दूध के खाली पैकेट में पौधे तैयार कर दूसरों के लिए रख देते हैं घर के बाहर

चंडीगढ़ के कुछ ऐसे ही पर्यावरण प्रहरी हैं जिन्होंने एक छोटा सा प्रयास कर उसे जुनून में बदला।

By Edited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 09:13 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 09:58 AM (IST)
दूध के खाली पैकेट में पौधे तैयार कर दूसरों के लिए रख देते हैं घर के बाहर
दूध के खाली पैकेट में पौधे तैयार कर दूसरों के लिए रख देते हैं घर के बाहर

चंडीगढ़, [बलवान करिवाल]। यह मत सोचिए कि इतने लोग पौधारोपण कर रहे हैं, वह नहीं भी करेगा तो क्या हुआ। आप खुद शुरुआत करेंगे, तो कभी पेड़ की कमी नहीं रहेगी। जरूरी नहीं आप बहुत से पौधे लगाएं, केवल एक पौधा लगाकर शुरुआत कीजिए। सिर्फ लगाइए नहीं, इसकी देखभाल कर इसे बड़ा कीजिए। इसके साथ आपका दिल से रिश्ता बनेगा। चंडीगढ़ के कुछ ऐसे ही पर्यावरण प्रहरी हैं, जिन्होंने एक छोटा सा प्रयास कर उसे जुनून में बदला। किसी ने बदहाल पार्क को खूबसूरत बना दिया, तो कोई बड़े वृक्ष कर चुका है तैयार। अब दूध के खाली पैकेट में पौधे तैयार कर घर के बाहर लोगों के लिए रख रहे हैं, ताकि वह अपनी पसंद का पौधा ले जाकर लगा सकें। इस मानसून में शुरुआत कर अच्छे पौधे लगाइए।

एक छोटी सी शुरुआत ने मेरी जिंदगी में पूरा एक अध्याय जोड़ दिया। 16 साल पहले सेक्टर-38डी में वह रहने लगे। घर के पास ही एक पार्क था, जो बहुत गंदा था। मैंने इस पार्क को हरा-भरा बनाने का प्रयास शुरू किया। पति अनिल गुप्ता के साथ पहली बार 20 पौधे लगाए। इनमें से चार पौधे वृक्ष बन चुके हैं। इसके बाद प्लांटेशन को बल मिला। रेगुलर प्लांटेशन की पार्क में काम किया। अब यह पार्क इतना सुंदर बन चुका है कि इसे देखकर लगता ही नहीं पहले यह बदहाल होगा। इसे मैं अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि मानती हूं। कोरोना में इस बार फिजिकल डिस्टेंसिंग की वजह से ग्रुप में प्लांटेशन नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन उन्होंने दूध के खाली पैकेट्स में बहुत से पौधे उगा रखे हैं। इन्हें सोशल मीडिया पर बने ग्रुप में शेयर कर जिन्हें जरूरत हो उन तक पहुंचाती हैं। इतना ही नहीं, घर के बाहर भी पौधे रख देती हैं, जिसको जो पौधा चाहिए, वह ले जाता है। शुरुआत एक से ही होती है, फिर मन को सुकून मिलता है मजा आने लगता है। हर किसी को पौधे लगाने चाहिए।

-विमल गुप्ता, पर्यावरण प्रहरी।

पर्यावरण बचाना किसी एक की जिम्मेदारी नहीं है। यह सभी का कर्तव्य है। मैंने भी कुछ पौधों से शुरू किया था। अब दूध के खाली पैकेट में पौधे तैयार कर निशुल्क बांट रही हैं। जो लोग पौधारोपण नहीं करते, वह शुरुआत करें, जरूरी नहीं 100 पौधे लगाएं। घर के आंगन या बैकयार्ड में एक पौधा लगाकर शुरू कीजिए। सिर्फ पौधा न लगाएं, कम से कम एक साल तक देखभाल भी जरूर करें। पौधों को बच्चों की तरह अपनाएं। जो पौधा लगाएं उसके पास ट्री गार्ड यह नहीं लगा सकते, तो दो तीन लकड़ी साथ खड़ी कर सुतली से बांध दें। इससे यह जानवरों से बचा रहेगा। ऐसा करने से कभी भी पेड़ों की कमी नहीं होगी। प्लास्टिक का रीयूज हो, इसके लिए वह बच्चों से खाली दूध के पैकेट मंगाती हैं। फिर इनमें बीज से पौधे उगाती हैं। इन पौधों की प्लांटेशन कराई जाती है।

-सरनजीत कौर, पर्यावरण प्रहरी, टीचर, भवन विद्यालय।

घर के बाहर धूप नहीं आई तो कई लोग आंगन में लगे पूरे पेड़ को काट देते हैं। मुझे इसकी सूचना मिलती है, तो वह इसका विरोध करते हैं। पहले उन्हें पता नहीं था कि घर के अंदर से भी कोई पेड़ बिना मंजूरी नहीं काट सकते। जब से पता चला है उसके बाद तो उन्होंने बहुत से पेड़ कटने से बचाए हैं। नेबरहुड में वह ज्यादा काम करते हैं। घर पर ही किचन वेस्ट कंपोस्ट कर रहा हूं। जामुन के पौधे उन्होंने घर पर ही तैयार किए हैं। जिन्हें अगले सप्ताह रोपित किया जाएगा। पौधे लगाने के बाद इनकी देखभाल भी करूंगा। उनकी आदतों को देखकर अब उनके दोस्तों का ग्रुप बन चुका है। वह सभी पर्यावरण से जुड़े ऐसे कामों में लगे रहते हैं। कहीं कोई पार्क में गंदगी होती है तो उसे साफ कराते हैं। पानी वेस्ट चलते मिलता है तो उस घर की बेल बजाकर बंद कराते हैं। यह काम ऐसा है, जिससे आपको ऐसी संतुष्टि मिलेगी, जो और किसी चीज में नहीं है। वह बैं¨कग सेक्टर से सेवानिवृत्त हैं। बेंगलुरु और नोएडा में उनके लगाए पौधे वृक्ष बन चुके हैं।

-प्रकाश, पर्यावरण प्रहरी, चंडीगढ़

मैं 12 सालों से पौधारोपण अभियान से जुड़ा हूं। इस दौरान आठ हजार से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। काफी इनमें वृक्ष का आकार ले चुके हैं। खुद के साथ दूसरों को जोड़ने के लिए जन्मदिन, सालगिरह जैसे मौकों पर त्रिवेणी जिसमें पीपल, बरगद और नीम के पौधे लगवाते हैं। सिर्फ लगवाते नहीं हैं, उन्हें कहते हैं, वह दो महीने बाद चाय पीने आएंगे, इन पौधों को भी देखेंगे। इस बहाने से वह पौधों का ख्याल रखते हैं। अब उनकी पूरी सोसायटी इसपर काम कर रही है। हर साल प्लांटेशन के साथ देखभाल का काम भी करती हैं। जो लोग पौधे नहीं होने के बहाने बनाते हैं, उन्हें पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं। सबसे ज्यादा त्रिवेणी की लगाई जाती है। जिससे तीनों गुणवान पौधे पर्यावरण को लाभ पहुंचाने के लिए इंसान के लिए भी फायदेमंद हों।

-राकेश शर्मा, अध्यक्ष, एनवायरमेंट सेविंग वेलफेयर सोसायटी, चंडीगढ़।

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