पंजाब में अदाणी लाजिस्टिक्स पार्क बंद होने पर सियासी दल खामोश, वोट बैंक की खातिर रोजगार का मुद्दा भूले

पंजाब में अदाणी लाजिस्टिक्‍स पार्क के बंद होने के कारण राज्‍य में युवाओं को रोजगार देने की काेशिशों को झटका लगा है। पंजाब के सैकड़ों युवाओं की नौकरी चली गई है। इसके बावजूद सियासी दल इस पर मौन हैं। दरअसल उनको वोट बैंक का डर है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 05:19 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 08:01 AM (IST)
पंजाब में अदाणी लाजिस्टिक्स पार्क बंद होने पर सियासी दल खामोश, वोट बैंक की खातिर रोजगार का मुद्दा भूले
पंजाब में रायकिलापुर स्थिति में अदाणी लाजिस्टिक्‍स पार्क की फाइल फोटो।

चंडीगढ़ , राज्‍य ब्‍यूरो। कृषि कानूनों के विरोध में धरने पर बैठे किसानों के कारण अदाणी ग्रुप ने रायकिलापुर में अपना लाजिस्टिक्स पार्क बंद करने पर पंजाब के सियासी दल मौन हैं। इससे पंजाब सरकार के निवेश के जरिये युवाओं को रोजगार देने की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है। इस पार्क के बंद होने से पंजाब के सैकड़ों युवाओं की नौकरी चली गई है। इसके बावजूद पार्टियों पर वोट बैंक की सियासत हावी है। 

अदाणी लाजिस्टिक्स पार्क बंद होने पर पंजाब सरकार समेत राजनीतिक पार्टियों ने ‘राजनीतिक चुप्पी’ साध ली है। वहीं, भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है। भाजपा के महासचिव जीवन गुप्ता का कहना है, सरकार पंजाब के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। पंजाब में निवेश तो आ नहीं रहा अलबत्ता अब जो निवेश हुआ भी है, वे भी बंद हो रहे हैं।

अहम पहलू यह है कि पंजाब में निवेश बढ़ाने के लिए इनवेस्ट पंजाब की शुरूआत करने वाली शिरोमणि अकाली दल ने भी इस मामले में चुप्पी साध ली है। एक सप्ताह पूर्व जब आदित्य बिरला ग्रुप ने लुधियाना की हाईटैक वैली में 1000 करोड़ रुपये के निवेश करके पेंट फैक्टरी और राजपुरा में 500 करोड़ रुपये का निवेश करके सीमेंट यूनिट लगाने की घोषणा की थी तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुले दिल से इसका स्वागत किया था।

वहीं, उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने राज्य में 91,000 करोड़ रुपये के निवेश का दावा ठोंका था लेकिन अदाणी लाजिस्टिक्स पार्क के बंद होने से सरकार ने भी चुप्पी साध ली है। सुंदर शाम अरोड़ा कहते हैं, मुझे वास्तविक स्थिति का अंदाजा नहीं है कि लाजिस्टिक्स पार्क बंद क्यों किया गया। मीडिया के जरिये ही पता चला कि अदाणी ने लाजिस्टिक्स पार्क को बंद कर दिया है।

वहीं, जीवन गुप्ता कहते हैं, ‘कांग्रेस ने पहले किसानों को कृषि बिल को लेकर गुमराह किया। भाजपा ने पंजाब सरकार को पहले ही अगाह कर दिया था कि उनकी राजनीति का पंजाब पर बुरा असर पड़ेगा। बात केवल इतनी ही नहीं है कि एक ग्रुप ने अपना काम बंद कर दिया। बात यह भी नहीं है कि इससे सरकार को 700 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा लेकिन उन लोगों का क्या होगा जोकि बेरोजगार हो गए।

उन्‍होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने 2017 में घर-घर रोजगार का वायदा किया था। रोजगार तो उनसे देते नहीं बना लेकिन रोजगार छीन जरूर रहे है।’ किसान संगठनों को भी यह समझना चाहिए कि यह कोई हल नहीं है। उन्हें केंद्र सरकार के साथ सकारात्मक ढंग से बात करनी चाहिए। क्योंकि अगर पंजाब का इनवेस्टमेंट पर असर पड़ेगा तो युवाओं को रोजगार कैसे मिलेगा।

अहम बात यह है कि पंजाब सरकार और राजनीतिक पार्टी के नेता भी यह समझ रहे हैं कि इस तरह के माहौल से राज्य के इनवेस्टमेंट पर असर पड़ेगा। पिछले माह जब लुधियाना के उद्यमियाें ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मिल कर यूपी में अपनी यूनिट के विस्तार करने पर चर्चा की तो आम आदमी पार्टी ने इसका जमकर विरोध किया था और पंजाब सरकार की नीतियों पर उंगली उठाई थी। लेकिन, अब 2022 के चुनावों को देखते हुए राजनीतिक पार्टियों ने चुप्पी साध ली है।

सुखबीर सिंह बादल औकर हरसिमरत कौर बादल भी खामोश

यही हाल पूर्व सरकार में औद्योगिक निवेश के लिए मुंबई, चेन्नई तक औद्योगिक समिट करने वाले शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल का है। न उन्होंने और न पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया दी। खास बात यह है कि राज्य में 'इन्वेस्ट पंजाब' मुहिम की शुरुआत पूर्व शिअद-भाजपा सरकार के समय में ही हुई थी।

शिअद के प्रवक्ता व पूर्व कैबिनेट मंत्री डा. दलजीत सिंह चीमा ने इसके लिए पंजाब और केंद्र सरकार को जिम्मेदार तो ठहराया, लेकिन अपनी जिम्मेदारी से बचते रहे। उन्होंने कहा, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही जिम्मेदार हैं। केंद्र सरकार ने अडि़यल रुख अपनाया है तो राज्य सरकार को इस बात की कोई परवाह नहीं है कि किसान आंदोलन को खत्म करवाने के लिए उचित माहौल बनाए।

आम आदमी पार्टी पर भी सवाल

पंजाबियों के हितों की बात करने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी को भी 400 युवाओं का रोजगार छिन जाने में कोई अहित नहीं दिखा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर पंजाब में पार्टी के अध्यक्ष भगवंत मान तक सब इस विषय पर मौन हैं। उल्टा केजरीवाल अब भी किसानों के आंदोलन के समर्थन की बात कर रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले माह जब लुधियाना के उद्यमियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिल कर वहां अपनी इकाइयों के विस्तार पर चर्चा की तो आम आदमी पार्टी ने इसका जमकर विरोध किया था और पंजाब सरकार की नीतियों पर अंगुली उठाई थी।

इधर, केजरीवाल बोले- पार्टी के झंडे व एजेंडे को छोड़ किसान आंदोलन को सहयोग दें

किसानों के अडि़यल रुख के कारण एक अदाणी जैसे बड़े ग्रुप ने पंजाब में अपना लाजिस्टिक्स पार्क बंद कर दिया, लेकिन आप के राष्ट्रीय कन्वीनर और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब भी किसान आंदोलन के सहयोग की अपील कर रहे हैं। उन्होंने रविवार को पंजाब के विधायकों के साथ चर्चा की। दिल्ली में हुई इस बैठक में केजरीवाल ने पार्टी नेताओं को कहा कि वह पार्टी के झंडे और एजेंडे को छोड़ कर किसान आंदोलन को हर स्तर पर सहयोग दें। इस बैठक में केजरीवाल ने 2022 के चुनाव को लेकर विचार-विमर्श किया और किसान आंदोलन की मजबूती के लिए विस्तार सहित सुझाव मांगे।

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