स्कूलों में चार में से एक बच्चा हो रहा बुलिग का शिकार
बालपन में अकसर की गई गलतियां कई बार दूसरों को भी मुश्किल में डाल देती हैं। जाने अनजाने में की गई गलतियां आत्महत्या की वजह भी बन सकती हैं। ऐसा ही तथ्य पीजीआइ चंडीगढ़ की नई स्टडी में सामने आया है।
जासं, चंडीगढ़ : बालपन में अकसर की गई गलतियां कई बार दूसरों को भी मुश्किल में डाल देती हैं। जाने अनजाने में की गई गलतियां आत्महत्या की वजह भी बन सकती हैं। ऐसा ही तथ्य पीजीआइ चंडीगढ़ की नई स्टडी में सामने आया है। पीजीआइ की टीम ने शहर के कुछ प्राइवेट और गवर्नमेंट स्कूल के बच्चों पर स्टडी की है। स्टडी में पता चला कि इनमें से 26 फीसद स्टूडेंट्स बुलिग (दबंगई या स्वयं से कमजोर पर धौंस जमाना)का शिकार हुए हैं। दूसरों की शरारत का शिकार हुए ये बच्चे आत्महत्या तक करने को मजबूर हुए। पीजीआइ का कहना है कि इंटरनेटमीडिया से लेकर स्कूल लाइफ, स्टूडेंट्स के फ्रेंड सर्कल और पर्सनल लाइफ को लेकर हो रही बुलिग की वजह से आज हर चार में से एक बच्चा या स्टूडेंट इसका शिकार हो रहा है। 667 स्टूडेंट्स पर पीजीआइ ने की स्टडी
पीजीआइ ने शहर के 359 गवर्नमेंट और 308 प्राइवेट स्कूल के कुल 667 स्टूडेंट्स पर ये स्टडी की। ये सभी स्टूडेंट्स छठी से 10वीं क्लास के थे। इनकी उम्र नौ से 15 साल के बीच थी। जब पीजीआइ ने इन स्टूडेंट्स की पर्सनल लाइफ से उनकी इंटरनेट मीडिया लाइफ के हर पहलू को परखा तो पता चला कि आज स्टूडेंट्स बुलिग की समस्या से परेशान है। इसके कारण किसी भी वजह से बच्चे आत्महत्या जैसा कदम भी उठाने को मजबूर हो जाते हैं। - 667 में से 26 फीसद स्टूडेंट्स किसी न किसी वजह से बुलिग का शिकार हुए - 2.7 फीसद स्टूडेंट्स साइबर व इंटरनेट मीडिया के जरिये हुए शिकाय
- 32.7 फीसद फिजिकल और 55.1 फीसद वर्बल यानी बोलचाल के जरिये हुए बुलिग के शिकार स्टॉप बुलिग स्कूल इंटरवेंशन प्रोग्राम होगा शुरू
स्टूडेंट्स में बढ़ती बुलिग यानी बदमाशी की प्रवृति को रोकने के लिए स्टॉप बुलिग स्कूल इंटरवेंशन प्रोग्राम शुरू किया जाएगा। स्टडी का हिस्सा रही पीजीआइ की कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर डॉ. मधु गुप्ता ने बताया कि कोविड की वजह से ये प्रोग्राम शुरू नहीं हो सका। जैसे ही स्कूल खुलते हैं तो शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर इस प्रोग्राम को शुरू किया जाएगा। स्टूडेंट्स से लेकर उनके अभिभावकों को भी बुलिग को लेकर जागरूक किया जाएगा। यह प्रोग्राम तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में स्टूडेंट्स को, दूसरे में अभिभावकों व शिक्षकों को और तीसरे चरण में स्कूल के अन्य स्टाफ को इसको लेकर जागरूक किया जाएगा।