पंजाब में निजी अस्पतालों में मरीजों का दबाव, मृत्‍युदर सरकारी अस्‍पताल की अपेक्षा 5 फीसद अधिक

CoronaVirus पंजाब में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही प्राइवेट अस्‍पतालों पर सरकारी अस्‍पतालाें का दबाव अधिक है। निजी अस्‍पतालों में सरकारी अस्‍पतालों की अपेक्षा मृत्‍यु दर पांच फीसद अधिक है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 10:54 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 05:32 AM (IST)
पंजाब में निजी अस्पतालों में मरीजों का दबाव, मृत्‍युदर सरकारी अस्‍पताल की अपेक्षा 5 फीसद अधिक
पंजाब में कोरोना मरीजों की संख्‍या लगातार बढ़ रही है। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। CoronaVirus: पंजाब में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही अस्‍पतालों पर दबाव बढ़ गया है। राज्‍य में सरकारी अस्‍पतालों की अपेक्षा निजी अस्‍पतालाें पर ज्‍यादा दवाब है। इसका कारण लोगों का सरकारी अस्‍पतालों की अपेक्षा निजी अस्‍पतालों पर ज्‍यादा भरोसा है। लेकिन, सरकारी अस्‍पतालाें की अपेक्षा निजी अस्‍पतालों में कोरोना मरीजों की मृत्‍युदर पांच फीसद अधिक है।

लेवल-2 में भी सरकारी अस्पतालों से ज्यादा प्राइवेट में जा रहे है मरीज

75 वर्षीय सुरेंदर कौर को जब सांस लेने में तकलीफ हुई तो परिवार वालों ने पटियाला के प्राइवेट अस्पतालों में हाथ-पैर मारना शुरू किया। हालांकि सुरेंदर कौर तब लेवल-2 की ही मरीज थी लेकिन परिवार वालों को सरकारी मेडिकल कालेज या अस्पताल पर भरोसा नहीं था। काफी मशक्कत के बाद बेड मिल गया और रेमडेसीविर इंजेक्शन भी लगाया गया, लेकिन दो दिन बाद यानी शुक्रवार को उनकी मौत हो गई।

इसी तरह लुधियाना के सतनाम सिंह (62 वर्ष) भी लेवल टू में प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हुए, फिर उन्हें लेवल थ्री में शिफ्ट किया गया, लेकिन डाक्टर उन्हें बचा नहीं पाए। जबकि, उनके परिवार के गुरमीत कौर (61 वर्षीय) को डाक्टरों ने बचा लिया। कोरोना काल में यह आम भावना बन गई है कि प्राइवेट में जान बच सकती है लेकिन अगर आप सरकारी अस्पताल में भर्ती हुए तो आपकी मौत लगभग तय है।

 आम लोगों की धारणा भले ही कुछ भी हो लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े कुछ और ही बताते है। राज्य में अभी तक के मौत के आंकड़ों को देखे तो सबसे अधिक मौत प्राइवेट अस्पतालों में ही हुई है। पंजाब में वीरवार तक कोरोना की वजह से 11,297 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इसमें से 5,536 लोगों की मौत प्राइवेट अस्पतालों में हुई।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में सरकारी अस्पतालों में मरने वालों की संख्या 4,970 के करीब है। जबकि 891 लोगों की मौत सेना के विभिन्न अस्पतालों में हुई है। कोविड महामारी के इस दौर में प्राइवेट अस्पतालों द्वारा मरीजों से भारी फीस वसूली की सूचनाएं बेहद आम है। सुरेंदर कौर का दो दिन के दौरान बिल एक लाख के करीब पहुंच गया लेकिन फिर भी जान नहीं बचाई जा सकी।

राज्य में मई माह में लगातार 8000 से ज्यादा कोरोना पाजिटिव के केस आ रहे है। हालांकि अस्पताल में भर्ती होने वालों का आंकड़ा 30 फीसदी से भी कम है। वहीं, एक तथ्य यह भी है कि लोगों की पहली पसंद प्राइवेट अस्पताल है। कोविड को लेकर स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी राजेश भास्कर बताते हैं कि लेबल 2 में 70 फीसदी और लेवल 3 में 69 फीसदी लोग प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती है।

 सरकार के पास इनफ्रास्ट्रक्चर और काबिल डाक्टरों की कमी नहीं : सिद्धू

वीरवार 13 मई तक पंजाब के अस्पतालों में 9619 लोगों को आक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। जबकि 429 मरीज वेंटीलेटर पर हैं, जिनकी स्थित बेहद नाजुक है। पंजाब में 79,950 एक्टिव मरीज है। जबकि 87.5 फीसदी मरीज होम आइसोलेशन में है। स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिद्धू का कहना है, हमारा पहला लक्ष्य मरीज को बचाना है। सरकार का पूरा स्वास्थ्य मंत्री मरीजों को बचाने में लगा हुआ है। सरकार के पास इनफ्रास्ट्रक्टर और काबिल डाक्टरों की कमी नहीं है। आम लोगों की धारणा कुछ भी हो सकती है। लेकिन सरकार की कोशिश है कि मरीज ठीक होकर घर जाए।

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