चंडीगढ़ में विश्व विकलांग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बोले महेश इंद्र सिंह- ब्रेल लिपि से आगे बढ़ कर सोचने की जरूरत
नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड स्वयंसेवी संस्था की तरफ से चंडीगढ़ में बाल भवन सेक्टर-23 में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अस्सीस्टिव एक्नोलॉजी विशेषज्ञ महेश इंद्र सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे तकनीक में बदलाव आ रहे है वैसे ही इसे आम जन-जीवन में उतारने की भी जरूरत है।
चंडीगढ़, जेएनएन। दिव्यांग आज के समय में ब्रेल लिपि तक सीमित नहीं रह सकता। जैसे-जैसे तकनीक में बदलाव आ रहे है वैसे ही इसे आम जन-जीवन में उतारने की भी जरूरत है। यह शब्द अस्सीस्टिव एक्नोलॉजी विशेषज्ञ महेश इंद्र सिंह ने कहे। नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड स्वयंसेवी संस्था की तरफ से बाल भवन सेक्टर-23 में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे महेश इंद्र ने कहा कि आज के समय में कम्प्यूटर से लेकर स्मार्ट फोन में ऐसे-ऐसे सॉफ्टवेयर आ चुके है जिनके सहारे आम अकेले पूरी दुनिया को घूम सकते है। वह एप्प आपको किसी भी जगह घूमाने के साथ आपके रास्ते में आने वाले वाहनों से लेकर हर चीज के बारे में आपको जानकारी देता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में दृष्टिहीन व्यक्ति घर से बाहर निकलकर सरकारी और प्राइवेट बैंकों से लेकर कार्यालयों और प्रशासनिक सेवाओं में आ चुके हैं। इस मौके पर जागरूकता के लिए नुक्कड़ नाटक का भी मंचन किया गया।
एप्प की जानकारी होने के साथ इस्तेमाल करेंः रूपेश अग्रवाल
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे आइएएस रूपेश अग्रवाल ने कहा कि एप्प आने का अर्थ जीवन आसान होना नहीं है। जब तक उसका इस्तेमाल करना हम नहीं सीखते उस समय तक उसका कोई लाभ नहीं। उन्होंने कहा कि आज हमारे पास उपकरण है लेकिन उसका करना नहीं आना आपको बेकार इंसान की श्रेणी में खड़ा कर देता है। आइएएस रूपेश अग्रवाल ने अपने जीवन के निजी अनुभवाें को शेयर करते हुए कहा कि दिव्यांग होने का अर्थ जीवन का खत्म होना नही है।
उन्होंने कहा कि मैं आइएएस बनने के बाद ब्रेल लिपि सीख रहा हूं जबकि नजर रहते हुए मैंने कम्प्यूटर इंजीनियरिंग की थी। इसलिए हमेशा सीखते रहना चाहिए। वहीं नेशनल एसोसिएशन फाॅर द ब्लाइंड के प्रेसिडेंट विनोद चड्डा ने कहा कि दृष्टिहीन होने का अर्थ कभी भी जीवन की सीमाओं का अंत होना नहीं है। इसलिए जहां से भी सीखने का मौका मिले सीख लेना चाहिए।