पंजाब में Lunch diplomacy: 'गुरु' और कैप्टन में हुई सुलह, नवजोत सिद्धू को अमरिंदर ने लंच पर बुलाया
पंजाब कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच सुलह कराने के लिए लंच डिप्लोमेसी का सहारा लिया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिह ने नवजोत सिंह सिद्धू को आज लंच पर बुलाया है। साफ संकेत हैं कि कैप्टन अमरिंदर फिर सिद्धू संग नई पारी शुरू करेंगे।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब में Lunch diplomacy: पंजाब कांग्रेस ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू में सुलह कराने के लिए लंच डिप्लोमेसी (Lunch diplomacy) का सहारा लिया है। ऐसे में फायर ब्रांड नेता नवजाेत सिंह सिद्धू को लेकर कांग्रेस में नई हलचल है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने आज नवजोत सिद्धू को अपने यहां लंच पर बुलाया है। ऐसे में साफ है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह एक बार नवजोत सिंह सिद्धू के साथ नई पारी की शुरूआत करने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि सिद्धू की कैप्टन अमरिंदर कैबिनेट में जल्द वापसी हो सकती है।
यह जानकारी मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने ट्वीट कर दी है। 2019 के लोक सभा चुनाव के बाद पहला ऐसा मौका होगा जब दोनों नेता एक साथ बैठेंगे। मुख्यमंत्री सिद्धू के साथ अपने रिश्ते को सुधार सकते है। इसके संकेत मुख्यमंत्री ने 19 अक्टूबर 2020 को हुए पंजाब विधान सभा के सत्र से ही देने शुरू कर दिए थे।
एक माह से दोनों के रिश्तों में आ रही गर्माहट, सिद्धू की कैबिनेट में हो सकती है वापसी
कृषि बिलों को लेकर बुलाए गए इस सत्र में सिद्धू पहले ऐसे कांग्रेस नेता थे, जिन्हें मुख्यमंत्री के बाद पंजाब विधानसभा में बोलने का मौका दिया गया था। अहम बात तो यह थी कि सिद्धू को खुद कैप्टन ने फोन करके बता दिया था कि उन्हें कृषि बिल पर उनके (कैप्टन) बाद बोलना है। हालांकि 4 नवंबर को दिल्ली में दिए गए कांग्रेस के धरने के दौरान दोनों नेताओं के बीच मतभिन्नता सामने आई थी। जब सिद्धू ने धरने के दौरान आर-पार की लड़ाई वाली बात उठा दी थी।
इसके बाद कैप्टन ने कहा था कि वह किसी से लड़ने नहीं आए है। वह अपनी बात रखने आए है। इस पर सिद्धू खिन्न हो गए थे। माना जा रहा है कि नए समीकरण में कैप्टन और सिद्धू के बीच आई दरार को पाटने की कोशिश होगी। वहीं, कैप्टन सिद्धू को पुनः कैबिनेट में आने का भी न्योता दे सकते है। सिद्धू के कैबिनेट मंत्री पद को छोड़ने के बाद से ही कैबिनेट में एक कुर्सी खाली पड़ी हुई है।
हरीश रावत ने रखी थी सुलह की नींव
कांग्रेस के महासचिव व पंजाब के प्रभारी हरीश रावत ने कैप्टन और सिद्धू के बीच के रिश्ते को सुधारने के लिए नींव रखी थी। रावत ने सिद्धू से उसके घर जाकर मुलाकात की थी। इसके बाद 4 अक्टूबर को राहुल गांधी की ट्रैक्टर यात्रा के दौरान सिद्धू लंबे समय बाद कांग्रेस के मंच पर दिखाई दिये थे। हालांकि इस मंच पर सिद्धू ने पंजाब सरकार के खिलाफ तल्ख रुख अपनाया था।
इस पर कांग्रेस में खासी नाराजगी भी देखने को मिली थी। राहुल गांधी की उपस्थिति में सिद्धू की इस तलखी के कारण उन्हें फिर कांग्रेस के मंच पर बोलने का मौका नहीं दिया गया था। लेकिन, हरीश रावत लगातार सिद्धू की हिमायत करते रहे। जिसका असर भी देखने को मिला। जब 19 अक्टूबर को पंजाब विधान सभा का सत्र आया तो सिद्धू भी इस सत्र में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे। जबकि 2019 के लोक सभा चुनाव के बाद सिद्धू ने कभी भी विधान सभा की बैठक में हिस्सा नहीं लिया था।
कैबिनेट विस्तार की सुगबुगाहट
कैप्टन द्वारा सिद्धू को लंच पर बुलाने के साथ ही पंजाब कैबिनेट में विस्तार की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कैबिनेट में लंबे समय से फेरबदल की चर्चा चली आ रही थी लेकिन पार्टी हाईकमान द्वारा सिद्धू को पुनः कैबिनेट में लाने के दबाव के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था। वहीं, कैप्टन द्वारा लंच डिप्लोमेसी करने के बाद इन चर्चाओं को बल मिल जाता है कि जल्द ही पंजाब कैबिनेट में बदलाव हो सकता है और सिद्धू की कैबिनेट में वापसी हो सकती है।
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