Private School's को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से झटका, वेबसाइट पर अपलोड करनी ही होगी आय-व्यय की बैलेंसशीट

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से चंडीगढ़ के निजी स्कूलों को बड़ा झटका लगा है। निजी स्कूलों को वेबसाइट पर आय व्यय संबंधी बैलेंसशीट अपलोड करनी हुई होगी। निजी स्कूलों ने चंडीगढ़ प्रशासन के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 28 May 2021 11:55 AM (IST) Updated:Sat, 29 May 2021 07:19 AM (IST)
Private School's को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से झटका, वेबसाइट पर अपलोड करनी ही होगी आय-व्यय की बैलेंसशीट
निजी स्कूलों को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से झटका। फाइल फोटो

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ के निजी स्कूलों को झटका देते हुए प्रशासन के उस आदेश पर अपनी मुहर लगा दी है जिसके तहत प्रशासन ने निजी स्कूलों को बैलेंसशीट वेबसाइट पर अपलोड करने के आदेश दिए थे।

जस्टिस जसवंत सिंह एवं जस्टिस संत प्रकाश की खंडपीठ ने इंडिपेंडेंट स्कूल्ज एसोसिएशन जिसमें सहित शहर के कई निजी स्कूलों की याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि ऐसे ही एक मामले में हाई कोर्ट की फुल बेंच यह तय कर चुकी है कि शिक्षा कोई व्यवसाय नहीं है। इसका प्राथमिक उदेश्य समाज के प्रति सेवा है और उसके बाद ही स्कूल अपनी आय के बारे में सोचें। अधिक फीस तय करने से स्कूल अपने प्राथमिक उद्देश्य से भटक सकते हैं। ऐसे में इन पर लगाम लगाना बेहद जरूरी है, इसलिए यह प्रावधान बनाया गया है।

लिहाजा हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा निजी स्कूलों को अपनी वेबसाइट पर बैलेंसशीट अपलोड करने के जो आदेश दिए थे उन्हें सही करार दिया है और नई स्कूलों को अपनी बैलेंस शीट वेबसाइट पर अपलोड करने के आदेश दे दिए हैं। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को आदेश दिए हैं कि वह इन स्कूलों को बैलेंस सहित अपलोड करने के लिए कुछ समय दे, ताकि यह तय समय में अपनी बैलेंसशीट अपलोड कर सकें।

इस मामले में इंडिपेंडेंट स्कूल्स एसोसिएशन सहित शहर के निजी स्कूलों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि पंजाब सरकार ने वर्ष 2016 में पंजाब रेगुलेशन ऑफ फीस ऑफ अनएडेड एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन एक्ट बनाया था। इस एक्ट को 2018 में लागू कर रेगुलेटरी बॉडी गठित कर दी गई। इस एक्ट के तहत चंडीगढ़ प्रशासन ने पिछले साल 24 अप्रैल को इस एक्ट में मोडिफिकेशन कर इस एक्ट के सेक्शन-5 के क्लॉज-4 के तहत निजी स्कूलों को अपनी आय और खर्च के पूरे ब्यौरे की बैलेंसशीट वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दे दिए थे।

याचिकाकर्ता संस्था का कहना है कि कोविड-19 के कारण स्कूल पहले ही काफी आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं, ऐसे में अब उन्हें डर है कि प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है, जबकि उनके स्कूलों की पूरी अकाउंट स्टेटमेंट पहले ही सम्बंधित अथॉरिटी के पास है। इस मामले में केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ प्रशासन का बचाव करते हुए कहा था कि केंद्र के पास यह अधिकार है कि वह किसी भी एक्ट में संशोधन और बदलाव के साथ उसे लागू कर सकती है, ऐसे में निजी स्कूलों की दलील कि पंजाब के एक्ट में बदलाव कर इसे चंडीगढ़ में लागू कर दिया गया पूरी तरह से गलत है।

जब निजी स्कूल छात्रों के अभिभावकों से ली गई फीस पर ही चलते हैं तो अभिभावकों को ये अधिकार है कि वह स्कूल की बैलेंस शीट देख सकें। वहीं, प्रशासन ने कहा था कि चंडीगढ़ प्रशासन ने पंजाब के फीस रेगुलेटरी एक्ट को 2018 में लागू किया था। जिसके तहत निजी स्कूलों को 8 प्रतिशत से अधिक की फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाई गई थी, साथ ही इस एक्ट के तहत स्कूलों को निर्देश दिए गए थे कि वह अपने वार्षिक खर्च और आय की बैलेंसशीट अपलोड करेंगे। दो वर्षों तक किसी भी निजी स्कूल ने इस एक्ट को चुनौती नहीं दी। अब दो वर्षों बाद निजी स्कूल इसे चुनौती दे रहे हैं जो सही नहीं है, जबकि शहर के 40 के करीब निजी स्कूल अपनी बैलेंसशीट अपलोड कर चुके हैं।

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