चंडीगढ़ में प्रॉपर्टी खरीदने व बेचने वाले इस बात का रखें ध्यान, नहीं तो झेलनी पड़ेगी मुसीबत

अगर आप चंडीगढ़ में कहीं प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने का प्लान कर रहे हैं तो ऐसे ही किसी प्रॉपर्टी कंसलटेंट से संपर्क न करें।

By Sat PaulEdited By: Publish:Mon, 28 Jan 2019 12:37 PM (IST) Updated:Tue, 29 Jan 2019 10:22 AM (IST)
चंडीगढ़ में प्रॉपर्टी खरीदने व बेचने वाले इस बात का रखें ध्यान, नहीं तो झेलनी पड़ेगी मुसीबत
चंडीगढ़ में प्रॉपर्टी खरीदने व बेचने वाले इस बात का रखें ध्यान, नहीं तो झेलनी पड़ेगी मुसीबत

चंडीगढ़, [बलवान करिवाल]। अगर आप चंडीगढ़ में कहीं प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने का प्लान कर रहे हैं तो ऐसे ही किसी प्रॉपर्टी कंसलटेंट से संपर्क न करें। हो सकता है यह प्रॉपर्टी कंसलटेंट आपकी पूंजी को गलत जगह इनवेस्ट करा दे, या आपको किसी दूसरी मुसीबत में डाल दे। आपको बता दें कि शहर में केवल 15 प्रॉपर्टी कंसलटेंट ही रजिस्टर्ड हैं। बाकि सभी कंसलटेंट अवैध हैं। इनके पास यह कार्य करने का अधिकार नहीं है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के तहत शहर में केवल 15 ही प्रॉपर्टी कंसलटेंट रजिस्टर्ड हैं। बाकी सभी कंसलटेंट अवैध तौर पर यह कारोबार कर रहे हैं।

1 मई 2016 से देश में रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट लागू हुआ था, इस एक्ट के बाद रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन हुआ। लेकिन रेरा गठन के दो साल बाद सिर्फ 15 ही प्रॉपर्टी कंसलटेंट इस रजिस्टर्ड हुए हैं। कई अन्य ने आवेदन किया था, लेकिन रेरा ने दस्तावेज पूरे नहीं होने पर इनका पंजीकरण नहीं किया। जबकि शहर के हर सेक्टर में लगभग 15 प्रॉपर्टी कंसलटेंट करोड़ों की प्रॉपर्टी का कारोबार कर रहे हैं।चंडीगढ़ में जमीन काफी कम बची है। ऐसे में नई प्रॉपर्टी की बजाए पुरानी प्रॉपर्टी को खरीदने बेचने का काम ही ज्यादा होता है। चंडीगढ़ का कलेक्टर रेट ट्राईसिटी में सबसे अधिक है। प्रति गज 70 हजार से अधिक रेट है। ऐसे में एक चार मरले की प्रॉपर्टी भी करोड़ों रुपये की है।

एक भी प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं

रेरा गठन होने के बाद से अभी तक चंडीगढ़ में एक भी रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट को अप्रूवल नहीं मिली है। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि यहां एक तो जमीन बची ही सीमित है। दूसरा जो जमीन बची है, उसके रेट कहीं ज्यादा है। इससे कम रेट में पंचकूला और मोहाली में जमीन आसानी से मिल जाती है। जिस कारण रियल एस्टेट कंपनियों का रूझान मोहाली और पंचकूला में ही है। यही कारण है कि चंडीगढ़ में दो सालों के अंदर एक भी प्रोजेक्ट को रेरा से अप्रूवल नहीं मिली है। खुद चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड भी बिल्डर है। सीएचबी आइटी पार्क में 123 एकड़ जमीन को लंबे समय से बेचने का प्रयास कर रहा है। शर्तों में भी ढील दी। लेकिन कोई रियल एस्टेट कंपनी चंडीगढ़ में जमीन खरीदकर कंस्ट्रक्शन को तैयार नहीं है। जबकि मोहाली में इन दो सालों के दौरान लगभग 1 हजार प्रोजेक्ट पंजाब रेरा से अप्रूवल मिल चुकी है।

रेरा चेयरमैन पहली बार आए चंडीगढ़

चंडीगढ़ और दिल्ली की ज्वाइंट रेरा है। दोनों की अथॉरिटी एक होने से रेगुलेटर भी एक ही है। बुधवार को पहली बार रेरा रेगुलेटर विजय एस मदान चंडीगढ़ मीटिंग लेने आए। इस दौरान चंडीगढ़ रेरा के अधिकारियों ने अभी तक के कार्यों पर प्रेजेंटेशन देकर जानकारी दी। बताया गया कि प्रॉपर्टी कंसलटेंट को रेरा के तहत रजिस्टर्ड किया गया है। कुछ को दस्तावेज पूरे नहीं होने से अभी मंजूरी नहीं मिली है। इससे पहले विजय एस मदान यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआइडीएआइ) के पूर्व डायरेक्टर जनरल रह चुके हैं। रेरा के लिए चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने वेब पोर्टल बना रखा है। अभी तक अथॉरिटी ने चंडीगढ़ में जो कार्य किए हैं, इसकी प्रजंटेशन दी गई।

पोर्टल पर एक्ट संबंधी सभी जानकारी

रेरा के इस पोर्टल पर एक्ट संबंधी जानकारियां उपलब्ध हैं। एक्ट के तहत सभी तरह के कॉमर्शियल, रेजिडेंशियल रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स और एजेंट्स को रेरा में अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। प्रोजेक्ट की सब तरह की जानकारी भी रेरा को देनी होगी। इस पोर्टल पर यूजर्स रेरा रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट्स और एजेंट्स की जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा प्रोजेक्ट और एजेंट रजिस्ट्रेशन करने संबंधी सभी जानकारी उपलब्ध है।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 

chat bot
आपका साथी