अधिकारियों से मिलीभगत कर सरकारी जमीन पर खेती कर रहे रसूखदार, हर साल लग रहा लाखों का चूना
डेराबस्सी नगर परिषद में शामिल हुए गांवों की कई एकड़ सरकारी जमीन की बोली नगर परिषद द्वारा पिछले कई साल से नहीं की गई। जिस कारण सरकार को हर साल लाखों रुपये का चूना लग रहा है।
जेएनएन, डेराबस्सी। डेराबस्सी नगर परिषद में शामिल हुए गांवों की कई एकड़ सरकारी जमीन की बोली नगर परिषद द्वारा पिछले कई साल से नहीं की गई। जिस कारण सरकार को हर साल लाखों रुपये का चूना लग रहा है। राजनीतिक रसूख रखने वाले व्यक्ति सरकारी जमीन पर बिना कोई पैसे दिए मुफ्त में खेती कर रहे हैं। अधिकारी एवं राजनेता आंखें मूंदे बैठे हैं।
जमीनों की बोली न करने को लेकर लोगों में रोष
डेराबस्सी नगर परिषद में कुछ साल पहले शामिल हुए गांव महमदपुर एवं ईस्सापुर के लोगों द्वारा सरकारी जमीनों की बोली न करने को लेकर रोष पाया जा रहा है। उनका कहना है कि काउंसिल में शामिल होने से पहले उनके गांवों की पंचायतों की तरफ से अदालतों के धक्के खाकर इन सरकारी जमीन से नाजायज कब्जे छुड़वाए थे और पंचायत की आमदन में बढऩे के लिए इन जमीनों को पंचायत की तरफ से हर साल ठेके पर दिया जाता था। परंतु 2014 में उनके गांव डेराबस्सी काउंसिल में शामिल हो गए और उस के बाद राजनीतिक पहुंच रखने वाले व्यक्तियों द्वारा पिछले कई सालों से बिना बोली और बिना कोई पैसा दिए सरकारी जमीन पर कब्जा कर खेती की जा रही है। लोगों ने मांग की है कि मामले की जांच स्टेट विजीलेंस से करवाई जाए।
पूर्व सरपंच ने की काउंसिल अधिकारियों की शिकायत
डेराबस्सी काउंसिल मे शामिल गांव ईस्सापुर के पूर्व सरपंच बसंत ङ्क्षसह ने बताया कि उनकी तरफ से डिप्टी डायरेक्टर पटियाला को लिखित शिकायत दी गई है। शिकायत में उन्होंने लिखा कि डेराबस्सी काउंसिल के अधिकारियों और कार्यकारी अफसर की तरफ से शामलात जमीनों के चल रहे मामलों की कोई पैरवी नहीं की जा रही।
क्या कहा कार्यकारी अधिकारी ने
इस संबंधित डेराबस्सी नगर काउंसिल के कार्यकारी अधिकारी सुखजिंदर सिंह सिद्धू ने कहा कि इस बारे तो पहले अधिकारी या प्रधान ही बता सकता हैं क्योंकि वे छह महीने पहल ही डेराबस्सी मे तैनात हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंधी सरकारी जमीनों की जांच की जाएगी। नाजायज कब्जा करने वालों के खिलाफ कारवाई की जाएगी।