सेक्टर-8 में बंदरों और कुत्तों से लोग परेशान
शहर में डॉग्स बाइट के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं लेकिन इस पर अंकुश लगाने में निगम असफल साबित हो रहा है। शहर के सेक्टर सेक्टर-8 में बंदरों और कुत्तों के आतंक से लोग परेशान हैं।
जासं, चंडीगढ़ : शहर में डॉग्स बाइट के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन इस पर अंकुश लगाने में निगम असफल साबित हो रहा है। शहर के सेक्टर सेक्टर-8 में बंदरों और कुत्तों के आतंक से लोग परेशान हैं। इस सेक्टर में ही शहर की सांसद किरण खेर समेत अन्य वीआइपी लोगों का भी आवास है। बावजूद इसके इस सेक्टर में बंदर और कुत्तों के आतंक की समस्या के समाधान के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया जा सका है। इस समस्या को लेकर हाउस होल्डर वेलफेयर एसोसिएशन सेक्टर-8 के प्रेसिडेंट रणविदर सिंह गिल ने कई बार निगम और फॉरेस्ट विभाग को शिकायत दी है, लेकिन कोई हल नहीं निकला। सुबह और शाम के समय ग्रीन बेल्ट में बंदरों और कुत्तों का ज्यादा आतंक रहता है।
गिल ने बताया कि सेक्टर-8 में सबसे ज्यादा फूड प्वाइंट्स हैं। दुकानदार बचा हुआ खाद्य पदार्थ ऐसे ही फेंक देते हैं। इसी वजह से यहां बंदलों और स्ट्रे डॉग का जमावड़ा लगा रहता है। बंदरों और कुत्तों के आतंक के बारे में कई बार निगम और फारेस्ट विभाग को भी शिकायत दी है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। गिल ने बताया कि उन्होंने करीब पांच महीने पहले बंदरों के आतंक को लेकर चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट देबेंद्र दलाई से मुलाकात की थी। उन्होंने पिजरे लगाने की बात कही थी, लेकिन अभी इस पर क्या कदम उठाया गया है नही पता।
पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट गिल ने बताया कि यहां नियमों को ताक पर रखकर कुछ लोगों ने डॉग पाले हैं। मगर जब स्ट्रे डॉस किसी को काटते हैं तो इनमें से कोई भी सामने नहीं आता।
सवालों में एनजीओ की भूमिका
गिल ने कहा कि डॉग्स की स्टरलाइजेशन के लिए कई एनजीओ को निगम की ओर से मोटी राशि दी जाती है। मगर इन एनजीओ के कार्यो पर सवाल उठने लगे हैं। न तो इनकी ओर से डॉग्स की स्टरलाइजेशन करवाई गई है और न ही शहर के सरकारी अस्पतालों में रैबिज इंजेक्शन का प्रबंध है।