चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव नजदीक आते ही सक्रिय हुए संगठन, पार्षदों पर निकलने लगा गुस्सा
Chandigarh Nagar Nigam Chunav चुनाव नजदीक आते ही रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन और फेडरेशन सक्रिय हो गई हैं। सभी संगठन अब आपस में मीटिंग कर रणनीति बनाने लगे हैं। कुछ संगठनों ने मौजूदा काउंसलर्स के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। Chandigarh Nagar Nigam Chunav: नगर निगम के चुनाव नजदीक आ रहे हैं। दिसंबर में आचार सहिंता लागू होगी और पार्षदों का चुनाव दोबारा से होगा। चुनाव नजदीक आते ही रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन और फेडरेशन सक्रिय हो गई हैं। सभी संगठन अब आपस में मीटिंग कर रणनीति बनाने लगे हैं। कुछ संगठनों ने मौजूदा काउंसलर्स के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। काउंसलर्स पर काम नहीं करने और पुरानी समस्याएं हल नहीं होने का ठिकरा फोड़ना शुरू कर दिया है।
साथ ही यह स्पष्ट कर दिया है कि अब आगामी चुनाव में वह इसका बदला लेंगे। काउंसलर्स को उनके किए वायदे याद दिलाने शुरू कर दिए हैं। फेडरेशन ऑफ सेक्टर वेलफेयर एसोसिएशंस चंडीगढ़ (फाॅसवेक) ने शहर की समस्याओं को हल नहीं करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों और पार्षदों को जिम्मेदार ठहराया है। फॉसवेक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जनता काउंसलर्स को आगमी चुनाव में जवाब देगी।
डर के साये में कब तक जीते रहेंगे
फाॅसवेक चेयरमैन बलजिंदर सिंह बिट्टू ने कहा कि चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के मकानों में रहने वाले 60 हजार से अधिक परिवार इसी डर के साए में जीते हैं कि कब हाउसिंग बोर्ड के कर्मचारी उनका मकान तोड़ने के लिए आ जाएं। आखिर कब तक रेजिडेंट्स ऐसे डर के साये में जीते रहेंगे। उन्होंने कहा कि मकानों में आवश्यकता के अनुसार किए गए बदलावों को नियमित किया जाना महज चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है। एक के बाद दूसरी कमेटी बना दी जाती है, लेकिन लोगों के पक्ष में कभी फैसला नहीं लिया जाता। बिट्टू ने कहा कि यदि लोगों द्वारा जरूरत के हिसाब से किए गए बदलावों से इमारत की स्थिरता पर असर नहीं पड़ता और न ही सरकारी जमीन पर कोई अतिक्रमण है तो ऐसे बदलावों को दिल्ली पैटर्न के अनुसार नियमित किया जाना चाहिए। समय के साथ लोगों के परिवार बढ़े हैं और उस हिसाब से जरूरतें भी।
बेवजह खर्च की जा रही मोटी रकम
फाॅसवेक महासचिव जेएस गोगिया ने कहा कि सड़कों के रख-रखाव और घरों से कूड़ा एकत्रित करने में नगर निगम असफल रही है। ऊपर से पानी की 3 गुना तक बढ़ाई गई दरें जले पर नमक छिड़कने के समान हैं। नगर निगम ने चंडीगढ़वासियों को 24 घंटे पानी उपलब्ध करवाने के नाम पर 500 करोड़ रुपए का ऋण तो ले लिया लेकिन यह नहीं सोचा कि चंडीगढ़ में 24 घंटे ताजे पानी की सप्लाई देने की आवश्यकता है भी या नहीं। इस कर्ज से बचने के विकल्प भी नहीं ढूंढे गए।