ऑपरेशन स्माइल में टेक्नोलॉजी का कमाल, डेढ़ साल में 86 परिवारो की लौटी मुस्कान

गूगल मैप और वाट्सएप कॉलिंग की मदद से पुलिस टीम लापता बच्चों को उनके परिजनों से मिलाने में काफी कामयाबी रही है।

By Edited By: Publish:Wed, 15 Jul 2020 07:09 PM (IST) Updated:Thu, 16 Jul 2020 09:33 AM (IST)
ऑपरेशन स्माइल में टेक्नोलॉजी का कमाल, डेढ़ साल में 86 परिवारो की लौटी मुस्कान
ऑपरेशन स्माइल में टेक्नोलॉजी का कमाल, डेढ़ साल में 86 परिवारो की लौटी मुस्कान

चंडीगढ़, कुलदीप शुक्ला। चंडीगढ़ पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने टेक्नोलॉजी की मदद से डेढ़ साल में 86 परिवारों की खोई मुस्कान लौटाई है। इसमें गूगल मैप और वाट्सएप कॉलिंग जैसे उपाय पुलिस टीम की सहायता में कारगार साबित हुए हैं। इस तरह से लापता बच्चों को उनके परिजनों से मिलाने को लेकर पुलिस को काफी कामयाबी मिली है।

जाहिर है अब पुलिस के साथ टेक्नोलॉजी भी लापता बच्चों को सकुशल वापस घर पहुंचाने में मददगार बन रही है। अपने स्वजनों के पास वापस लौटे सात बच्चों की उम्र आठ वर्ष या आसपास की थी। इसमें सबसे ज्यादा दिल्ली, राजस्थान, बंगाल, ओडिसा, असम, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार के बच्चे बाल मजदूरी और भीख मंगवाने वाले गिरोह के जाल में फंसे थे।

ऐसे काम करती है यूनिट

रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर मिलने वाले बच्चों को चाइल्ड हेल्पलाइन टीम रेस्क्यू कर मेडिकल करवाने के बाद मलोया स्थित स्नेहालय में पहुंचाकर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को सूचना देती है। पुलिस ने वर्ष 2017 में 44, 2018 में 15 और 2019-20 के डेढ़ साल में 86 बच्चों को परिवार तक पहुंचाया। टेक्नोलॉजी के साथ काम करने पर वर्ष 2019-20 में ज्यादा जल्दी बच्चों को घर पहुंची रही हैं।

बच्चे की काउंसलिंग में मिलने वाली जानकारी अहम

चाइल्ड हेल्पलाइन से जनवरी 2020 को सूचना मिलने पर रेलवे स्टेशन से हरियाणा के कालका से खोए आठ वर्षीय बंटी को परिवार तक पहुंचाया। बच्चे ने काउंसलिंग में कालका स्थित एक बड़ा माता का मंदिर होने का जिक्र किया था। गूगल मैप पर जिले से पांच मंदिरों की डिटेल्स निकालकर बच्चे की पहचान करवाई गई। उसकी पहचान के बाद थोड़ी दूरी पर मौजूद किरयाना शॉप के नंबर पर वाट्सअप कॉल से संपर्क कर बच्चे को परिवार तक पहुंचाया गया।

तकनीक के सहारे पहुंचे परिवार तक

जनवरी 2019 को एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को आठ वर्षीय बच्चा मिला था। इसने अपना नाम सुभाष और पता सिर्फ पंजाब के जिला जालंधर स्थित चूना भट्टी याद था। काउंसलिंग में बच्चे को गूगल मैप पर चूना भट्टी के सभी प्रमुख स्थान, बड़ी दुकान, स्कूल, कॉलेज, मंदिर, गुरुद्वारा दिखाने पर एक मैकेनिकल शॉप की पहचान कर ली।

मैकेनिक के नंबर पर संपर्क कर बच्चे का नाम और उम्र बताने पर एक कर्मचारी ने पहचान कर स्वजनों को सूचित किया। कर्मचारी के वाट्सएप वीडियो कॉल से स्वजन ने बच्चे की पहचान कर ली।

ऑपरेशन स्माइल के तहत पुलिस टीम बच्चों को लगातार घर पहुंचा कर परिवार की खुशियां बढ़ा रही है। टेक्नोलॉजी के साथ चलकर परिवार की ट्रैकिंग और पहचान में जल्दी हो गई।

 चरणजीत सिंह विर्क, डीएसपी, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट

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