अब केंद्र सरकार बिजली सब्सिडी की राशि सीधे किसानों के खाते में डालने की तैयारी में, जानें पंजाब पर क्या पड़ेगा असर

फसलों का पैसा सीधे किसानों के खाते में भेजने के बाद अब केंद्र सरकार की नई योजना बिजली सब्सिडी का पैसा उनके खाते में भेजने की है। इसके लिए केंद्र ने राज्यों को कुल घरेलू सकल उत्पाद का 0.50 फीसद अधिक कर्ज लेने का आफर दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 01:39 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 08:38 PM (IST)
अब केंद्र सरकार बिजली सब्सिडी की राशि सीधे किसानों के खाते में डालने की तैयारी में, जानें पंजाब पर क्या पड़ेगा असर
अब बिजली सब्सिडी का पैसा सीधे किसानों के खाते में डालने की तैयारी में केंद्र सरकार। सांकेतिक फोटो

चंडीगढ़ [इंद्रप्रीत सिंह]। फसलों की सीधी अदायगी के बाद अब केंद्र सरकार बिजली की सब्सिडी भी किसानों के खाते में सीधी डालकर एक और नया रिफार्म लाने की तैयारी में है। चूंकि सब्सिडी राज्यों को किसानों के खाते में डालनी है, इसलिए सभी राज्यों को उनके कुल घरेलू सकल उत्पाद का 0.50 फीसद अधिक कर्ज ले सकने का आफर दिया गया है।

पंजाब के मामले में यह 3200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज होगा। वित्त मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को 22 पन्नों के लिखे पत्र में अगले पांच सालों में किए जाने वाले रिफार्म्स का पूरा ब्यौरा दिया है, जिसमें सबसे बड़ा रिफार्म किसानों की सब्सिडी को लेकर है। केंद्र सरकार ने कर्ज लेने के लिए एक क्राइटिरिया तैयार किया है, जिसे अंकों के जरिए मापा जाएगा, जो राज्य सरकार जितने ज्यादा अंक लेगी, उसे उस हिसाब से अतिरिक्त कर्ज लेने की इजाजत होगी।

केंद्र सरकार की ओर से जो पूरी योजना तैयार करके भेजी गई है उसकी पहली शर्त किसानों की सब्सिडी बंद करना है, जो पंजाब में विवाद का कारण बन सकती है। केंद्र सरकार भी जानती है कि यह नहीं होगा, इसलिए राज्य सरकार को बिजली सब्सिडी सीधा किसानों के खाते में डालने का विकल्प भी दिया गया है। यानी प्रति ट्यूबवेल के हिसाब से बनती बिजली की राशि किसानों के खाते में डाल दी जाए। उसके बदले पूरे प्रदेश में लगे सभी ट्यूबवेलों पर मीटर लगाए जाएं।

पांच फीसद मीटरिंग करके किसानों के खाते में सीधी सब्सिडी डालने पर उन्हें एक अंक मिलेगा। इसमें किसानों की ओर से बिजली की खपत कम करने पर किसानों को इंसेंटिव देने का भी कार्यक्रम है। कहा है कि मीटर लगने पर एक औसत खपत से कम अगर किसान खर्च करेंगे तो उन्हें नकद इंसेंटिव दिया जाएगा।

क्या है केंद्र सरकार की य़ोजना

पंजाब में 14.5 लाख ट्यूबवेल हैं। इनमें से 25 एकड़ से ज्यादा जमीन वाले 59 हजार किसानों के पास ही आधे से ज्यादा ट्यूबवेल हैं। किसानों को 7180 करोड़ रुपये की मिलने वाली सब्सिडी का आधा हिस्सा मात्र 59 हजार किसानों को ही जाता है। अगर सभी के मीटर लग जाएं तो पता चल जाएगा कि एक-एक परिवार के पास कितने ट्यूबवेल हैं। इसके अलावा बिजली की मीटरिंग होने से चोरी होने वाली बिजली भी जो किसानों के खाते में डाली जाती है उसका भी हिसाब मिल जाएगा।

सरकारी महकमे क्यों नहीं देते बिल

केंद्र सरकार का एक बड़ा उद्देश्य सरकारी महकमों को लाइन पर लाना भी है जो बिजली तो खर्च करते हैं, लेकिन पावरकॉम को बिल की अदायगी नहीं करते। केंद्र ने कहा है कि अगर किसी भी सरकारी महकमे, अधीनस्थ महकमों, स्थानीय निकायों आदि की ओर कोई बकाया नहीं होगा तो उसके पांच अंक दिए जाएंगे। स्मार्ट ग्रिड, प्रीपेड मीटरिंग जैसे कदम उठाने पर भी अतिरिक्त अंक देने की योजना है।

इसके अलावा 25 नंबर बोनस के भी रखे गए हैं, जो राज्य बिजली डिस्ट्रीब्यूशन का काम निजी कंपनियों को दे देंगे उन्हें 25 अंक दिए जाएंगे। ऐसा करने के लिए 31 दिसंबर 2022 तक का समय दिया गया है। यदि कोई राज्य सरकार उपरोक्त एंट्री लेवल को पूरा नहीं करेगी तो उन्हें कोई अतिरिक्त कर्ज नहीं मिलेगा। यदि कोई राज्य सरकार 15 अंक हासिल कर लेगी तो उसे 0.35 फीसद और यदि 30 अंक हासिल कर लेगी तो उसे 0.50 फीसद कर्ज मिलेगा। यह मात्र 2021-22 में कर्ज लेने की शर्तें हैं। 0.50 फीसद कर्ज लेने की ये शर्तें आने वाले पांच साल के लिए हैं और हर साल के लिए इसे अलग से बनाया गया है।

इस तरह समझें बिजली सब्सिडी का खेल

पंजाब सरकार हर साल विभिन्न सेक्टर जिनमें किसान को खेती के लिए, दलित व पिछड़े वर्ग को घरेलू खपत के लिए 200 यूनिट और इंडस्ट्री को पांच रुपये यूनिट बिजली देने के लिए सब्सिडी देती है। इस साल 10621 करोड़ की सब्सिडी देनी है, जो कुल बजट का नौ फीसद है। इसमें किसानों की 7180 करोड़, दलितों और पिछडे़ वर्ग की 1513 करोड़ और इंडस्ट्री को 1500 करोड़ दी जाएगी। इसके अलावा स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों समेत कुछ और लोगों को भी बिजली सब्सिडी दी जाती है।

राजेवाल ने किया विरोध

उधर, केंद्र के इस पत्र का भाकियू के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह देखने में रिफार्म्स लगते हैं लेकिन केंद्र सरकार की असल मंशा आने वाले पांच सालों में बिजली सेक्टर को प्राइवेट हाथों में सौंपने की है। किसानों की सब्सिडी सरकार हर हालत में बंद करना चाहती है और उसके बहाने ढूंढ रही है।

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