अब छह माह तक काम कम, राजनीति होगी ज्यादा

अब आने वाले छह माह तक शहर में काम कम और राजनीति ज्यादा गरमाएगी। इसका कारण यह है कि दिसंबर माह में चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव होने वाले हैं और सभी राजनीतिक दलों ने इस चुनाव के लिए अभी से कमर कस ली है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 06:04 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 06:04 PM (IST)
अब छह माह तक काम कम, राजनीति होगी ज्यादा
अब छह माह तक काम कम, राजनीति होगी ज्यादा

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़ : अब आने वाले छह माह तक शहर में काम कम और राजनीति ज्यादा गरमाएगी। इसका कारण यह है कि दिसंबर माह में चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव होने वाले हैं और सभी राजनीतिक दलों ने इस चुनाव के लिए अभी से कमर कस ली है। मुख्य तौर पर मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच होगा लेकिन आम आदमी पार्टी और अकाली- बसपा गठबंधन ने भी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा कर दी है। भाजपा पहली बार बिना अकालियों के अकेले ही सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी। ऐसे में अब छह माह तक जो भी सदन की बैठकें होगी सभी भी कांग्रेस और भाजपा के बीच माहौल गरमाएगा। इस समय पानी के बढ़े हुए रेट का मामला गरमाया हुआ है। हालांकि भाजपा अगले साल मार्च माह तक प्रशासक से पानी के बढ़े हुए रेट पर रोक लगाने में कामयाब रही है। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस इस मुद्दे को चुनाव में लेकर जा रही है।

इस बार नगर निगम चुनाव में वार्ड की संख्या भी 26 से बढ़कर 35 हो गई है। इसके लिए अब दलों को पहले से ज्यादा उम्मीदवारों की जरूरत है। महिला और आरक्षित वर्ग की सीटों के लिए भी दलों ने अभी से मंथन शुरू कर दिया है। अगस्त माह में प्रशासन सभी वार्ड का ड्रा करके यह तय करेगा कि कौन सी सीटें जनरल रहेगी और कौन सी महिला और आरक्षित वर्ग के लिए। छह माह तक होने वाली हर सदन की बैठक में कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलने की रणनीति बनाई है। नवंबर माह में आचार संहिता भी लागू हो जाएगी।ऐसे में जो काम चल भी चल रहे हैं वह बंद हो जाएंगे। जबकि आने वाली सदन की बैठक में हर पार्षद ज्यादा से ज्यादा विकास के प्रस्ताव पास करवाना चाहता है। हालांकि पास हुए काम ग्राउंड पर शुरू नहीं हो पाएंगे। इस समय नगर निगम में वित्तीय संकट भी गरमाया हुआ है। सर्वे के बाद उम्मीदवार तय होंगे

कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने ही पूरे शहर में चुनाव को लेकर सर्वे कराने का निर्णय लिया है। सर्वे में अव्वल रहने वाले उम्मीदवारों को ही टिकट दी जाएगी। ऐसे में दावेदार पब्लिक में सक्रिय हो गए हैं, ताकि सर्वे में उनका नाम आगे आ सके। पिछली बार भी भाजपा ने सर्वे करके ही अपने उम्मीदवार तय किए थे। सर्वे करने के लिए दल कंपनी हायर करेगी। जबकि आम आदमी पार्टी पहली बार नगर निगम चुनाव लड़ने जा रही है। आप की नजर कांग्रेस और भाजपा के अच्छे नेताओं पर है।जबकि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी कॉलोनी और गांव की सीटों पर ज्यादा जोर लगा रही है। शहरवासी नगर निगम में भाजपा को पांच साल का मौका देकर दुखी हैं। इन पांच साल में कोई ऐसा टैक्स नहीं जो भाजपा शासित नगर निगम ने न लगाया हो। पानी के बढ़े हुए रेट पर रोक लगाना सिर्फ चुनावी स्टंट है जबकि पानी के रेट को वापस नहीं लिया गया। कांग्रेस का अगले साल मेयर बनते ही पानी के बढ़े हुए रेट को पूरी तरह से खारिज कर दिया जाएगा।

- एचएस लक्की, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस कांग्रेस का जनाधार शहर से खत्म हो चुका है। कांग्रेस सिर्फ विकास के काम रोक कर सिर्फ शोर शराबे की राजनीति करना जानती है। नगर निगम चुनाव में इस बार भाजपा पिछली बार से भी ज्यादा सीटें जीतेगी। कांग्रेस के कार्यकाल में सिर्फ भष्टाचार को बढ़ावा मिला है और शहर के मतदाता अच्छी तरह से जानते हैं।

- कैलाश जैन, भाजपा प्रवक्ता।

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