कुलपति ने सीनेटर डा. तरुण घई की सदस्यता रद करने के जारी किए आदेश
पीयू की नई सीनेट के गठन का विवाद फिलहाल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पीयू की नई सीनेट के गठन का विवाद फिलहाल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कालेज फार गर्ल्स (जीसीजी-11) के शिक्षक डा. मनोज कुमार की शिकायत पर कुलपति प्रो. राजकुमार ने हाई कोर्ट के निर्देशों पर सुनवाई करते हुए सीनेटर का चुनाव जीतने वाले डा. तरुण घई के चयन को गलत करार देते हुए उनकी सीनेट के तौर पर मान्यता को नोटिफिकेशन से पहले ही रद कर दिया है।
कुलपति के इस बड़े कदम के बाद अब पीयू सीनेट की नोटिफिकेशन फिर से अधर में लटक सकती है। पूरे मामले में कुलपति की ओर से दिए गए फैसले में यह भी स्पष्ट किया गया है कि वेटिग लिस्ट के उम्मीदवार डा. मनोज कुमार को विजेता घोषित नहीं किया जा सकता।
पंजाब यूनिवर्सिटी के इस फैसले से सीनेट के गठन में देरी होना तय माना जा रहा है। उधर, पीयू कुलपति के फैसले को लेकर मामले में शिकायत करने वाले डा. मनोज कुमार फिर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। यह है पूरा मामला
असिस्टेंट प्रोफेसर डा. तरुण घई एसपीएन कालेज मुकेरियां पंजाब में एक अगस्त 2014 से असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे। कालेज प्रबंधन ने 23 जून 2021 को डा. घई की सेवाएं समाप्त कर दी। तरुण घई ने पीयू एफिलिएटेड आर्ट्स कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर चुनाव क्षेत्र से 18 अगस्त 2021 को चुनाव लड़ा और 20 अगस्त को घोषित रिजल्ट में छठे स्थान पर रहते हुए चुनाव जीत लिया। चुनाव लड़ने के समय तरुण घई किसी भी कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं थे, लेकिन पीयू ने उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति दी और बाद में उन्हें विजेता घोषित कर दिया। इसे डा. मनोज कुमार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। पीयू प्रशासन को पहले से ही डा. तरुण घई की चुनाव में अयोग्य होने की जानकारी थी, फिर भी उन्हें विजेता घोषित कर दिया गया। इस मामले में मैं फिर से पीयू कुलपति को मेरे आवेदन को स्वीकार करने का पत्र दूंगा। जरूरत पड़ी तो कोर्ट का विकल्प भी खुला है।
- डा. मनोज कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कालेज फार गर्ल्स-11 चंडीगढ़ पीयू कुलपति की ओर से लिया गया फैसला पूरी तरह से गलत है। वीसी ने कोर्ट में एफिडेविट दिया था कि मेरी टर्मिनेशन कालेज प्रबंधन द्वारा पूरी तरह से गलत तरीके से की गई है। तीन से चार साल पहले नौकरी से बर्खास्त 10 से 12 कालेज टीचर्स ने भी चुनाव में वोटिग की है। क्या यह गलत नहीं था। रविवार को आगे की कार्रवाई के बारे में बताऊंगा।
- डा. तरुण घई