बिना दिमाग खोले दो मरीजों के ब्रेन से तीन सेंटीमीटर का ट्यूमर निकाला

पीजीआइ दो मरीजों के दिमाग को बिना खोले तीन सेंटीमीटर तक के ब्रेन ट्यूमर(प्लेनम मेनिगियोमा) को निकालने में कामयाब रहा। पीजीआइ के न्यूरोसर्जन डा. एसएस ढांडापानी और डा. रीजुनीता ने ये सफल सर्जरी की।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 07:01 AM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 07:01 AM (IST)
बिना दिमाग खोले दो मरीजों के ब्रेन से तीन सेंटीमीटर का ट्यूमर निकाला
बिना दिमाग खोले दो मरीजों के ब्रेन से तीन सेंटीमीटर का ट्यूमर निकाला

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पीजीआइ दो मरीजों के दिमाग को बिना खोले तीन सेंटीमीटर तक के ब्रेन ट्यूमर(प्लेनम मेनिगियोमा) को निकालने में कामयाब रहा। पीजीआइ के न्यूरोसर्जन डा. एसएस ढांडापानी और डा. रीजुनीता ने ये सफल सर्जरी की। न्यूरोसर्जन की टीम ने इन दोनों मरीजों के नाक के जरिए 4के एंडोस्कोप सिस्टम के जरिए सर्जरी कर ये ब्रेन ट्यूमर निकाला। इस प्रकार सर्जरी करने से दोनों मरीजों की आंखों की रोशनी जाने के खतरा को भी टाला गया।

एमआरआइ में पता चला तीन सेंटीमीटर का ब्रेन ट्यूमर

पीजीआइ के न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डा. एसएस ढांडापानी ने बताया कि एक 48 साल का पुरुष और एक 46 साल की महिला की 4के एंडोस्कोप सर्जरी की गई। दरअसल इन दोनों मरीजों को पीजीआइ इलाज के लिए रेफर किया गया था। इन मरीजों को जब पीजीआइ रेफर किया गया, उस समय इन दोनों मरीजों ने बताया कि इनकी आंखों की रोशनी कमजोर हो रही है। इन्हें साफ दिखाई नहीं देता। ऐसे में जब पीजीआइ के न्यूरोसर्जन टीम ने इनके ब्रेन का एमआरआइ टेस्ट किया। उसमें प्लेनम मेनिगियोमा नाम का ब्रेन ट्यूमर पाया गया। जोकि तीन सेंटीमीटर तक पनप चुका था। सर्जरी करने वाले न्यूरो सर्जरी विभाग के सर्जन डॉ. एसएस ढंडापानी और ईएनटी विभाग की डा. रिजुनिता ने बताया कि दो मरीजों में एक हफ्ते के अंदर ये सर्जरी की गई है।

छह घंटे में की गई सफल सर्जरी

डा. ढांडापानी ने बताया कि इस सर्जरी को करने में 6 घंटे का समय लगा। डाक्टरों की एक टीम ने सीटी एंजियोग्राफी के जरिए पहले दिमाग इस ट्यूमर की स्थिति को समझा। उसके बाद 4के एंडोस्कोप सिस्टम के जरिए ये सर्जरी की गई। डा. शैल्वी, डा. राजीव और डा. सिद्धार्थ भी इस टीम में शामिल रहे। छह घंटे की इस सर्जरी में मात्र 400 एमएल तक खून ही खराब हुआ। इस समय दोनों मरीजों को आइसीयू में रखा गया है। इससे पहले डा. ढांडापानी ने पूरी दुनिया में सबसे पहले 16 महीने के बच्चे के नाक के जरिए क्रानियोफेरीन्जिओमा नाम के ट्यूमर को पूरी तरह से हटाने का खिताब हासिल किया था।

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