कोटकपूरा गोलीकांड: हाई कोर्ट के आदेश पर अगली कार्रवाई के लिए एकमत नहीं हैं अफसर और नेता
Kotkapura firing पंजाब के कोटकपूरा में हुई फायरिंग के मामले में हाई कोर्ट के आदेश को लेकर पंजाब की सियासत में हड़कंप मचा हुआ है। इस बीच हाई कोर्ट के आदेश पर अगले कदम को लेकर राज्य के अफसर व नेता एकमत नहीं हैं।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और कोटकपूरा व बहिबल कलां गोलीकांड मामले में आरोपितों को सजा दिलाने को लेकर कांग्रेस के नेता और पुलिस अफसर व नौकरशाह एकमत नहीं हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के आवास पर करीब ढ़ाई घंटे से ज्यादा समय तक चली बैठक में इसी कारण इस मामले में अगली कार्रवाई को लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका।
पुलिस अफसर चाहते हैं कि हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी जाए चुनौती
पंजाब सरकार को उम्मीद है कि सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले की कापी (प्रति) मिल जाएगी जिसमें हाई कोर्ट ने कोटकपूरा गोलीकांड की जांच कर रही विशेष जांच टीम व उसकी जांच को रद करने के आदेश दिए थे। मुख्यमंत्री इस विषय पर पहले ही कह चुके हैं कि सरकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। हालात ऐसे हैं कि जहां विपक्ष ने इस मामले को लेकर कैप्टन को निशाने पर लिया हुआ है वहीं अब कांग्रेस नेता भी अपनी ही सरकार की धीमी कार्यवाही से खुश नहीं हैं। इसी पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री ने बैठक बुलाई थी जिसमें मंत्रियों, विधायकों, एडवोकेट जनरल कार्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय के अफसरों सहित कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ भी मौजूद थे।
कांग्रेस नेता नई एसआइटी बनाकर आरोपितों को काबू कर कार्रवाई करने के पक्ष में
बैठक में मंत्रियों और विधायकों ने एडवोकेट जनरल अतुल नंदा को घेरा लेकिन नंदा ने कहा कि जांच टीम उनके आफिस का कोई सहयोग नहीं ले रही है। वह अपनी ओर से ही यह केस अदालत में लड़ रहे हैं। एजी ने सोमवार को फैसला मिलने पर इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही और कुछ अन्य पहलुओं पर अपना पक्ष रखा। पुलिस व सिविल अफसर उनकी बात से सहमत थे। परंतु मंत्रियों और विधायकों ने कहा कि आम लोग इस भाषा को नहीं समझते। वह केवल यह जानना चाहते हैं कि बेअदबी मामलों के असल दोषियों का क्या हुआ। क्या उन्हें सलाखों के पीछे धकेला गया या नहीं।
मंत्रियों ने तो यहां तक कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर यह मामला लटक जाएगा। अगर सरकार नई एसआइटी बनाकर दो महीने में केस को किसी नतीजे तक पहुंचाकर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल और पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैणी को अंदर (जेल) कर सके तो ही लोगों की नाराजगी दूर होगी। अन्यथा लोग अब कांग्रेस नेताओं को भी गांव में घुसने नहीं देंगे। इसकी शुरूआत मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और कुशलदीप ढिल्लों से होगी, जिन्होंने बेअदबी मामलों के असल दोषियों को जल्द सजा दिलाने का वादा करके बरगाड़ी में लगे हुए धरने को उठवाया था।
अब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से ही निकट भविष्य में लिए जाने वाले फैसले से ही साफ होगा कि पंजाब सरकार हाई कोर्ट के आदेश को मानते हुए नई एसआइटी का गठन करती है या आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देती है।
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