पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट को लेकर सियासत शुरु, कैप्टन अमरिंद्र सिंह से दखल देने की मांग

पंजाब यूनिवर्सिटी सिर्फ एकेडिमक के लिए ही नहीं बल्कि पंजाब की राजनीति में अहम भूमिका निभाती है। हाल ही में एमएचआरडी द्वारा पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन को चिट्ठी लिखकर सीनेट और सिंडीकेट की जगह बोर्ड आॅफ गवर्नेंस सिस्टम को स्थापित करने के लिए कहा गया है।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 02:11 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 02:11 PM (IST)
पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट को लेकर सियासत शुरु, कैप्टन अमरिंद्र सिंह से दखल देने की मांग
पंजाब यूनिवर्सिटी के 15 सीनेटर ने पत्र लिखकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को हस्तक्षेप की मांग की है।

चंडीगढ़, [डाॅ. सुमित सिंह श्योराण]। पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट और सिंडीकेट की विदाई को देखते हुए राजनीति का दौर शुरु हो गया है। केंद्र सरकार की नई एजुकेशन पाॅलिसी के तहत पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट और सिंडीकेट की जगह बोर्ड आॅफ गवर्नेंस की तैयारी के बाद विवाद शुरु हो गया है। पंजाब यूनिवर्सिटी सिर्फ एकेडिमक के लिए ही नहीं, बल्कि पंजाब की राजनीति में अहम भूमिका निभाती है। हाल ही में एमएचआरडी द्वारा पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन को चिट्ठी लिखकर सीनेट और सिंडीकेट की जगह बोर्ड आॅफ गवर्नेंस सिस्टम को स्थापित करने के लिए कहा गया है। पत्र के बाद पीयू ने भी सीनेट के होने वाले चुनावों को रोक दिया है। एेसे में सीनेट में एंट्री की बाह जोह रहे कई कैंडी़डेट्स की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

उधर इस मामले में बड़े स्तर पर राजनीति भी शुरु हो गई है। पंजाब यूनिवर्सिटी के 15 सीनेटर ने पत्र लिखकर पीयू के मौजूदा एकेडिमक स्ट्रक्चर में बदलाव के खिलाफ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को हस्तक्षेप करने की मांग की है। पंजाब यूनिवर्सिटी पर हमेशा ही पंजाब राज्य अपना पूरा हक जताता रहा है। लेकिन नई सिस्टम के बाद पीयू से पंजाब की पकड़ कम होने की आशंका की जा रही है। पीयू की सीनेट में इस समय पंजाब की राजनीति या एकेडिमक से जुड़े लोगों का ही पूरी तरह राज है।  पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट और सिंडीकेट में एकेडिमक के साथ ही राजनीति से जुड़े लोगों की भी एंट्री किसी ने किसी तरह से हो जाती है। सीनेट की 90 सीटों में से 34 सीटों पर नाॅमिनेश के जरिए चयन होता है। जिसमें अधिकतर लोग एकेडिमक से होते हुए भी उनका किसी ने किसी तरह से राजनीति से जुड़ाव रहता है। बाकी की सीटों पर भी चुनाव लड़ने वाले कैंडीडेट्स का पंजाब की सियासत में अच्छी पकड़ रहती है।

सेंट्रल यूनिवर्सिटी का एजेंडा अब गायब क्यों हो रहा

नई एजुकेशन पॅालिसी के तहत अब सीनेट की जगह बोर्ड आॅफ गवर्नंस का गठन किए जाने का प्रस्ताव है। एेेसे में पीयू में राजनैतिक दखल पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। नए सिस्टम के लागू होने से पंजाब यूनिवर्सिटी के सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनने का रास्ता भी खुलेगा। पहले जो लोग सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए धरने और प्रर्दशन कर रहे थे वह ही अब मामले में बैकफुट पर आ गए हैं। यूनिवर्सिटी ही नहीं काॅलेज स्तर के प्रोफेसर के लिए भी सीनेट की राजनीति में आने के रास्ते खुले हैं। सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए पीयू में करीब 140 दिन तक पुटा से लेकर अन्य एसोसिएशन द्वारा प्रदर्शन किया गया जा चुका है। 2008 में पंजाब सरकार द्वारा केंद्र सरकार को पंजाब यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाए जाने के लिए एनओसी भी दे दिया गया। लेकिन एक दिन बाद ही पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा एनओसी को भारी राजनैति दबाव में वापिस लेना पड़ा था।

राजनैतिक हस्तक्षेप हो जाएगा कम

मौजूदा सीनेट में पंजाब के मुख्यमंत्री से लेकर शिक्षा मंत्री सहित कई राजनैतिक लोगों को एक्स ओफिसो के तौर पर सीनेट की सदस्यता मिलती है। लेकिन बोर्ड आॅफ गवर्नेंस सिस्टम लागू होने से पंजाब यूनिवर्सिटी पर राजनैतिक प्रभाव लगभग खत्म हो जाएगा। एेसा पंजाब सरकार बिल्कुल भी नहीं चाहेगी। एेसे में अब पीयू के सीनेटर मामले को राजनैतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। पंजाब की कोई भी पार्टी पीयू पर से पंजाब का प्रभाव कम होने नहीं देगी। आने वाले दिनों में मामले में दूसरे राजनैतिक संगठन भी सक्रिय हो सकते हैं। 

वीसी भी नहीं चाहते

पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट में बदलाव को लेकर पंजाब यूनिवर्सिटी के मौजूदा वीसी प्रो. राजकुमार और पूर्व कुलपति प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर भी समर्थन कर चुके हैं। दोनों का ही मानना है कि यूनिवर्सिटी में एकेडिम माहौल को बेहतर बनाए रखने के लिए सीनेट के स्ट्रक्चरल बदलाव की जरुरत है। पंजाब इंजीनियरिंग काॅलेज(पेक) और देश के अन्य आईआईटी जैसे बड़े संस्थानों में बोर्ड आॅफ गवर्नेंस ही सभी बड़े फैसले लेती है। जबकि पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट और सिंडीकेट में राजनैतिक और गैर शैक्षणिक पृष्टभूमि से जुड़े लोगों का काफी प्रभाव रहता है। पंजाब यूनिवर्सिटी में नियुक्तियों से लेकर विभिन्न काॅलेजों की इंस्पेक्शन को लेकर भी सीनेटर का प्रभाव रहता है।

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