पीजीआइ में बेसहारा बुजुर्ग को देख खाली जमीन पर बना डाला आश्रम

अपनों ने छोड़ा जिनका साथ उन्हें अपना परिवार बना लिया शहर के अशोक नादिर ने। अशोक ने बताया कि करीब ढाई साल पहले पत्नी के इलाज के लिए पीजीआइ चंडीगढ़ गया था।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 08:05 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 08:05 AM (IST)
पीजीआइ में बेसहारा बुजुर्ग को देख खाली जमीन पर बना डाला आश्रम
पीजीआइ में बेसहारा बुजुर्ग को देख खाली जमीन पर बना डाला आश्रम

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़

अपनों ने छोड़ा जिनका साथ उन्हें अपना परिवार बना लिया शहर के अशोक नादिर ने। अशोक ने बताया कि करीब ढाई साल पहले पत्नी के इलाज के लिए पीजीआइ चंडीगढ़ गया था। जहां रात 10 बजे के करीब इमरजेंसी के मुख्य गेट पर एक बुजुर्ग बैठा था, जो लगातार चिल्ला रहा था। उससे बात करने पर पता चला कि उसके बच्चे उसे छोड़ कर जा चुके हैं, जिन्हें गए हुए करीब 16 घंटे का समय हो चुका था। उस समय उस बुजुर्ग को दवा दिलाने के बाद पीजीआइ में भर्ती भी करवा दिया गया। दूसरे दिन सुबह जब उस बुजुर्ग को दोबारा देखने पहुंचा, तो पता चला कि बुजुर्ग को वहां से उठाकर चंडीगढ़ के सेक्टर 15 स्थित वृद्धाश्रम भेजा गया है। बिजनेसमैन और साहित्यकार के साथ समाजसेवी भी हैं, जिस वजह से मुझे पता था कि सेक्टर-15 स्थित वृद्धाश्रम में रहने की जगह नहीं है।

खाली जमीन में खोल दिया आश्रम

वृद्धाश्रम के बारे में अशोक ने बताया कि मेरे पास दो कनाल जमीन मोहाली के डेराबस्सी में खाली पड़ी थी। उसी वक्त मन में ठान लिया कि क्यों न इस जगह को बुजुर्गो के रहन-सहन के लिए आश्रम बना दिया जाए। जिसके बाद वहां पर आठ कमरों का शेल्टर होम बना दिया गया, जिससे वर्तमान में वृद्धाश्रम के नाम से जाना जाता है।

45 बुजुर्गो लोगों के रहने की है व्यवस्था

अशोक की ओर से डेराबस्सी में बनाए वृद्धाश्रम में 45 के करीब बुजुर्गो के के लिए रहने की व्यवस्था है। लोगों को मूलभूत सुविधाएं रोटी, कपड़ा व मकान मुहैया करवाए गए हैं। इसके साथ-साथ यदि कोई बुजुर्ग बीमार है या फिर अन्य किसी तरह की निजी जरूरत है, तो उसे भी अशोक नादिर पूरा करते हैं। वही, हर त्योहार आश्रम में भी घर की तरह ही मनाया जाता है। नादिर का कहना है कि इन बुजुर्गों के बच्चों ने उन्हें छोड़ दिया है, उनके लिए बच्चों के लिए बुजुर्गों की कोई अहमियत नहीं है, लेकिन मेरे लिए यही बुजुर्ग मेरा परिवार हैं। अपनी आय से दसवां हिस्सा यदि इन बुजुर्गो के रहने और खाने के लिए लगा रहा हूं तो यह भगवान द्वारा दिया गया कर्म है, ड्यूटी है जिसे निभा रहा हूं। उन्होंने कहा कि अपनी कमाई का दशवां हिस्सा यहां लगा रहा हूं, मुझे सरकार से कोई सहायता नहीं चाहिए, जिसके लिए मैंने अभी तक आश्रम का रजिस्ट्रेशन भी नहीं करवाया है। इसके साथ-साथ आश्रम का प्रचार में अपनी फैक्ट्री में चलने वाले वाहनों से करता हूं। फैक्ट्री में जो भी सामान बनने के लिए आता है या बंद कर बाहर जाता है उसे लाने और वापस ले जाने वाले वाहनों पर आश्रम की जानकारी दे रखी है। वहां लिखे नंबरों पर संपर्क करके कोई भी बुजुर्ग पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश या फिर देश के अन्य किसी विभाग से यहां पर आ सकता है।

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