पंजाब कांग्रेस में नया विवाद, कैप्‍टन अमरिंदर सिंह फिर घिरे, जाखड़ सहित कई नेताओं ने मोर्चा खोला

Punjab Government Job to MLA Son Case पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर विवाद छि़ड़ गया है। राज्‍य कांग्रेस में अब पार्टी के दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी दिए जाने पर बवाल मच गया है। सुनील जाखड़ सहित कई नेताओं ने इस मुद्दे पर मोर्चा खोल दिया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 01:26 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 05:35 PM (IST)
पंजाब कांग्रेस में नया विवाद, कैप्‍टन अमरिंदर सिंह फिर घिरे, जाखड़ सहित कई नेताओं ने मोर्चा खोला
पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैपटन अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष सुनील जाखड़। (फाइल फाेटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। New Dispute in Punjab Congress: पंजाब कांग्रेस में अब नया बवाल शुरू हो गया है। पुरानी कलह पर कांग्रेस आलाकमान के फैसले के इंतजार के बीच कैप्टन सरकार की ओर से दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने के मामले में पार्टी में अंदरूनी राजनीति फिर गरमा गई है। पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष सुनील जाखड़ सहित कई नेताओं ने कैप्‍टन सरकार के इस कदम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दूसरी ओर, मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने फैसले को बदलने या रद करने से साफ इन्‍कार कर दिया है।

सुनील जाखड़ ने कहा- विधायकों के पुत्रों को अनुकंपा श्रेणी में नौकरी देना गलत, सरकार पुनर्विचार कर रद करे

कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने दोनों विधायकों के बेटों को अनुकंपा श्रेणी में नौकरी दिए जाने के फैसले को गलत बताया है। वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रधान राहुल गांधी के करीब और फतेहगढ़ साहिब से विधायक कुलजीत नागरा ने कहा कि कैबिनेट बैठक बुलाकर इस फैसले को वापस लिया जाए।

कैप्टन ने ट्वीट कर कहा, फैसला वापस लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता

इसी बीच मुख्‍यमंत्री कैप्टन अम‍रिंदर सिंह ने कांग्रेस के दो विधायकों फतेह जंग बाजवा और राकेश पांडे के बेटों को सरकारी नौकरी देने के फैसले को रद करने या बदलने से इन्‍कार कर‍ि दिया है। कैप्‍टन ने ट्वीट कर कहा कि फैसला वापस लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।

सुनील जाखड़ ने कहा, देश के लिए बलिदान देने वालों के लिए देश व समाज हमेशा ही कृतज्ञ रहता है लेकिन जिस तरह यह नियुक्तियां हुईं, उन्हें अनुकंपा की श्रेणी में रखना उचित नहीं होगा। उन्होंने कैप्टन से इस फैसले पर पुनर्विचार कर नियुक्तियां रद करने की मांग की। जाखड़ ने कहा कि इस फैसले का लंबे समय तक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि लाभार्थियों की पृष्ठभूमि को देखते हुए यह फैसला तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता। मुख्यमंत्री को गलत सलाह दी गई है। इससे सरकार पर भाई भतीजावाद के आरोप लगेंगे जो सही नहीं होगा। जनप्रतिनिधि लोगों के हित की बात करते अच्छे लगते हैं ना कि अपने परिवार की।

विधायक नागरा और परगट सिंह ने कहा- सीएम कैबिनेट की बैठक बुलाकर फैसला वापस लें

वहीं विधायक कुलजीत सिंह नागरा और परगट सिंह ने भी विधायकों के बेटों को नौकरी देने के फैसले का विरोध किया है। नागरा ने फेसबुक पर लाइव होकर कहा कि मुख्यमंत्री को दोबारा कैबिनेट बैठक बुलाकर इस फैसले को वापस लेना चाहिए। सरकार के फैसले को लेकर युवाओं का गलत फीडबैक मिल रहा है। वह बतौर जनप्रतिनिधि और निजी तौर पर इसका विरोध करते हैं।

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नागरा ने दोनों कांग्रेस विधायकों से नौकरियां न लेने की अपील भी की। बता दें कि शुक्रवार को पंजाब की कैबिनेट बैठक में पांच मंत्रियों के विरोध के बावजूद ेविधायक फतेहजंग सिंह बाजवा और राकेश पांडे के बेटों को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी का एजेंडा पारित किया गया।

कैप्‍टन बोले- परिवार के बलिदान के कारण कांग्रेस विधायकों के बेटों को दी नौकरी

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर कहा कि फैसला वापस लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता। अनुकंपा के आधार पर दी गईं इन नौकरियों को कुछ लोग राजनीतिक रंगत दे रहे हैं। यह शर्मनाक है। सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें इन विधायकाें के बेटों परिवार के बलिदान के कारण नौकरी दी गई है। उनके दादा ने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर की। कैप्टन ने कहा कि जो भी अपने मुल्क के लिए बलिदान देता है, उसे कभी भी भुलाया नहीं जाना चाहिए। उनके परिवार इस घाटे की भरपाई किए जाने के हकदार हैं।

वहीं, सरकार के फैसले की आलोचना करने पर शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कैप्टन ने एलान किया कि अगर यह पार्टियां भी ऐसे किसी युवा को नौकरी दिलवाना चाहती हैं जिनके पिता या दादा ने देश के लिए ऐसा बलिदान दिया है तो उन्हें भी सरकारी नौकरी दी जाएगी। इन पार्टियों में भी ऐसे लोगों की पहचान करने की कोशिश की गई थी लेकिन कोई मिला नहीं।

कैप्टन ने स्पष्ट किया कि ऐसे बलिदान देने वाले परिवार से आने वाले किसी भी व्यक्ति को नौकरी दी जाएगी। पंजाब ने आतंकवाद का काला दौर झेला है। इस दौरान हिंसा में 35000 बेकसूर लोगों की जान चली गई, करीब 700 पुलिस जवान भी मारे गए। उन्हें उनके स्मारकों पर जाकर श्रद्धांजलि देना ही काफी नहीं है बल्कि राज्य को इन परिवारों को हुए नुकसान की पूर्ति के लिए और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।

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