चंडीगढ़ बिजली विभाग का निजीकरण: डिपार्टमेंट की सभी एस्सेट्स कब्जे में लेगी एमिनेंट कंपनी, इंप्लाइज होंगे शिफ्ट
चंडीगढ़ बिजली विभाग का निजीकरण की प्रक्रिया अब लगभग पूरी हो चुकी है। कोलकाता की कंपनी एमिनेंट को इसके लिए फाइनल कर लिया गया है। ऐसे में कंपनी विभाग के सभी एस्सेट्स को टेकओवर करेगी। अब कर्मचारियों को भी शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट प्राइवेटाइजेशन (Privatization of Chandigarh Electricity Department) की प्रक्रिया अब लगभग पूरी होने को है। एमिनेंट कंपनी फाइनल होने के बाद अब इस कंपनी को लेटर टू इंटेंट जारी होगा। उसके बाद कंपनी डिपार्टमेंट की सभी एस्सेट्स को अपने कब्जे में लेगी। इससे पहले प्रशासक की मंजूरी ली जाएगी। इसमें सभी पावर सब स्टेशन और दूसरा इंफ्रास्ट्रक्चर और सामान शामिल है। इसके बाद कंपनी ही शहर में पावर डिस्ट्रीब्यूशन, मेंटेनेंस संबंधी सभी काम देखेगी। यही कंपनी बिजली के बिल भी जमा करेगी। रेट भी कंपनी ही तय करेगी।
हालांकि रेगुलेटरी अथॉरिटी पहले की तरह मॉनीटर करती रहेगी। रेट अत्यधिक बढ़ाए तो अथॉरिटी रोक लगा सकती है। बता दें कि चंडीगढ़ में पावर प्राइवेटाइजेशन के लिए टेक्निकल बिड में योग्य रही सात कंपनियों की फाइनेंशियल बिड बुधवार को खोली गई। इसमें कोलकाता की एमिनेंट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड कंपनी ने सबसे अधिक 871 करोड़ रुपये की बिड दी। इसके बाद टोरेंट पावर लिमिटेड कंपनी ने करीब 606 करोड़ रुपये की बिड दी थी।
इंप्लाइज प्राइवेट कंपनी में होंगे शिफ्ट
डिपार्टमेंट के इंप्लाइज को प्राइवेट कंपनी में शिफ्ट किया जाएगा। प्रशासन एक ट्रस्ट का गठन करेगा। प्राइवेट कंपनी में शिफ्ट होने वाले सभी गवर्नमेंट इंप्लाइज के पेंशन संबंधी दायित्व यही ट्रस्ट देखेगी। कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखने के लिए यही ट्रस्ट काम करेगा। टेक्निकल से लेकर अन्य स्टाफ को कंपनी में शिफ्ट किया जाएगा। यूटी पावरमैन यूनियन शुरू से ही प्राइवेटाइजेशन का विरोध करती रही है। हाई कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की लगी रोक हटा दी। उसके बाद ही प्रशासन ने प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया। ऑफिसर दिन रात कागजी कार्रवाई करने में जुटे थे।
सबसे आखिर में बिड फार्म भरने वाली कंपनी है एमिनेंट
रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी करने के बाद 19 प्राइवेट कंपनियों ने बिड फार्म खरीदे थे। इस फार्म की कीमत 5.90 लाख रुपये रखी गई थी। पहले छह कंपनियों ने ही फार्म भरा था। इसके बाद दोबारा टाइम बढ़ाने पर एमिनेंट इलेक्ट्रिसिटी कंपनी ने बिड सब्मिट की। लेकिन कमाल की बात यह है कि एमिनेंट की बिड ही सबसे अधिक मिली। अगर प्रशासन समय नहीं बढ़ाता तो दूसरी कंपनी को प्रोजेक्ट मिलता।
सब स्टेशन संभालेगी कंपनी
चंडीगढ़ में 2.47 लाख इलेक्ट्रिसिटी कंज्यूमर हैं। इनमें 2.14 लाख डोमेस्टिक उपभोक्ता हैं। बाकी कमर्शियल, इंडस्ट्रियल, एग्रीकल्चर और बल्क सप्लाई कनेक्शन हैं। शहर में पांच 33केवी सब स्टेशन हैं। 13 सब-स्टेशन 66केवी के हैं जो शहर में अलग-अलग जगहों पर स्थित हैं। नियमों अनुसार एक सब स्टेशन का लाइफ स्पैम 25 वर्ष होता है। इसमें 66केवी के छह सब स्टेशन ऐसे हैं जो 25 वर्ष से पुराने होकर लाइफ स्पैम पूरा कर चुके हैं।
कंपनियों द्वारा बिड में सब्मिट की गई राशि करोड़ में एमिनेंट इलेक्ट्रिसिटी 871 स्टरलाइट पावर लिमिटेड 606 एनटीपीसी इलेक्ट्रिक सप्लाई लिमिटेड 563 टाटा पावर कंपनी लिमिटेड 426 अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड 471 रिन्यू पावर 551.5