डिजिटल मुशायरे में शायरों ने अनोखे अंदाज में की चीनी माल का बहिष्कार करने की अपील
इस मुशायरे में एक दर्जन से अधिक शायरों ने अपने अपने जज़्बात को शायरी का जामा पहनाया। जाने माने शायर गणेश दत्त ने कार्यक्रम का संचालन किया।
चंडीगढ़, जेएनएन। भंडारी अदबी ट्रस्ट द्वारा स्वतंत्रता दिवस और गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय फौज के जवानों को समर्पित डिजिटल मुशायरे का आयोजन किया गया। इसमें एक दर्जन से अधिक शायरों ने अपने अपने जज़्बात को शायरी का जामा पहना कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और क़सम खाई कि हम खुद और अपने इलाके में चीनी सामान का इस्तेमाल बिलकुल बंद कर देंगे। इस मसले पर साहित्य की रचना करके जनता के अंदर जागृति पैदा करेंगे एवं शहर के भिन्न-भिन्न स्थानों पर नुक्कड़ मुशायरे और नुक्कड़ नाटक का आयोजन करेंगे। कार्यक्रम का संचालन जाने माने शायर गणेश दत्त ने किया। कार्यक्रम के आरंभ में अशोक नादिर ने सब शायरों का स्वागत किया और गज़ल पेश करते हुए कहा- "लहलहाएगा तिरंगा अब ज़मीने चीन पर नेस्तो नाबूद कर दो ना रहे नामों निशां।
पंजाबी शायर सिरी राम अर्श ने फरमायाः-
"खऱीदांगे नहीं वस्तां जो बनियां चीन विच होवण
यूं उस चीन दी हैंकड़ नूं मिटटी विच मिलाना है"।
वरिष्ठ शायर केदारनाथ केदार ने अपने जज़्बात कुछ इस तरह पेश किएः-
चीन दा सामान जो घर विच उसनूं अग्ग लगाओ
मेड इन इंडिया दी वरतों करके भारत नूं समृद्ध बनाओ
शायर प्रेम विज साहब ने फऱमायाः-
आदमियत का खून बहाने को
आदमी की ही ज़ात होती है
शायरों ने काव्य महफि़ल में गलवान घाटी में शहीद हुए फौजियों को अपनी-अपनी शायरी के माध्यम से श्रद्धांजली भेंट की और चीन में बने हुए किसी भी माल को ना खरीदने की कसम खाई। कार्यक्रम में चमन शर्मा चमन, जतिंदर परवाज़, सुखविंदर आही, राजवीर राज, बलबीर तन्हा, संत सिंह सोहल, आरती प्रिया एवं ट्राइसिटी और पटियाला के कुछ और जाने-माने शायरों ने भी शिरकत की।
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