विदेशों में भी बढ़ी चंडीगढ पीजीआइ की साख, 37 देशों के मरीज आ रहे इलाज करवाने

चंडीगढ़ पीजीआइ में दूसरे देशों से भी काफी संख्‍या में मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं। हर वर्ष हजारों की संख्‍या में मरीज यहां इलाज कराने आ रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 28 May 2018 12:48 PM (IST) Updated:Tue, 29 May 2018 08:41 PM (IST)
विदेशों में भी बढ़ी चंडीगढ पीजीआइ की साख, 37 देशों के मरीज आ रहे इलाज करवाने
विदेशों में भी बढ़ी चंडीगढ पीजीआइ की साख, 37 देशों के मरीज आ रहे इलाज करवाने

चंडीगढ़, [डॉ. रविंद्र मलिक]। देश के टॉप थ्री हेल्थ इंस्टीट्यूशंस में शुमार पीजीआइ का डंका विदेशों में भी बजने लगा है। उसी का नतीजा है कि विदेशों से इलाज करवाने आने वाले मरीजों की संख्या यहां लगातार बढ़ रही है। पिछले पांच साल में पांच हजार से ज्यादा मरीज यहां इलाज करवाने पहुंचे। इनकी संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है।

बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के करण पीजीआइ में पिछले पांच सालों में लगातार बढ़ रहे विदेशी मरीज

2014 में आंकड़ा 861 था, वहीं 2017 में 1120 तक पहुंच गया। ये मरीज मुख्यत जापान, इटली, यूके, बेल्जियम, हंगरी, नेपाल, अफगानिस्तान, ब्रिटेन, सऊदी अरब, सेनेगल, सूडान, मेक्सिको, हैती, बांग्लादेश, अंडोरा और बांग्लादेश समेत 37 देशों से पहुंचे। इनके अलावा अफ्रीकी व खाड़ी देशों से भी मरीज पहुंच रहे हैं।

सऊदी अरब से ही हर साल 10 से 15 मरीज पहुंचते हैं। फिजी, पनामा और सूडान से हर आने वाले मरीजों का सालाना आंकड़ा 20 से उपर है। पीजीआइ के शोधकर्ताओं के अनुसार मरीज मुख्यत किडनी, दंत रोग, फेफड़ों, कैंसर और आंखों संबंधी बीमारियों के लिए पीजीआइ का रुख कर रहे हैं। इनके अलावा सांस, न्यूरो व इंडीक्रोनोलॉजी से संबंधित रोगी भी काफी संख्‍या में आ रहे हैं।

सस्ता व बेहतर इलाज मुख्य कारण

विदेशों के अलावा भारत के ही दस राज्यों के करीब 25 लाख मरीज हर साल इलाज के लिए पहुंचते हैं। इतने बड़े स्तर पर मरीजों के आने का कारण बेहतर और सस्ता इलाज है। कई बाहरी देशों में इलाज बेहद मंहगा है और इस कारण वहां से भी काफी संख्‍या में मरीज चंडीगढ़ पीजीआइ की तरफ रुख करते हैं। दवाइयों के रेट भी कई देशों की तुलना में यहां कम है। संस्थान की इलाज के कई क्षेत्रों में विशेषज्ञता भी मुख्य कारण है। उस कारण विदेशी हवाई सफर तय कर यहां इलाज के लिए पहुंचने से गुरेज नहीं करते।

नेपाल और अफगानिस्तान से सबसे ज्यादा मरीज

पीजीआइ में पड़ोसी देश अफगानिस्तान और नेपाल से सबसे ज्यादा मरीज आ रहे हैं। नेपाल से हर साल 800 से ज्यादा मरीज आ रहे हैं। अफगानिस्तान से भी मरीज यहां आते हैं। नेपाल से मरीज आने का सबसे बड़ा कारण वीजी संबंधी पेचीदगी नहीं होना बताया जा रहा है। वहीं अफगानिस्तान से देश के दोस्ताना संबंध मुख्य कारण हैं। पाकिस्तान से 2010 से 2017 तक 45 मरीज इलाज के लिए आए

ब्रिटेन, जापान और इटली से आते हैं मरीज

ब्रिटेन और जापान जैसे विकसित देशों से भी मरीज इलाज के लिए पीजीआइ आ रहे हैं। पिछले साल इटली से 11 मरीज इलाज के लिए आए हैं तो जापान के नौ मरीजों ने पीजीआइ में इलाज करवाया है। यूके से भी 10 मरीजों ने इलाज करवाया है। यह भी सामने आया है कि शुगर और किडनी रोग के सबसे ज्यादा मरीज आ रहे हैं।

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विदेशी मरीजों के आने के कारण -

आंखों की सर्जरी दस गुना सस्ती

आंखों के एक्सपर्ट प्रो जगतराम ने कहा कि अगर जर्मनी या इटली में मोतिया की सर्जरी करवानी है वहां दो से तीन लाख रुपये खर्च होता है। पीजीआइ में इस सर्जरी पर 15 से 20 हजार रुपये खर्च आता है।

किडनी ट्रांसप्लांट भी सस्ता

पीजीआइ के नेफ्रोलॉजी के सीनियर डॉक्टर प्रो केएल गुप्ता ने कहा कि ब्रिटेन, इटली जैसे देशों में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 35 से 50 लाख खर्च आता है, जबकि भारत में 3 से 5 लाख के बीच ट्रांसप्लांट हो जाता है।

न्यूरो ट्रीटमेंट की बेस्ट सुविधा

न्यूरो सर्जरी के प्रो धीरज खुराना ने कहा कि कई एनआरआइ मरीज यूके और कनाडा से मेरे पास इलाज के लिए आए। उनके शरीर के किसी अंग के कमजोर या काम नहीं करने की दिक्कत थी। यहां इसका सालाना करीब 30 हजार खर्च है जो वहां करीब 6 से 7 लाख है। बांग्लादेश और इंडोनेशिया से ऐसी सुविधा ही नहीं है।

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'' पीजीआइ के दरवाजे सबके लिए खुले हैं। किसी भी देश का मरीज हो, हमारे लिए सब बराबर हैं। पीजीआइ की बेहतर सेवाएं और ट्रीटमेंट के चलते विदेशों के मरीज इलाज के लिए आते हैं।

                                                                                                - प्रो. जगत राम, पीजीआइ डायरेक्टर।

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