नए लैपटॉप में आई खराबी, चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट ने कंपनी पर लगाया हर्जाना, लौटानी होगी पूरी कीमत

शिकायतकर्ता ने आयोग में बताया कि 6 जनवरी 2019 को उन्होंने लैपटॉप बजाज फाइनेंस से लोन लेकर खरीदा था। इसके बाद उन्होंने लैपटॉप पर एक वर्ष की वारंटी दी गई थी जिसके तहत लैपटॉप में खराबी होने पर उसे बदलने का ऑफर भी था।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 02:47 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 02:47 PM (IST)
नए लैपटॉप में आई खराबी, चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट ने कंपनी पर लगाया हर्जाना, लौटानी होगी पूरी कीमत
लैपटाप में खराबी आने पर कंपनी ने दूसरा दिया उसमें भी खराबी आ गई।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। 59,500 रुपये में खरीदे नए लैपटॉप में खराबी आ गई। इसके बाद कंपनी ने दूसरा लैपटॉप बदलने पर भी समस्या का सामना करना पड़ा। इसके चलते चंडीगढ़ उपभोक्ता आयोग ने बैंगलुरु स्थित एचपी इंडिया सेल्स कंपनी पर सात हजार रुपये हर्जाना लगाया। वहीं केस खर्च के तौर में 5500 रुपये जमा करने का भी आदेश दिया। एचपी कंपनी के खिलाफ सेक्टर-11 पंचकूला के रहने वाले विष्णु मोहन विक्रांत ने साल 2020 में शिकायत दी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने कंपनी को फटकार लगाई है।

कंज्यूमर कोर्ट ने कहा कि उपभोक्ता मोटी रकम खर्च कर सामान खरीदते हैं। वह नामी कंपनियों पर इसलिए विश्वास करते हैं क्योंकि उनका सामान अच्छा होता है, लेकिन अगर एक प्रतिष्ठित कंपनी यह सब करेगी तो उपभोक्ताओं का विश्वास उन पर से उठ जाएगा।

एक साल की वारंटी, लेकिन कंपनी ने नहीं किया लैपटॉप रिप्लेस

शिकायतकर्ता ने आयोग में बताया कि 6 जनवरी 2019 को उन्होंने लैपटॉप बजाज फाइनेंस से लोन लेकर खरीदा था। इसके बाद उन्होंने लैपटॉप पर एक वर्ष की वारंटी दी गई थी जिसके तहत लैपटॉप में खराबी होने पर उसे बदलने का ऑफर भी था। नौ जनवरी 2019 को जब उन्होंने लैपटॉप चलाया तो पाया कि उसकी हार्ड ड्राइव से आवाज आ रही थी। इसके बाद उन्होंने कंपनी को शिकायत दी तो लैपटॉप को बदल दिया गया था लेकिन जो दूसरा लैपटॉप लिया तो उसमें भी खराबी आ गई।

लैपटॉप ठीक करने के बाद भी हार्डवेयर खराब

कंपनी की ओर से शिकायतकर्ता के घर पर टेक्नीशियन को भेजा, जिसके बाद लैपटॉप का हार्डवेयर बदला गया। लेकिन हार्डवेयर बदलने के बाद भी लैपटॉप सही ढंग से काम नहीं कर रहा था। उन्होंने कंपनी के कस्टमर केयर, कंप्लेट नंबर और ई-मेल पर शिकायत दर्ज करवाई लेकिन उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया। तंग होकर उन्होंने आयोग में शिकायत दर्ज की जहां पर आयोग की ओर से कंपनी को नौ फीसद प्रति ब्याज के साथ 59,500 रुपये देने के साथ ही सात हजार रुपये हर्जाना लगाया।

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