अब क्यूआरए कोड से होगी फिजिकल एजुकेशन की पढ़ाई
मैथ और साइंस के बाद अब फिजिकल एजुकेशन की पढ़ाई भी क्यूआरए कोड से होगी। स्टूडेंट्स को पढ़ाई आसान लगे उसके लिए एससीइआरटी की तरफ से वर्ष 201
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़:मैथ और साइंस के बाद अब फिजिकल एजुकेशन की पढ़ाई भी क्यूआरए कोड से होगी। स्टूडेंट्स को पढ़ाई आसान लगे उसके लिए एससीइआरटी की तरफ से वर्ष 2018 में मैथ और साइंस की बुक्स की थ्योरी पढ़ाने के साथ क्यूआरए कोड से वीडियो के जरिए सुनने और देखने का मौका स्टूडेंट्स को दिया था। यह पुस्तकें छठी से दसवीं कक्षा के लिए ही थी लेकिन शहर के प्रोफेसर रविंद्र चौधरी, डॉक्टर सोनिया कंवर और डॉ. हरप्रीत कौर ने ग्यारहवीं से लेकर बीए तक की फिजिकल एजुकेशन बुक्स क्यूआरए कोड के साथ तैयार की है। यहा यह भी उल्लेखनीय है कि सीबीएसई एनसीइआरटी की बुक्स को पहल देता है और एनसीइआरटी ग्यारहवीं और बारहवीं के स्टूडेंट्स को फिजिकल एजुकेशन की बुक्स मुहैया नही कराता है। गौरतलब है कि फिजिकल एजुकेशन में थियौरी के साथ प्रेक्टिकल भी जरूरी है। स्टूडेंट्स पढऩे के दौरान ही प्रेक्टिकल को देख सकते है।
थियौरी को सीखेंगे वीडियो से
फिजिकल एजुकेशन का थियोरी के अलावा प्रेक्टिकल का एग्जाम भी होता है। ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में थ्योरी 70 और प्रेक्टिकल 30 नंबर का होता है, जबकि बीए फर्स्ट , सेकेंड और थर्ल्ड ईयर में थ्योरी 130 और प्रैक्टीकल एक ही बार में 70 नंबर का होता है। थियोरी पर स्टूडेंट्स की पढ़ाई ज्यादा निर्भर करती है। ऐसे में स्टूडेंट्स को थियोरी में बेहतर नंबर लाने के लिए क्यूआरए कोड को लाच किया गया है। जो भी थियोरी बुक में लिखी रहेगी उसे क्यूआरए कोड से वीडियो में कन्वर्ट करके देखा जा सकता है।
पुस्तक को बनाया है कलरफुल
फिजिकल एजुकेशन विषय में रंग बहुत ज्यादा महत्व रखते है। स्टूडेंट्स को विभिन्न गेम्स में उपयोग होने वाले फ्लैग के रंग, ड्रैस की जानकारी होना अनिवार्य होता है। क्यूआरए कोड के जरिए फ्लैग से लेकर ड्रैस तक के रंग दिखाई देंगे। इसके अलावा भी पुस्तकें कलर से भरपूर है। जिसमें स्टूडेंट्स को पढऩे से कहीं ज्यादा देखकर ही कई बातों की समझ आ जाएगी।
स्टूडेंट्स से खुद की सीख को बाटना मेरा उद्देश्य : लेखक
पुस्तक के लेखक प्रो. रविंद्र चौधरी ने कहा कि मुझे फिजिकल एजुकेशन को पढ़ाते हुए 33 साल का काम हो गया है। इस पुस्तक को लिखने का मुख्य उद्देश्य स्टूडेंट्स से खुद की सीख को बाटना था। मुझे लगता है कि मेरा अनुभव बच्चों के काम आएगा। इसलिए मैंने इस पुस्तक को लिखा है।