चंडीगढ़ में पुराने पेड़ों को बचाने के लिए बनी पॉलिसी, अब पेड़ कटेंगे नहीं ट्रांसप्लांट किए जाएंगे
चंडीगढ़ के पुराने पेड़ों को बचाने के लिए पॉलिसी बनाई गई है। ग्रीनिंग चंडीगढ़ एक्शन प्लान में इस पॉलिसी को शामिल किया है। अभी तक शहर में 200 से अधिक पेड़ों को ट्रांसप्लांटेशन किया जा चुका है। ट्रांसप्लांटेशन के बाद कई पेड़ पहले की तरह हरे भरे हो चुके हैं।
चंडीगढ़, [बलवान करिवाल]। कई प्रोजेक्ट के चक्कर में बड़े पेड़ को काटना पड़ता है। ट्रिब्यून चौक फ्लाईओवर की वजह से भी करीब 500 पेड़ों को काटना पड़ेगा। जिन पेड़ों को काटना मजबूरी हो उन्हें आगे कहीं ट्री ट्रांसप्लांटेशन के लिए फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट ने पॉलिसी बना दी है। इस पॉलिसी के तहत पहले सभी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए ट्रांसप्लांटेशन होगा।
ग्रीनिंग चंडीगढ़ एक्शन प्लान में इस पॉलिसी को शामिल किया गया है। अभी तक शहर में 200 से अधिक पेड़ों को ट्रांसप्लांटेशन किया जा चुका है। ट्रांसप्लांटेशन के बाद कई पेड़ पहले की तरह हरे भरे हो चुके हैं। चंडीगढ़ में केवल प्रशासनिक डिपार्टमेंट ही ट्रांसप्लांटेशन नहीं कर रहे हैं। बल्कि आम नागरिक भी ऐसा कर चुके हैं। पर्यावरण प्रेमी राहुल महाजन के ट्रांसप्लांटेशन किए पेड़ अब हरे-भरे होकर पर्यावरण का हिस्सा बन चुके हैं।
ट्रांसप्लांटेशन के लिए ध्यान रखने योग्य जरूरी बातें
ट्रांसप्लांटेशन से पहले यह ध्यान रखें पेड़ की विशेषता पेड़ किस प्रजाति का या फैमिली का है ग्रोथ और रूट सिस्टम शेप, साइज और शाखाओं का ध्यान रखना साइट स्टडी, रोड, मिट्टी पानी की उपलब्धता सुरक्षित उपाय केमिकल ट्रीटमेंट
ट्रांसप्लांटेशन का समय रात के समय जब पेड़ स्लीप मोड में विश्राम करते हैं उस दौरान ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए। कोनीफर- पत्ते कोने या नीडल की तरह दिखने वाले पेड़ कोनीफर होते हैं। पाइन, सीडार जिसे क्रिसमस ट्री कहते हैं वह इसी कैटेगरी का है। इन्हें फरवरी से अप्रैल और सितंबर से अक्टूबर में ट्रांसप्लांटेशन किया जाना चाहिए। सदा हरेभरे रहने वाले- मार्च से अप्रैल जिनके पत्ते झड़ते हैं: अक्टूबर-दिसंबर और मार्च से अप्रैल