पीजीआइ चंडीगढ़ के पूर्व प्रो. डॉ. एसके जिंदल ने अस्थमा मरीजों को किया सचेत, कहा- मॉनसून सीजन में अटैक का ज्यादा खतरा

पीजीआइ चंडीगढ़ के पल्मॉनोरी मेडिसन विभाग के पूर्व प्रोफेसर व हेड डॉ. एसके जिंदल ने अस्थमा मरीजों के लिए मॉनसून सीजन को खरतनाक बताया है। उनका कहना है कि अस्थमा पीड़ितों के लिए इस मौसम में स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 09:42 AM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 09:42 AM (IST)
पीजीआइ चंडीगढ़ के पूर्व प्रो. डॉ. एसके जिंदल ने अस्थमा मरीजों को किया सचेत, कहा- मॉनसून सीजन में अटैक का ज्यादा खतरा
पीजीआइ चंडीगढ़ के पल्मॉनोरी मेडिसन विभाग के पूर्व प्रोफेसर व हेड डॉ. एसके जिंदल। (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। मॉनसून सीजन लोगों के लिए राहत लेकर आता है। झमाझम बारिश से लोगों को भारी गर्मी से छुटकारा मिलता है। वहीं, इस सीजन में बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। खासकर अस्थमा के मरीजों के लिए यह मौसम मुश्किल भरा होता है और उनकी स्थिति को और ज्यादा खराब कर देता है। अस्थमा का मौसमी बदलाव के कारण बढ़ जाना एक सुपरिचित घटना है। मौसम में हो रहे बदलाव से अस्थमा मरीजों को ज्यादा खतरा होता है।

यह बात पीजीआइ चंडीगढ़ के पल्मॉनोरी मेडिसन विभाग के पूर्व प्रोफेसर व हेड डॉ. एसके जिंदल ने कही। उन्हाेंने कहा कि अस्थमा की बीमारी एलर्जन, जैसे मोल्ड/फंगस, पालतू पशुओं के बाल, डस्ट माईट्स और वायरल संक्रमण से बढ़ सकती है। इन सबके साथ ही मॉनसून भी अस्थमा की बीमारी के बढ़ने का एक मुख्य कारण है। इस मौसम में अस्थमा मरीज को अकसर परेशानी झेलनी पड़ती है।

धूप न मिलने से विटामिन डी की होती है कमी

डॉ. जिंदल ने कहा कि बारिश के मौसम में कम धूप मिलने के कारण विटामिन डी की कमी हो जाती है। जो अस्थमा के अटैक का एक मुख्य कारण है। मॉनसून के दौरान ठंडा वातावरण भी अस्थमा के लक्षणों व संकेतों को और ज्यादा खराब कर सकता है। वहीं आसपास के वातावरण में नमी से फंगस हो सकती है, जिससे एलर्जी बढ़ सकती है और अस्थमा का अटैक आ सकता है। साथ ही इस मौसम में वायरल संक्रमण की संभावनाएं ज्यादा हो जाती हैं और लक्षणों को ज्यादा गंभीर बना सकते हैं।

घरघराहट, खांसी और सांस की तकलीफ अस्थमा के लक्षण

डाॅ. एसके जिंदल ने कहा कि घरघराहट, खांसी और सांस की तकलीफ अस्थमा के लक्षण हैं। यह सांस की एक क्रोनिक बीमारी है, जो फेफड़ों में मौजूद हवा की नलियों में सूजन के कारण उत्पन्न होती है। अस्थमा पीड़ित को हवा की नली में सिकुड़न महसूस होती है, जिसके कारण मरीज को सामान्य रूप से सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

मॉनसून के दौरान अस्थमा पर नियंत्रण रखने के उपा अस्थमा बढ़ाने वाली चीजों से बचें। इन्हेलर्स को पास में रखें। डॉक्टर से परामर्श लें। नियमित तौर पर दवाई लेते रहें।

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