एनजेडसीसी का कवि सम्मेलन : 'किताबी ज्ञान तो सारा किताबों ने सिखाया है, रहूं कैसे जमाने में मुझे मां ने बताया है..'

उत्तर क्षेत्र सास्कृतिक केंद्र पटियाला द्वारा सोमवार को एक विशेष ऑनलाइन अखिल भारतीय उदीयमान ई-कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन का शुभारंभ मध्य प्रदेश से कवयित्री वैष्णवी दशोर ने अपनी रचना बन जा तू रण चंडी जा कर ले तू संग्राम सुनाकर किया।

By Edited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 01:25 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 01:49 PM (IST)
एनजेडसीसी का कवि सम्मेलन : 'किताबी ज्ञान तो सारा किताबों ने सिखाया है, रहूं कैसे जमाने में मुझे मां ने बताया है..'
ई-कवि सम्मेलन में भाग लेते कवि। (जागरण)

चंडीगढ़, जेएनएन। उत्तर क्षेत्र सास्कृतिक केंद्र पटियाला (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा एक विशेष ऑनलाइन अखिल भारतीय उदीयमान ई-कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सीतापुर, उत्तर प्रदेश से कवि कमलेश मौर्य मृदु ने इसकी अध्यक्षता की। कवि सम्मेलन का शुभारंभ मध्य प्रदेश से कवयित्री वैष्णवी दशोर ने अपनी रचना बन जा तू रण चंडी, जा कर ले तू संग्राम सुनाकर किया। फिर उत्तर प्रदेश से अर्पित मिश्र तेजस ने घाट-घाट का पानी पीकर आया हूं, उत्तराखंड से युवा ओज कवि आकाश प्रभाकर ने चिंता न खुद की है चिंता वतन की, इसलिए देश का तो स्वाभिमान धन्य है।

लखनऊ से युवा गीतकार प्रियाशु वात्सल्य ने केवल तुमको गाया है, मैंने तुमको गाया है। कवयित्री चादनी दुबे ने किताबी ज्ञान तो सारा किताबों ने सिखाया है, रहूं कैसे जमाने में मुझे मा ने बताया है। बाराबंकी से कवि शिवेश राजा ने बेटे हों दो तो एक सिपाही बनाइये व मर गई हैं भारतीय संवेदनाएं। रायबरेली से कवि उत्कर्ष उत्तम ने दानवों का फिर बंटा धार हो गया, राम राज सपना साकार हो गया। ओज कवि नितिन मिश्रा निश्छल ने काव्य चंदन है सिर्फ बलिदानियों का, काव्य दरबारों का अभिनंदन नहीं है, काव्य श्रद्धाजलि शहीदों के लिए है, गद्दार के माथे का चंदन नहीं है की प्रस्तुति दी।

श्रृंगार रस के कवि अर्पण शुक्ला ने प्रेम है इक नशा तो नशा कीजिये, चंडीगढ़ से कवयित्री अविषी परी ने बेटी, शबे चिराग अंधेरे में, वो शबनम सी है सवेरे में, वो एहसास हर त्यौहार में, वो पाक जज्बा है प्यार में, दुर्ग छत्तीसगढ़ से कवयित्री तीजन सिन्हा ने काश मैं एक सिपाही होता, सीतापुर से श्रृंगार के कवि सोमेंद्र सक्षम ने अगर जीतना है उसको तो हारना होगा। कवि आलोक मिश्रा ने मैं तेरे साथ हूं तू मेरे साथ है, चाद, तारे हैं और चादनी रात है। अंत में कवि कमलेश मौर्य मुदु ने युवक तो है भावी मेरे देश के सुनाया तो एनजेडसीसी निदेशक प्रो. सौभाग्य वर्द्धन ने प्राण जगे सोये जीवन में छेड़ो कोई ऐसा गीत सुनाया।

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