चंडीगढ़ में पीयू रिसर्च स्कालर किसान के बेटे को यंग साइंटिस्ट अवार्ड, इंटरनेशनल स्तर पर प्रकाशित हो चुके हैं 80 से अधिक शोधपत्र

चंडीगढ़ में पीयू स्थित प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आफ फार्माश्यूटिकल साइंसेस (यूआइपीएस) में युवा साइंटिस्ट को प्रतिष्ठित यंग साइंटिस्ट अवार्ड-2020 के लिए चुना गया है। देश भर के हजारों साइंटिस्ट में से चुनकर गजानंद शर्मा को यह सम्मान मिला है।

By Edited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 07:17 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 11:53 AM (IST)
चंडीगढ़ में पीयू रिसर्च स्कालर किसान के बेटे को यंग साइंटिस्ट अवार्ड, इंटरनेशनल स्तर पर प्रकाशित हो चुके हैं 80 से अधिक शोधपत्र
साइंटिस्ट गजानंद शर्मा को इंस्टीट्यूट आफ स्कालर्स की ओर से यंग साइंटिस्ट अवार्ड-2020 के लिए चुना गया है।

चंडीगढ़ [डा. सुमित सिंह श्योराण]। जिंदगी में हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, लेकिन मजबूत जज्बे और हौसले से ही सफलता हासिल होती है। पंजाब यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कालर और युवा सांइटिस्ट ने यह साबित कर दिखाया है। पीयू स्थित प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आफ फार्माश्यूटिकल साइंसेस (यूआइपीएस) में युवा साइंटिस्ट को प्रतिष्ठित यंग साइंटिस्ट अवार्ड-2020 के लिए चुना गया है। देश भर के हजारों साइंटिस्ट में से चुनकर गजानंद को यह सम्मान मिला है। 35 साल के गजानंद शर्मा की प्रतिभा के सामने जीवन में कई मुश्किलें बौनी पड़ गई। गजानंद के अभी तक 80 से अधिक शोधपत्र विभिन्न इंटरनेशनल शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। अवार्ड की घोषणा के बाद दैनिक जागरण से बातचीत में गजानंद शर्मा ने बताया कि यह अवार्ड उनकी सालों की कड़ी मेहनत का फल है।

उन्होंने कहा कि वह चमड़ी और गठिया (जोड़ों के दर्द) पर कुछ खास रिसर्च करना चाहते हैं, ताकि इस बीमारी से लाखों लोगों को निजात मिल सके। चमड़ी रोग पर कर रहे शोध पीयू यूआइपीएस में रिसर्च साइंटिस्ट गजानंद बीते आठ वर्षों से शोध कार्य से जुड़े हैं। इन्होंने जोड़ों के दर्द से राहत के लिए पीयू के ही सीनियर साइंटिस्ट के साथ मिलकर खास जैल भी तैयार की है। जिसके पेटेंट के लिए आवेदन भी हो चुका है। देश भर में 55 फीसद से अधिक लोग जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं।

शर्मा गठिया बा और चमड़ी रोग पर विशेष तौर पर शोध कर रहे हैं।

भिवानी में पिता ने खेती कर बनाया काबिल

गजानंद शर्मा हरियाणा के भिवानी जिले के चहड़कलां गांव के मूल निवासी है। छोटे से गांव से निकलकर गजानंद ने रिसर्च में लंबा सफर तय किया है। बीते आठ सालों से गजानंद फामास्यूटिकल फिल्ड में शोध में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि पिता ईश्वर खेती करते हैं। उन्होंने कहा कि जिंदगी में कई बार काफी मुश्किल समय रहा, लेकिन परिवार ने हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

2020 में मिल चुकी है प्रतिष्ठित रिसर्च एसोसिएट फेलोशिप

गजानंद स्कूल स्तर से ही काफी प्रतिभाशाली स्टूडेंट रहे हैं। एमडीयू रोहतक से बीफार्मा डिग्री के बाद पीयू के फामास्यूटिकल विभाग से एमफार्मा और अब प्रोफेसर ओपी कटारे की गाइडेंस में पीएचडी कर रहे हैं। दिसंबर 2020 में गजानंद को प्रतिष्ठित रिसर्च फेलोशिप मिल चुकी है। यह अवार्ड इन्हें इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से मिली है। फेलोशिप के तहत तीन साल तक मासिक 60 हजार मिलेंगे।

मेरे लिए यह अवार्ड काफी खास है। इस सफलता के लिए मेरे परिवार और टीचर्स का हमेशा पूरा सहयोग मिला है। अभी कुछ प्रोजेक्ट पर अभी काम कर रहा हूं। देश भर के साइंटिस्ट से चुना जाना मेरे और विभाग के लिए सम्मान की बात है।

- गजानंद शर्मा ,रिसर्च साइंटिस्ट, पंजाब यूनिवर्सिटी।

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