Private school fees news: अभिभावकों को फिर नहीं मिली राहत, जज का सुनवाई से इन्कार
Private school fees news पंजाब में निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है। अब नई खंडपीठ मामले की सुनवाई करेगी।
जेएनएन, चंडीगढ़। Private school fees news: पंजाब में निजी स्कूलों की फीस (Private school fee) के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे अभिभावकों को बुधवार को एक बार फिर कोई राहत नहीं मिल पाई। एकल पीठ के आदेशों के खिलाफ पंजाब सरकार और अभिभावकों की अपील पर जस्टिस गिरीश अग्निहोत्री ने सुनवाई करने से इन्कार कर दिया। मामले की सुनवाई को 17 जुलाई के लिए स्थगित कर दिया गया।
इस मामले में अभिभावकों की पैरवी करने वाले एडवोकेट आरएस बैंस ने कहा कि संक्षिप्त सुनवाई में जस्टिस जसवंत सिंह ने निजी स्कूलों को शार्क न बनने की सलाह दी। उन्होंने निजी स्कूल संचालकों से सवाल किया कि एकल पीठ ने फैसले में कहा है कि ट्यूशन फीस का कोई आधार नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा कि स्कूल किस आधार पर फीस निर्धारित कर रहे हैं। क्या किसी शिक्षा बोर्ड या किसी एक्ट के तहत निजी स्कूलों की ट्यूशन फीस निर्धारित की गई है?
इसके बाद जस्टिस गिरीश अग्निहोत्री ने कहा कि वे इस मामले से अलग होना चाहते हैं, क्योंकि वे कुछ स्कूलों की पैरवी कर चुके हैं। इस पर सुनवाई को 17 जुलाई तक स्थगित करते हुए हाई कोर्ट ने नई खंडपीठ के गठन के लिए इसे मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया। गौरतलब है कि एकल पीठ ने अपने फैसले में पंजाब के निजी स्कूलों को पूरी ट्यूशन फीस के अलावा एडमिशन फीस लेने की भी छूट दे दी थी।
कोर्ट ने कहा था कि लॉकडाउन की अवधि के लिए स्कूल अपने एनुअल चार्ज भी वसूल सकते हैं, लेकिन इस साल फीस नहीं बढ़ा सकते हैैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि ऑनलाइन न पढ़ाने वाले निजी स्कूल भी ट्यूशन फीस व एडमिशन फीस ले सकते हैं। कोर्ट में पंजाब सरकार द्वारा निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के संबंध में याचिका दायर की गई थी। इसके खिलाफ निजी स्कूलों ने भी याचिका दायर कर दी थी।
जस्टिस निर्मलजीत कौर ने सभी याचिकाओं का निपटारा करते हुए स्पष्ट किया है कि एनुअल चार्ज के तौर पर स्कूल वास्तविक खर्च ही वसूलें। लॉकडाउन की अवधि के लिए स्कूल ट्रांसपोर्ट फीस या बिल्डिंग चार्ज के तौर पर सिर्फ वही फीस वसूलें जितने खर्च वास्तविक तौर पर वहन करने पड़ते हों। स्कूल खुलने के बाद की अवधि के लिए वे पूर्व निर्धारित दरों के हिसाब से एनुअल चार्ज ले सकते हैं। हाई कोर्ट के इन आदेशों से सरकार व अभिभावकों को झटका लगा है जो इस बात का इंतजार कर रहे थे कि लॉकडाउन के अवधि की स्कूल फीस उन्हें नहीं देनी पड़ेगी।
आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों को दी थी राहत
हाई कोर्ट ने कोविड-19 के कारण उन अभिभावकों को जरूर राहत दी जो फीस देने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे अभिभावक अपनी वित्तीय स्थिति की जानकारी देकर स्कूलों को फीस में कटौती या फीस माफी के आवेदन दे सकते हैं। हाई कोर्ट ने चेतावनी भी दी है कि लोग इस रियायत का गलत लाभ न उठाएं। स्कूलों से रियायत न मिलने पर अभिभावक अपनी शिकायत रेगुलेटरी बॉडी को करें।
पिछले साल का फीस स्ट्रक्चर ही रखें स्कूल
हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों को 2020-21 सत्र में फीस न बढ़ाने के निर्देश देते हुए कहा था कि स्कूल फिलहाल 2019-20 का फीस स्ट्रक्चर लागू रखें। अगर किसी स्कूल को वित्तीय संकट झेलना पड़े तो वह पूरी वित्तीय जानकारी के साथ जिला शिक्षा अधिकारी से संपर्क कर सकता है। ऐसे स्कूलों के पास कोई रिजर्व फंड न होने पर ही जिला शिक्षा अधिकारी शिकायत पर गौर करेंगे और तीन सप्ताह में उपयुक्त जवाब देंगे।
निजी स्कूलों की ये थी दलील
निजी स्कूलों ने याचिका में कहा था कि प्रदेश सरकार एक तरफ उन्हें स्टॉफ को पूरा वेतन देने के लिए कह रही है और दूसरी तरफ छात्रों से फीस लेने से रोक रही है। हाई कोर्ट के अंतरिम आदेशों का विरोध करते हुए पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट में निजी स्कूलों की फीस वसूली के विषय पर विकल्प देने का प्रस्ताव दिया था।