उसकी फसल का दाम न मिले तो यह अन्याय होगा। ऐसे आरोपित लोगोंं की गिरफ्तारी पर रोक लगाकर किसानों के साथ अन्याय होगा, इसलिए हाई कोर्ट यह याचिका खारिज करता है, क्योंकि किसानों की फसल का पैसा हड़पने वाले राहत के हकदार नहीं।

chat bot
आपका साथी