चंडीगढ़ में महंगे कन्वर्जन चार्जेस से वन टाइम सेटलमेंट की राह नहीं होगी आसान

चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) के 60 हजार से अधिक मकान ऐसे हैं जिन पर लोगों ने जरूरत के अनुसार बदलाव कर रखे हैं। वर्षों से यह बदलाव लोगों के गले की फांस बने हुए हैं। बार-बार नोटिस और पेनल्टी से छुटकारा पाने के लिए प्रशासन गुहार लगाते रहे हैं।

By Rohit KumarEdited By: Publish:Tue, 16 Feb 2021 06:40 AM (IST) Updated:Tue, 16 Feb 2021 06:40 AM (IST)
चंडीगढ़ में महंगे कन्वर्जन चार्जेस से वन टाइम सेटलमेंट की राह नहीं होगी आसान
सीएचबी के 60 हजार से अधिक मकान ऐसे हैं जिन पर लोगों ने जरूरत के अनुसार बदलाव कर रखे हैं।

चंडीगढ़, बलवान करिवाल। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) के 60 हजार से अधिक मकान ऐसे हैं जिन पर लोगों ने जरूरत के अनुसार बदलाव कर रखे हैं। वर्षों से यह बदलाव लोगों के गले की फांस बने हुए हैं। बार-बार नोटिस और पेनल्टी से छुटकारा पाने के लिए प्रशासन गुहार लगाते रहे हैं। अब प्रशासन दिल्ली की तर्ज पर वन टाइम सेटलपमेंट की स्कीम को स्टडी कर इसे यहां लागू करने की तैयारी कर रहा है। खुद प्रशासक वीपी सिंह बदनौर बोर्ड के अधिकारियों को इसके आदेश दे चुके हैं। लेकिन सवाल सबसे बड़ा यही उठ रहा है कि मंजूरी देने के लिए कन्वर्जन चार्जेस कितने होंगे। पहले भी प्रापर्टी कन्वर्जन चार्जेस कलेक्टर रेट के हिसाब से इंडस्ट्री सहित अन्य कैटेगरी में वसूले जा रहे हैं। जिससे यह बढ़कर प्रापर्टी के मार्केट रेट से भी कहीं अधिक हो जाते हैं।

सवाल यही उठ रहा है कि कहीं महंगे कन्वर्जन चार्जेस से वन टाइम सेटलमेंट स्कीम का कोई लाभ ही न ले पाए। चंडीगढ़ का कलेक्टर रेट पहले ही बहुत ज्यादा है। इसे रिवाइज्ड करने के लिए एडवाइजरी कांउसिल की मीटिंग में भी कई मेंबर्स ने मुद्दा उठाया। अगर सीएचबी मकानों में भी कन्वर्जन चार्जेस कलेक्टर रेट के हिसाब से हुआ तो अफोर्डेबल हाउस में रह रहे रेजिडेंट्स इसका फायदा नहीं ले पाएंगे।

दिल्ली की तर्ज पर एक बार फीस लेकर अतिरिक्त कंस्ट्रक्शन को मंजूरी देने के लिए बोर्ड के दस हजार से अधिक अलाटियों ने गृह मंत्री को प्रशासक बदनौर के माध्यम से चिट्ठियां भेजी। अब कन्वर्जन चार्ज जायज तय करने के लिए प्रशासक को फिर बड़े स्तर पर चिट्ठी लिखने का कैंपेन अलाटी चला रहे हैं। इसमें साफ कहा जा रहा है कि एक बार में फीस उतनी ही वसूल की जाए जितनी अलॉटी देकर अपने मकान को रेगुलर करवा सके और रोज रोज मकान कैंसेलेशन के नोटिस से छुटकारा मिल सके।

प्रशासक ने उनके आग्रह को मानते हुए दिल्ली पैटर्न पर वन टाइम सेटलमेंट के लिए अधिकारियों को आदेश दिए हैं। इसके लिए उनके आभारी हैं। लेकिन इसका फायदा सही मायनों में तभी होगा जब चार्ज इन मकानों में रहने वाले लोगों की हैसियत को देखते हुए तय किए जाए। अफोर्डेबल हाउसेज में रहने वाले लाखों रुपये चार्ज नहीं दे सकते। ऐसे में चार्ज कम से कम तय किए जाएं। बोर्ड के अधिकारियों को इस समस्या का समाधान करने के लिए सकारात्मकता के साथ आगे बढऩा चाहिए।

- निर्मल दत्त, प्रेसिडेंट, सीएचबी रेजिडेंट वेलफेयर फेडरेशन।

सीएचबी रेजिडेंट्स डर के साये में जी रहे हैं। उन्हें नोटिस और मकान कैंसलेशन का डर सताता रहता है। वह इस समस्या का एक बार पूर्ण समाधान चाहते हैं। जिस तरह से दिल्ली में कमेटी बनाकर एक बार आम माफी के जरिए राहत दी गई। उसी तरह से यूटी प्रशासन भी रेजिडेंट्स को एक बार राहत दे। उसके बाद रेगुलर मॉनीटरिंग की जाए जिससे दोबारा कभी ऐसी नौबत न आए।

- वीके निर्मल, प्रतिनिधि, सीएचबी रेजिडेंट वेलफेयर फेडरेशन।

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