शहर को स्पोर्ट्स हब बनाने में निर्मल मिल्खा सिंह की रही है अहम भूमिका
उड़न सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह की पत्नी स्वर्गीय निर्मल मिल्खा सिंह को बतौर खिलाड़ी ही नहीं बल्कि बतौर खेल प्रशासक भी हमेशा याद रखा जाएगा। भारतीय वालीबॉल टीम की कप्तान रही निर्मल मिल्खा सिंह का पूरा जीवन खेल को समर्पित रहा। शहर को स्पोर्ट्स हब बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है. वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट व चंडीगढ़ वॉलीबॉल एसोसिएशन के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट विजय पाल सिंह बताते है.
विकास शर्मा, चंडीगढ़
उड़न सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह की पत्नी स्वर्गीय निर्मल मिल्खा सिंह को बतौर खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि बतौर खेल प्रशासक भी हमेशा याद रखा जाएगा। भारतीय वालीबॉल टीम की कप्तान रही निर्मल मिल्खा सिंह का पूरा जीवन खेल को समर्पित रहा। शहर को स्पोर्ट्स हब बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है. वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट व चंडीगढ़ वॉलीबॉल एसोसिएशन के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट विजय पाल सिंह बताते है. कि शहर में खेलों को प्रमोट करने में निर्मल मिल्खा सिंह का अतुलनीय योगदान रहा है. बतौर स्पोर्ट्स डायरेक्टर हमेशा याद किया जाएगा उनका काम
स्वर्गीय निर्मल मिल्खा सिंह ने चंडीगढ़ स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट वर्ष 1985 में बतौर ज्वाइंट डायरेक्टर ज्वाइन किया था, इसके बाद वर्ष 1988 डेजिग्नेटेड स्पोर्ट्स डायेक्टर बनीं। स्पोर्ट्स डायरेक्टर बनने के बाद उन्होंने यहां पर पहली बार जूनियर नेशनल चैंपियनशिप करवाई। यह पहला मौका था जब चंडीगढ़ को इतने बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी मिली थी। इसके बाद शहर में स्कूल नेशनल व पुलिस गेम्स करवाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। शहर में हॉकी एस्टोटर्फ लगवाने और स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स -7, स्पोर्ट्स कांप्लेक्स -46 और पुलिस लाइन में वॉलीबॉल कोर्ट बनवाने में भी उनकी अहम भूमिका रही। उनके कार्यकाल में कोचों का पहला बैच 1988 में और दूसरा बैच वर्ष 1993 में भर्ती हुआ । वह इस पद पर 31 अक्टूबर 1984 तक बनी रही। इसके अलावा वर्ष 1987 में वह चंडीगढ़ वॉलीबॉल एसोसिएशन की प्रेसिडेंट चुनी गई। अभी वह चंडीगढ़ वॉलीबॉल एसोसिएशन की चीफ पैटर्न थीं और कई अहम योजनाओं में एसोसिएशन के पदाधिकारी उनके अनुभव का फायदा उठाते थे। अपने काम को लेकर बेहद गंभीर थीं निर्मल मिल्खा सिंह
रिटायर्ड जिला खेल अधिकारी रविदर सिंह लाडी बताते हैं कि उनकी ज्वाइन निर्मल मिल्खा सिंह के कार्यकाल में ही हुई थी। निर्मल मिल्खा सिंह अपने काम को लेकर बेहद गंभीर थी। उन्होंने बतौर खिलाड़ी अपना करियर शुरू किया था इसलिए वह कोचों को बेहद सम्मान देती थी। वह हर किसी की बात को बेहद गंभीरता से सुनती थी, उन्हें हर किसी से काम लेना आता था। अपने सरल स्वभाव के चलते वह सबके लिए सम्मानीय थी।