चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर सन्नाटा, कुलियों के चेहरे पर चिंता की लकीरें, बोले- परिवार पालना हो रहा मुश्किल

कोरोना महामारी से पहले चंडीगढ़ के ए कैटेगरी रेलवे स्टेशन से रोजाना 50 से ज्यादा ट्रेनों का संचालन होता था वहीं अभी रेलवे स्टेशन से सिर्फ 17 ट्रेनें की चलाई जा रही हैं। इसमें भी शताब्दी से आने -जाने वाले यात्रियों की संख्या में 50 फीसद की कमी आई है।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 03:52 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 03:52 PM (IST)
चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर सन्नाटा, कुलियों के चेहरे पर चिंता की लकीरें, बोले- परिवार पालना हो रहा मुश्किल
चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले कुली।

चंडीगढ़, [विकास शर्मा]। सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में यूटी प्रशासन ने वीकेंड लॉकडाउन भी लगा दिया है। एक बार फिर पिछले साल की तरह हालात बन रहे हैं। लॉकडाउन के डर से अन्य राज्यों के लिए लोगों का पलायन भी शुरू हो गया है।

कोरोना महामारी से पहले चंडीगढ़ के ए कैटेगरी रेलवे स्टेशन से रोजाना 50 से ज्यादा ट्रेनों का संचालन होता था, वहीं अभी रेलवे स्टेशन से सिर्फ 17 ट्रेनें की चलाई जा रही हैं। इसमें भी शताब्दी से आने -जाने वाले यात्रियों की संख्या में 50 फीसद की कमी आई है। ज्यादातर टूरिस्ट शताब्दी ट्रेन से ही चंडीगढ़ पहुंचते थे। दूसरी तरफ यूपी बिहार से आने वाले यात्रियों की खासी कमी आई है। वहीं चंडीगढ़ से इन राज्यों में जाने वाले की संख्या में इजाफा हुआ है, लेकिन उसका कुलियों को कोई फायदा नहीं है। ऐसे में चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले 38 कुलियों के सामने घर चलाने का संकट खड़ा हो गया है। 

पिछले एक साल से प्रभावित है रेल यातायात

चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन कुली एसोसिएशन के प्रधान सागर खान ने बताया कि सामान्य दिनों में एक कुली दिनभर अगर रेलवे स्टेशन पर मौजूद रहे तो वह 400 से 500 रुपये कमा लेता था। इसमें 100 से 150 रुपये उनका चाय-खाने पर खर्च हो जाता है, जबकि 200 से 300 रुपये वो अपने परिवार के लिए बचा लेता था। सालों यही क्रम चल रहा है। कोरोना महामारी के चलते पिछले एक साल से रेल यातायात प्रभावित हुआ है। हमारी कमाई काफी कम थी, तो हमारी बचत भी कम है। इसलिए अब काम नहीं मिलने से हमें अपना परिवार पालना मुश्किल हो रहा है।

अपने स्तर पर ही कुलियों ने बांटा काम

कुली कैलाश ने बताया कि हम सालों से रेलवे स्टेशन पर काम कर रहे हैं, लेकिन किसी सरकार ने और न ही यूटी प्रशासन ने हमारे बारे में सोचा। एक साल से रेल यातायात बाधित है, ऐसे में रेलवे की तरफ से हमें सिर्फ दो बार राशन वितरित किया गया। इसके अलावा किसी तरह की कोई मदद नहीं की गई। अब जब रेलवे स्टेशन पर काम नहीं है तो हम सभी मिलकर यह फैसला लिया कि रोजाना दो शिफ्ट में कुली काम करेंगे। पहली शिफ्ट एक दिन काम करेगी और दूसरी शिफ्ट दूसरे दिन काम करेगी। इसके अलावा एक शिफ्ट में आने वाले कुलियों का समय भी ट्रेनों के हिसाब से तय है। जिससे किसी का परिवार भूखा न रहे। 

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