प्रशांत किशाेर मिटा सकते हैं कैप्टन अमरिंदर व नवजोत सिद्धू की दूरियां , पंजाब कांग्रेस के दो ध्रुवाें को मिलना बड़ी चुनौती
Punjab Congress Dispute पंजाब कांग्रेस के दो ध्रुवों मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को मिलाना बड़ी चुनौती है। इस चुनौती को प्रशांत किशाेर पूरी कर सकते हैं। कैप्टन अमरिंदर और नवजोत सिद्धू के बीच की दूरी को प्रशांत किशोर मिटा सकते हैं।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। Punjab Congress Dispute: कांग्रेस हाईकमान ने भले ही फायर ब्रांड नेता नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब का अध्यक्ष बना दिया हो लेकिन उसे अब चिंता है कि वह और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह साथ कैसे लाएं। दोनों नेताओं में चल रहे शक्ति प्रदर्शन से दो खेमों में बंट गई पंजाब कांग्रेस को एक बनाए रखना हाईकमान के लिए चुनौती है। ऐसे में चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन दोनों ध्रुवों की दूरियां घटाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
कैप्टन व सिद्धू दोनों के करीबी पीके को मिल सकता है यह टास्क
प्रशांत किशोर 2017 से कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी रहे हैं। पिछले चुनाव में प्रशांत ने ही अमरिंदर के लिए रणनीति बनाई थी। यह माना जाता है कि प्रशांत इसके साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू के भी करीबी हैं। हाल ही में राहुल गांधी की अगुआई में जिस बैठक में सिद्धू को अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया था, उसमें भी प्रशांत किशोर भी मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक उस बैठक में पीके का भी यही सुझाव था कि सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौंपी जा सकती है और अमरिंदर के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाए। उनका मत था कि दोनों मिलकर चुनाव में कांग्रेस की नैया पार लगा सकते हैं।
कांग्रेस हाईकमान पहले ही इस फार्मूले पर काम कर रही थी और आखिर उसने किया भी वही। लेकिन, सिद्धू को अध्यक्ष बनाते ही उनके व अमरिंदर के बीच खाई और बढ़ती नजर आ रही है। सिद्धू ने अभी तक न तो कैप्टन से मुलाकात की है और न ही कैप्टन ने उन्हें बधाई तक दी है। कैप्टन इस बात पर अड़े हुए हैं कि जब तक सिद्धू उनके व सरकार के खिलाफ की गई टिप्पणियों पर माफी नहीं मांगते, तब तक वह उनसे नहीं मिलेंगे।
ऐसे में कांग्रेस हाईकमान अब दोनों को एक मंच पर लाने का जिम्मा पीके को सौंप सकती है। पिछले कुछ समय से कांग्रेस हाईकमान में पीके की पैठ बढ़ी है। यह भी माना जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर चुनावों की रणनीति का जिम्मा सौंप सकती है। हाईकमान को इससे बेहतर और कोई 'मध्यस्थ' नजर नहीं आ रहा है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत दोनों नेताओं को करीब लाने की कोशिशें में विफल हो चुके हैं।
पीके मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रधान सलाहकार तो हैं ही, कैप्टन उनकी पूरी तरह सुनते भी हैं। पिछले दिनों जब कैप्टन प्रदेश कांग्रेस के कलह के निपटारे के लिए गठित कमेटी के साथ बैठक के लिए दिल्ली गए थे उन्होंने पीके से भी मुलाकात की थी। सिद्धू की भी पीके से अच्छी बनती है। सिद्धू को कांग्रेस में लाने में भी पीके का रोल रहा है। इसलिए यह संभव है कि वह दोनों में सेतु का काम करें, दोनों नेताओं के दिलों की दूरियां मिटाने में अहम भूमिका निभाएं।
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